बिहार: PMCH में 150 की जगह 348 सिलेंडर की खपत, हाई कोर्ट, पूछा- आखिर सिलेंडर कहां गया?

बिहार गवर्नमेंट ने स्टेट सबसे बड़े गवर्नमेंट पटना मेडिकल कॉलेज (पीएमसीएच) में जरूरत से ज्यादा ऑक्सीजन की सप्लाई दिखाई है। हालांकि गवर्नमेंट के इन दावों की शुक्रवार को पटना हाईकोर्ट में पोल खुल गई।कोर्ट ने पूछा कि आखिर ऑक्सीजन सिलेंडर कहां गए। कोर्ट ने सरकार की तरफ से दाखिल रिपोर्ट की सत्यता पर भी सवाल उठाये। 

बिहार: PMCH में 150 की जगह 348 सिलेंडर की खपत, हाई कोर्ट, पूछा- आखिर सिलेंडर कहां गया?

पटना। बिहार गवर्नमेंट ने स्टेट सबसे बड़े गवर्नमेंट पटना मेडिकल कॉलेज (पीएमसीएच) में जरूरत से ज्यादा ऑक्सीजन की सप्लाई दिखाई है। हालांकि गवर्नमेंट के इन दावों की शुक्रवार को पटना हाईकोर्ट में पोल खुल गई।कोर्ट ने पूछा कि आखिर ऑक्सीजन सिलेंडर कहां गए। कोर्ट ने सरकार की तरफ से दाखिल रिपोर्ट की सत्यता पर भी सवाल उठाये। 

होम आइसोलेशन में रह रहे गंभीर पेसेंट को जरूरत पड़ने पर ऑक्सीजन सिलेंडर कैसे पहुंचाया जायेगा। पटना हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को इस संबंध में सोमवार तक जवाब दाखिल करने को कहा है। बेंच ने चीफ सेकरेटरी से यह भी पूछा कि स्टेट में 18 से 45 वर्ष के लोगों को कब से कोविड का टीका लगना शुरू होगा।चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली बेंच ने कोरोना संक्रमण के इलाज में ऑक्सीजन की दिक्कतों पर चीफ सेकरटेरी की ओर से दाखिल हलफनामे पर विचार किया। मामले पर सुनवाई के दौरान जस्टिस शिवाजी पांडे ने राज्य सरकार से कई सवाल किये। कोर्ट ने पूछा कि स्टे में ऑक्सीजन की कमी क्यों है। कोर्ट ने सरकार से जानना चाहा कि जो लोग घर पर रहकर अपना इलाज करा रहे हैं, उन्हें ऑक्सीजन की कमी होने पर राज्य सरकार किस तरह ऑक्सीजन उपलब्ध करा रही है? 

हलफनामा में कहा गया कि स्टेट में जिस रफ्तार से कोविड मरीजों की संख्या बढ़ रही है उस मुताबिक राज्य को प्रत्येक दिन 300 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की जरूरत है। इस पर कोर्ट ने कहा कि स्टेट गवर्नमेंट सेंट्रल से निर्धारित कोटा का सौ परसेंट रोजाना उठाव तक नहीं कर पा रही है। अब 300 एमटी ऑक्सीजन कोटा बढ़ाने की बात कर रही है। सेंट्रल गवर्नमेंट की ओर से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ने कोर्ट को बताया कि सेंट्रल स्टेट गवर्नमेंट को सात ऑक्सीजन टैंकर जल्द ही उपलब्ध करा देगी। दो टैंकर दो दिनों के भीतर पहुंच जायेंगे। सात टैंकर मिलने के बाद राज्य सरकार रोजाना 300 एमटी ऑक्सीजन का उठाव कर सकेगी। 

ऑक्सीजन पर सच्चाई कुछ और
कोर्ट ने स्टेट गवर्नमेंट से जानना चाहा कि एक ओर ऑक्सीजन की उपलब्धता की कमी बतायी जा रही है और दूसरी ओर पीएमसीएच में जरूरत से ज्यादा ऑक्सीजन की सप्लाई की गई। आखिर ऑक्सीजन सिलेंडर कहां गया। इस बात पर राज्य सरकार के प्रतिनिधि ने कोर्ट मित्र की ओर से दाखिल रिपोर्ट की सत्यता पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह सही नहीं है। कोर्ट के कड़े रुख और सवाल पूछे जाने पर चुप्पी साध ली गई। जस्टिस शिवाजी पांडे ने कहा कि शपथपत्र में यह बताने की कोशिश है कि सरकार ऑक्सीजन की उपलब्धता के लिए लगातार आवश्यक कदम उठा रही है।अस्पतालों में इसकी उपलब्धता सुनिश्चित कर रही है, लेकिन सच्चाई कुछ और है।

जस्टिस शिवाजी पांडेय के कार्यकाल का शुक्रवार को अंतिम कार्यदिवस होने के कारण चीफ जस्टिस संजय करोल के अनुरोध पर सभी आदेश जस्टिस शिवाजी पांडेय ने दिए। जस्टिस पांडेय ने अपने कार्यकाल के अंतिम केस के रूप में सुनवाई की। अब मामलों पर अगली सुनवाई सोमवार को सुबह साढ़े दस बजे होगी। 

स्पेशलिस्ट कमेटी का गठन क्यों नहीं
कोर्ट ने कोरोना दवाओं की कालाबाजारी का भी मुद्दा उठाया। वहीं सीनियर वकील एसडी संजय ने कोर्ट के पूर्व के आदेश का हवाला देते हुए कहा कि राज्य सरकार की ओर से कोरोना से लड़ने के लिए एक हाइ लेवल स्पेशलिस्ट की कमेटी पटना एम्स डायरेक्टर के नेतृत्व में गठन करने की बात कही गई थी लेकिन अब तक कमेटी का गठन नहीं हो सका है। इसपर चीफ जस्टिस ने महाधिवक्ता से जानना चाहा कि विशेषज्ञों की कमेटी क्यों नहीं गठित की गई। कोर्ट ने सोमवार तक विशेषज्ञों की कमेटी गठित करने की बात कही। संजय ने कोर्ट को यह भी बताया कि कोरोना जांच के लिए प्राइवेट लेबोरेटरी अधिक पैसा वसूल रहे हैं। जिस प्रकार राज्य सरकार ने एंबुलेंस सेवा तथा प्राइवेट अस्पतालों के लिए दर तय की है। उसी प्रकार कोविड जांच के लिए भी किया जाना चाहिए। 

बायो मेडिकल वेस्ट का डिस्पोजल कैसे हो रहा
बेंच ने हॉस्पीटल तथा अपने घरों में रह इलाज करा रहे लोगों से निकलने वाले बायो मेडिकल वेस्ट का डिस्पोजल किस तरीक़े से किया जा रहा है। उस बारे में पूरी जानकारी पेश करने का निर्देश पटना नगर निगम को दिया ताकि बीमारी को फैलने से रोका जा सके। मामले पर अगली सुनवाई की तारीख सोमवार को तय की गई।

जब्त सिलेंडर हॉस्पीटल को देने पर विचार
पटना एम्स के एडवोकेट विनय कुमार पांडेय ने कालाबाजारी करने वालों से जब्त किये गये ऑक्सीजन सिलेंडरों को पुलिस से वापस लेकर संबंधित जिले के सिविल सर्जन या कोविड अस्पताल के हवाले करने की गुहार कोर्ट से लगाई। उनका कहना था कि पुलिस के जब्त सामान छुड़ाने के लिए लोअर कोर्ट से आदेश लिया जाता है। अभी लोओर कोर्ट बंद है। ऐसे में काफी समय लग जायेगा। राज्य में ऑक्सीजन की जरूरत है। कोर्ट ने इस बारे में भी राज्य सरकार को जब्त हुए ऑक्सीजन सिलेंडरों को पुलिस से वापस लेने का कोई कानूनी गाइडलाइन अगर सरकार के पास है तो उसे सोमवार तक कोर्ट में पेश करने का निर्देश दिया। ताकि कोर्ट जरूरी निर्देश जारी कर सके।