Uttar Pradesh: Mukhtar Ansari को 10 साल की सजा, पांच लाख का जुर्माना
उत्तर प्रदेश में गाजीपुर के अपर सत्र न्यायाधीश एमपी-एमएलए कोर्ट में जज दुर्गेश की कोर्ट ने माफिया मुख्तार अंसारी और उनके करीबी भीम सिंह को 1996 के गैंगस्टर केस में 10-10 वर्ष कारावास की सजा सुनाई है। मुख्तार के इस केस 26 साल बाद फैसला आया है।
- गैंगस्टर केस में 26 साल बाद आया फैसला
गाजीपुर। उत्तर प्रदेश में गाजीपुर के अपर सत्र न्यायाधीश एमपी-एमएलए कोर्ट में जज दुर्गेश की कोर्ट ने माफिया मुख्तार अंसारी और उनके करीबी भीम सिंह को 1996 के गैंगस्टर केस में 10-10 वर्ष कारावास की सजा सुनाई है। मुख्तार के इस केस 26 साल बाद फैसला आया है।
#WATCH | Ghazipur additional district government counsel (criminal) Neeraj Srivastava says, "A case was registered against Mukhtar Ansari and his aide Sonu Yadav in 2010. In connection with that case, both the accused were pronounced guilty yesterday and today arguments on the… https://t.co/hVsOHFXn9a pic.twitter.com/fK2QZq71Ii
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) October 27, 2023
केस में सुनवाई के दौरान अभियोजन की तरफ से 11 गवाह पेश किये गये। 51 तारीखों में यह फैसला आया है। कोर्ट ने पांच-पांच लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया। सुनवाई के लिए मुख्तार अंसारी को वीडियो कॉन्फ्रेंस से पेश किया गया। फैसले के बाद भीम सिंह को पुलिस सुरक्षा में जिला कारागार भेज दिया गया।मुख्तार अंसारी व भीम सिंह के खिलाफ गैंगस्टर का मुकदमा पहले एमपी-एमएलए कोर्ट प्रयागराज में काफी दिनों तक चला। इसके बाद प्रयागराज से ट्रांसफर होकर 27 जनवरी 2022 को गाजीपुर में स्थापित एमपी -एमएलए कोर्ट रामसुध सिंह के कोर्ट में आया। वहां अभियोजन की तरफ से कुल 11 गवाह पेश किए गए। बहस 14 नवंबर से चल रही थी।
न्यायाधीश रामसुध सिंह ने 25 नवंबर को सजा सुनाने की तिथि निर्धारित की थी। इस बीच उनका ट्रांसफर हो गया। इसके बाद पत्रावली को देखने का अधिकार हाई कोर्ट प्रयागराज ने न्यायाधीश दुर्गेश को सौंपा। कोर्ट में सात दिनों तक लगातार बहस चली और फैसले की तिथि 15 दिसंबर नियत हुई। कोर्ट ने मुख्तार अंसारी व उसके करीबी भीम सिंह निवासी ग्राम रामनथपुर को को दोषी पाते हुए 10-10 साल की कारावास की सजा सुनाई है। अभियोजन की तरफ से विशेष लोक अभियोजक नीरज श्रीवास्तव ने पैरवी की।
13 साल से ‘दफन’ है कपिलदेव सिंह की मर्डर का राज
गांव सुआपुर में 19 अप्रैल 2009 को सुबह 10 बजे कपिलदेव सिंह की उनके घर के सामने ही गोली मारकर मर्डर कर दी गई। खेती किसानी व गाय से नाता रखने वाले कपिलदेव सिंह की मर्डर को लेकर हकीकत यह है कि 13 साल बाद भी उनकी पत्नी व बेटों संतोष सिंह व मृत्युंजय सिंह साथ ही ग्रामीणों को पता नहीं कि आखिर उनकी मर्डर क्यों हुई।कपिलदेव सिंह की वाइफ सुमित्रा बतातीं है कि वह गंगा स्नान से आने के बाद सुखाने के लिए साड़ी डाल रही थी। देखा कि दो लोग बरामदे में चौकी पर बैठकर उनके हसबैंड से बातचीत कर रहे हैं। काफी देर बाद उनके हसबैंड दोनों लोगों को छोड़ने के लिए बाहर निकले। बाइक सवार दोनों लोग चले गये। इसके बाद वह लघुशंका करने के बाद कटहल के पेड़ के नीचे बंधी गाय का गोबर उठाने लगे। इतने में वापस लौटकर आए हमलावरों ने दो गोली मारकर मर्डर कर दी। हत्या के बाद वह स्पीड से भाग निकले।
कई लोगों को टक्कर मारते-मारते बचे। कमरे में पढ़ाई कर रहे उनके छोटे बेटे मृत्युंजय सिंह ने गोली की आवाज सुनकर बाहर देखा तो पिता जी लहूलुहान हालत में पड़े थे। मौके पर ही उनकी मौत हो गई थी।सुमित्रा का कहना है कि उनकी किसी से कोई दुश्मनी ही नहीं है। मुखबिरी की बात झूठी है। वह तो केवल खेती और गाय में लगे रहे थे। बाहर भी निकलना बहुत कम होता था। मां और छोटे बेटे मृत्युंजय सिंह का कहना है कि आज तक वह यह समझ नहीं पाए कि आखिर उनकी हत्या का कारण क्या था? उनकी किसी से कोई दुश्मनी तो दूर तेज आवाज में भी बात नहीं करते करते थे। इस मुकदमे के वादी छोटे बेटे ही रहे। परिजन का कहना है कि दोनों हत्यारों ने कपिलदेव सिंह से किसी के बारे में पूछताछ की। कुछ देर बातचीत करने के बाद वह कपिलदेव सिंह के कच्चे मकान के बरामद में साथ बैठे। यहां उन्होंने पानी पिया और बातचीत की। फिर कपिलदेव सिंह ने उन्हें गेट के बाहर खड़ी बाइक तक छोड़ा।