उत्तर प्रदेश: डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के घर लंच पर पहुंचे सीएम योगी आदित्यनाथ, Lunch Diplomacy से एकजुटता की कोशिश

सीएम योगी आदितयनाथ अचानक मंगलवार दोपहर लखनऊ स्थित डिप्टी सीएम केशव मौर्य के घर पहुंचे। लगभग साढ़े चार साल में यह पहला मौका है जब सीएम, डिप्टी सीएम के घर पहुंचे हैं। 

उत्तर प्रदेश: डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के घर लंच पर पहुंचे सीएम योगी आदित्यनाथ, Lunch Diplomacy से एकजुटता की कोशिश

लखनऊ। सीएम योगी आदितयनाथ अचानक मंगलवार दोपहर लखनऊ स्थित डिप्टी सीएम केशव मौर्य के घर पहुंचे। लगभग साढ़े चार साल में यह पहला मौका है जब सीएम, डिप्टी सीएम के घर पहुंचे हैं। 

बीजेपी के शीर्ष पदाधिकारियों तथा आरएसएस के बड़े पदाधिकारी भी रहे साथ

डिप्टी सीएम के घर भाजपा के कोर कमेटी के सदस्यों ने लंच किया।  कोर कमेटी के सदस्यों की एक बैठक भी हुई है। सीएम योगी के इस तरह अचानक डिप्टी सीएम के घर पहुंचने के कई राजनीतिक मायने निकाले जा रहे हैं। हालांकि बताया जा रहा है कि वह डिप्टी सीएम केशव मौर्य के बेटे-बहू को आशीर्वाद देने पहुंचे हैं।सीएम पद की शपथ लेने के बाद अपने साढ़े वर्ष के कार्यकाल में सीएम योगी आदित्यनाथ ने मंगलवार को पहली बार डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के घर पहुंचे। सीएम योगी आदित्यनाथ ने बीजेपी नेशनल कमेटी के शीर्ष पदाधिकारियों तथा आरएसएस के बड़े पदाधिकारी के साथ केशव प्रसाद मौर्य के घर पर दोपहर का भोजन भी किया। सीएम साथ डिप्टी सीएम डॉ. दिनेश शर्मा, भाजपा उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष स्वंत्रत देव सिंह, भाजपा उत्तर प्रदेश के महामंत्री संगठन सुनील बंसल, आरएसएस के सह सरकार्यवाह कृष्णगोपाल तथा क्षेत्र प्रचारक अनिल कौशल भी लंच में थे। सभी लोगों ने यहीं पर दोपहर का भोजन किया और केशव मौर्य के बेटे और बहू को आशीर्वाद दिया।

माना जा रहा है कि सीएम योगी आदित्यनाथ का केशव प्रसाद मौर्य के सरकारी आवास पर जाना उत्तर प्रदेश भाजपा तथा प्रदेश में एक जुटता का संदेश देने की कोशिश है। वहां पर सीएम योगी आदित्यनाथ करीब डेढ़ घंटा तक रहे। बताया जाता है कि लंबे समय से दोनों के बीच सबकुछ ठीक नहीं चल रहा था। डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और सीएम योगी आदित्यनाथ के बीच आपसी मनमुटाव भी काफी चर्चा में है। इससे पहले सोमवार की रात ही भाजपा की कोर कमेटी की बैठक सीएम के सरकारी आवास में हुई थी। इसमें सीएम योगी आदित्यनाथ, डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य, डिप्टी सीएम डॉ. दिनेश शर्मा, केंद्रीय संगठन मंत्री बीएल संतोष और प्रदेश प्रभारी राधा मोहन सिंह भी शामिल हुए थे।  कहा जा रहा है कि उत्तर प्रदेश में 2017 से भाजपा की सरकार बनने के बाद से सीएम योगी आदित्यनाथ और डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के बीच सब कुछ ठीक नहीं रहा है। केशव प्रसाद मौर्य 2017 में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष थे ।बीजेपी ने बड़ी जीत दर्ज कर 2017 में उत्तर प्रदेश में सरकार बना ली थी। माना जा रहा था कि केशव प्रसाद मौर्य ही अगले सीएम होंगे, लेकिन पार्टी ने योगी आदित्यनाथ को कुर्सी सौंप दी। तब केशव को डिप्टी सीएम पद से ही संतोष करना पड़ा था।  CM के दावेदार थे केशव, डिप्टी CM पद से संतुष्ट होना पड़ा।डिप्टी CM होने के बावजूद केशव को कम तवज्जो दी जाती रही। डिप्टी CM और CM के बीच आपसी मनमुटाव कई बार खुलकर भी सामने आ चुका है। एक हफ्ते पहले ही आगरा में एक कार्यक्रम में केशव मौर्य ने कहा था कि UP में CM का चेहरा दिल्ली से ही तय होगा।

बीजेपी कोर कमेटी की बैठक

BJP की कोर कमेटी की बैठक CM आवास पर सौमवर को हुई बैठक में सीएम योगी आदित्यनाथ, डिप्टी CM केशव प्रसाद मौर्य, डिप्टी CM डॉ. दिनेश शर्मा, केंद्रीय संगठन मंत्री बीएल संतोष और प्रदेश प्रभारी राधा मोहन सिंह भी शामिल हुए थे। बताया जा रहा है कि इस दौरान केंद्रीय नेतृत्व के सामने भी दोनों के बीच की अनबन खुलकर सामने आई थी। केशव ने पार्टी और सरकार में उपेक्षा की शिकायत की थी।
एकजुटता  के साथ बीच का रास्ता निकालने की कोशिश
UP में 2017 में BJP सरकार के गठन से लेकर अब तक सीए योगी आदित्यनाथ और डिप्टी CM केशव प्रसाद मौर्य के बीच सब कुछ ठीक नहीं रहा है। कई बार दोनों के बीच का विवाद खुलकर सामने भी आ चुका है। 2017 विधानसभा चुनाव के दौरान केशव मौर्य ने पिछड़े वर्ग में काफी अच्छी पैठ बना ली थी। इसी के सहारे UP में BJP की सरकार बनी थी।अब केशव के साथ 17% OBC वोट बैंक है। इसे किसी भी हालत में BJP गंवाना नहीं चाहती है। वहीं, योगी के हिंदूवादी चेहरे को भी प्रदेश में काफी पसंद किया जाता है। ऐसे में पार्टी योगी और केशव दोनों को ही नाराज नहीं करना चाहती है। इसलिए अब बीच का रास्ता निकालने की कोशिश की जा रही है।

योगी गुट के लोग हमेशा सरकार में हावी रहे। यहां तक कि केशव अपने मन से अपने ही विभाग के अफसरों को ट्रांसफर भी नहीं कर पाते थे। इसके लिए भी सीएम योगी आदित्यनाथ की मंजूरी लेनी पड़ती थी। इससे केशव सरकार में होने के बावजूद खुश नहीं थे।

योगी और केशव में टकराव हुआ

2017 में बीजेपी गवर्नमेंट बनने के बाद केशव प्रसाद मौर्य की नेमप्लेट एनेक्सी सीएमओ से हटा दी गई थी। विवाद बढ़ने पर दोनों लोगों का कार्यालय सचिवालय स्थित विधान भवन में स्थापित किया गया।
केशव की अगुवाई वाले लोक निर्माण विभाग (PWD) के कामकाज की समीक्षा सीएम योगी आदित्यनाथ खुद करने लगे थे। विभाग के अफसरों के साथ सीएम सीधे बैठक करने लगे थे। इससे केशव को दूर रखा जाता था।मुख्यमंत्री ने PWD के कामकाज की समीक्षा शुरू की तो केशव प्रसाद मौर्य ने CM योगी के अधीन लखनऊ डेवलपमेंट अथॉरिटी में भ्रष्टाचार को लेकर मुखर हो गये। उन्होंने इसके लिए सीएम को पत्र लिखकर जांच की मांग शुरू कर दी।
योगी आदित्यनाथ पर दर्ज मुकदमें आसानी से वापस हो ये। केशव प्रसाद मौर्य की बारी आई तो फाइलें इधर-उधर होने लगीं। PMO के हस्तक्षेप के बाद केशव के खिलाफ दर्ज मुकदमें हटा दिये गये। PWD के MD की नियुक्ति भी सीएमओ से होती थी। केशव जिन अफसरों का नाम सुझाव में देते थे, उन्हें नहीं नियुक्त किया जाता था। PWD निर्माण संबंधित जारी किए जा रहे बजट में सीएमओ के द्वारा बीते 4 साल में कई बार फाइलें वापस कर दी गईं। इसको लेकर केशव प्रसाद मौर्य और सीएमओ में कई बार हंगामा हुआ।