यूपी: Kanpur बिकरू Police Attack Case में गवर्नमेंट का बड़ा एक्शन, IPS अनंत देव तिवारी सस्पेंड
यूपी गवर्नमेंट ने कानपुर के बहुचर्चित बिकरू कांड में एसआइटी की रिपोर्ट के बाद पहला बड़ा एक्शन लिया है। सीएम योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर जांच रिपोर्ट में दोषी पाये गये कानपुर के तत्कालीन एसएसपी अनंत देव तिवारी को सस्पेंड कर दिया गया है। कानपुर के तत्कालीन एसएसपी दिनेश पी. को शो कॉज किया गया है।
- कानपुर के तात्कालीन एसएसपी अनंत देव तिवारी पर गाज गिरी
लखनऊ। यूपी गवर्नमेंट ने कानपुर के बहुचर्चित बिकरू कांड में एसआइटी की रिपोर्ट के बाद पहला बड़ा एक्शन लिया है। सीएम योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर जांच रिपोर्ट में दोषी पाये गये कानपुर के तत्कालीन एसएसपी अनंत देव तिवारी को सस्पेंड कर दिया गया है। कानपुर के तत्कालीन एसएसपी दिनेश पी. को शो कॉज किया गया है।
सोर्सेज का कहना है कि कानपुर के तत्कालीन एएसपी देहात प्रदुमन सिंह के विरुद्ध डिपार्टमेंटल कार्रवाई के निर्देश दिये गये हैं। अब इस मामले में जल्द ही अन्य दोषी अफसरों व स्टाफ पर कार्रवाई हो सकती है। एसआइटी ने अपनी जांच रिपोर्ट में करीब 80 अफसरों व स्टाफ को दोषी माना है। इनमें पुलिस के अलावा जिला प्रशासन, राजस्व, आबकारी व सप्लाई डिपार्टमेंट के अफसर व स्टाफ भी शामिल हैं।
सस्पेंड किये गये कानपुर के तत्कालीन एसएसपी अनंत देव वर्तमान में डीआइजी पीएसी सेक्टर, मुरादाबाद के पोस्ट पर थे। एसआइटी की जांच में सामने आया था कि बिकरू कांड के मुख्य आरोपी कुख्यात विकास दुबे को लोकल पुलिस व प्रशासन की मदद मिलती थीं। पुलिस व प्रशासन के अफसरों की मिलीभगत व अनदेखी के चलते ही कुख्यात विकास दुबे का साम्राज्य बढ़ता चला गया था। उस पर समय रहते कभी प्रभावी कार्रवाई नहीं की जा सकी थी। एसआइटी की जांच रिपोर्ट में कानपुर के तत्कालीन सीओ एलआइयू के अलावा लखनऊ के तत्कालीन सीओ सरोजनीनगर व कृष्णानगर कोतवाली प्रभारी समेत अन्य पुलिसकर्मियों को भी दोषी पाया गया है। जांच में सामने आया था कि एसटीएफ ने वर्ष 2017 में जब विकास दुबे को लखनऊ के कृष्णानगर स्थित आवास से उसके भाई दीपक दुबे के नाम दर्ज आटोमेटिक रायफल के साथ गिरफ्तार किया था, तब लखनऊ व कानपुर पुलिस की लापरवाही से ही वह रायफल कोर्ट से दीपक दुबे के नाम रिलीज हो गई थी। बिकरू कांड में भी इस आर्म्स का उपयोग हुआ था। रिपोर्ट में पुलिस सुधार को लेकर भी कई अहम संस्तुतियां की गई हैं।
उल्लेखनीय कि कानपुर के बहुचर्चित बिकरू कांड में अपर मुख्य सचिव संजय भूसरेड्डी की अध्यक्षता में गठित तीन सदस्यीय एसआइटी की जांच में 80 अफसर व स्टाफ को दोषी पाया गया है। एसआइटी ने लगभग 3200 पेज की जांच रिपोर्ट शासन को सौंपी है। रिपोर्ट में लगभग सात सौ पेज मुख्य हैं, जिनमें दोषी पाये गये अफसर व स्टाफ की भूमिका के अलावा करीब 36 संस्तुतियां भी शामिल हैं। एसआइटी ने लगभग 50 पुलिस अफसरो व कर्मियों के अलावा जिला प्रशासन के अधिकारियों व कर्मियों के अलावा आबकारी विभाग के कुछ अधिकारियों व कर्मियों के विरुद्ध भी कार्रवाई की संस्तुति की है। बीते दिनों एसआइटी की रिपोर्ट मिलने के बाद सीएम योगी आदित्यनाथ ने पूरे प्रकरण मंन दोषी पाए गए अधिकारियों व कर्मियों के विरुद्ध कठोर कार्रवाई के निर्देश दिए थे।
फ्लैश बैक
कानपुर के बिकरू गांव में वर्ष 2020 की दो जुलाई की रात कुख्यात अपराधी विकास दुबे व उसके साथियों ने सीओ समेत आठ पुलिसकर्मियों की घेरकर मर्डर कर दी थी।पुलिस टीम बिकरू गांव में हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे को पकड़ने गई थी। लिस के दबिश देने की सूचना विकास दुबे को पहले ही मिल गई थी। एसटीएफ ने कुख्यात विकास दुबे को 10 जुलाईको पुलिस एनकाउंटर में मार गिराया था। शासन ने 11 जुलाई को एसआइटी गठित कर उसे नौ बिंदुओं पर जांच सौंपी थी। एसआइटी में एडीजी हरिराम शर्मा व डीआइजी जे.रवींद्र गौड बतौर सदस्य शामिल थे।