Bihar : Youtuber मनीष कश्यप को पटना हाई कोर्ट से बड़ी राहत, Fake Video केस में मिली बेल
पटना हाईकोर्ट ने यूट्यूबर त्रिपुरारी कुमार तिवारी उर्फ मनीष कश्यप को हथकड़ी लगाकर वीडियो बनाने और सोशल मीडिया पर वायरल करने के मामले में बेल दे दी है। जस्टिस सुनील कुमार पनवार की सिंगल बेंच ने संबंधित पक्षों की दलीलें सुनने के बाद मनीष कश्यप की बेल की स्वीकृति दे दी।
पटना। पटना हाईकोर्ट ने यूट्यूबर त्रिपुरारी कुमार तिवारी उर्फ मनीष कश्यप को हथकड़ी लगाकर वीडियो बनाने और सोशल मीडिया पर वायरल करने के मामले में बेल दे दी है। जस्टिस सुनील कुमार पनवार की सिंगल बेंच ने संबंधित पक्षों की दलीलें सुनने के बाद मनीष कश्यप की बेल की स्वीकृति दे दी।
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मनीष कश्यप को जेल से बाहर आने के लिए अभी कई प्रक्रिया से गुजरना होगा। मनीष के खिलाफ दूसरे स्टेट में भी FIR दर्ज है। ऐसे में अन्य केस की जानकारी मिलने के बाद ही मनीष के जेल से बाहर आ सकते हैं। अभी मनीष कश्यप को बेउर जेल में रखा गया है। मनीष का हथकड़ी लगा फोटो वायरल होने के मामले में उनके खिलाफ आर्थिक अनुसंधान इकाई द्वारा 5/23 में एक FIR दर्ज की गई थी। मनीष कश्यप के अधिवक्ता आदेश राज सिंह एवं सौरभ राय ने बताया कि उनके विरुद्ध कई मामले थे जिनमें से कुछ मामलों में जिला न्यायालय और पटना हाई कोर्ट से पहले ही बेल मिल चुकी है। अब मनीष के विरुद्ध अन्य सभी मामलों में कोर्ट द्वारा बेल दी जा चुकी है।
पिछले दिनों एक वीडियो जमकर वायरल हुआ था। वायरल वीडियो में कोर्ट मेंपेशी के दौरान मनीष कश्यप ने लालू यादव के खिलाफ गंभीर आरोप लगाया था। हथकड़ी मे जकड़े मनीष ने डिप्टी सीएमम तेजस्वी यादव पर जमकर भड़ास निकाली थी। उन्होंने जेल के अंदर की व्यवस्था पर सवाल उठाये। इसके बाद सुरक्षाकर्मियों पर कार्रवाई करते हुए मनीष की कोर्ट में सदेह पेशी पर रोक लगा दी गई। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से पेशी करायी जा रही थी।
17 मार्च को आया कुर्की-जब्ती का आदेश, 18 को किया सरेंडर
मझौलिया पुलिस ने इस केस में 17 मार्च 2023 को कोर्ट से कुर्की जब्ती आदेश प्राप्त किया था। कुर्की करने के लिए पुलिस पहुंची भी थी। 18 मार्च को मनीष कश्यप ने जगदीशपुर पुलिस स्टेशन में सरेंडर कर दिया था, क्योंकि तमिलनाडु मं बिहारी मजदूरों के साथ मारपीट मामले से संबंधित कथित वीडियो वायरल मामले में बिहार आर्थिक अपराध ईकाई की पुलिस जांच कर रही थी। इसलिए मझौलिया पुलिस मनीष को इस केस में रिमांड के लिए बेतिया कोर्ट में उपास्थापन नहीं करा सकी। बिहार आर्थिक अपराध ईकाई की पुलिस मनीष कश्यप को लेकर पटना चली गई। बिहार पुलिस की पूछताछ के बाद तमिलनाडु पुलिस ने भी उन्हें अरेस्ट कर लिया। तमिलनाडु पुलिस मनीष को मदुरै ले गई। तमिलनाडु पुलिस ने यूट्यूबर पर एनएसए (राष्ट्रीय सुरक्षा कानून) की धाराओं में कार्रवाई शुरू कर दी। हालांकि बाद में मदुरै कोर्ट ने मनीष कश्यप पर लगे एनएसए को हटाने का आदेश जारी किया। बाद में मनीष अन्य मामले में मदुरई जेल चला गया। बाहरहाल मनीष कश्यप को बेतिया न्यायालय में उपस्थापन कराने की प्रक्रिया चलती रही। विगत 30 मई को सेंट्रल कारा मदुरई के सुपरिटेंडट द्वारा इस बाद में वांछित अभियुक्त त्रिपुरारी कुमार तिवारी उर्फ मनीष कश्यप को बेतिया न्यायालय में उपास्थापन के लिए एक अन्य तिथि देने का अनुरोध किया था।
कोर्ट ने सेंट्रल जेल मदुरई के सुपरिटेंडेंट के अनुरोध को कर दिया था अस्वीकार
12 जून को सेंट्रल कारा मदुरई के सुपरिटेंडेंट ने बेतिया कोर्टसे मनीष कश्यप का उपास्थापन कराने में असमर्थता व्यक्त करते हुए उसे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से उपस्थापन कराने का अनुरोध किया। सुपरीटेंडेंट ने वाट्सऐप नंबर भी दिया। लेकिन मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से अभियुक्त के उपास्थापन कराने सुपरिटेडेंट को दिया था।
तमिलनाडु गवर्नमेंट ने मनीष पर लगाया था NSA
मनीष पर NSA लगाने के स्टेट गवर्नमेंट के फैसले को तमिलनाडु के गवर्नर रविंद्र नारायण रवि ने मंजूरी दे दी थी। मई माह में इसकी नोटिफिकेशन जारी कर दी गयी है।तमिलनाडु गवर्नमेंच ने पांच अप्रैल को मनीष कश्यप पर NSA लगाया था। नेशनल सिक्योरिटी एक्ट के अनुसार आरोपी व्यक्ति को तीन महीने के लिए बिना जमानत के कस्टडी में रखा जा सकता है। इसकी अवधि बढ़ाई भी जा सकती है। कस्टडी में रखने के लिए आरोप तय करने की भी जरूरत नहीं होती। कस्टडी की अवधि को 12 महीने तक किया जा सकता है।
सुप्रीम कोर्ट से भी नहीं मिली थी राहत
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट से भी मनीष कश्यप को झटका लगा है। कोर्ट ने मनीष कश्यप की सारी दलीलें खारिज करते हुए इस मामले में हाईकोर्ट जाने का आदेश दिया था। मनीष के वकील ने बिहार और तमिलनाडु में दर्ज सभी एफआईआर को क्लब करने, रेगुलर बेल देने और NSA हटाने के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। मनीष पर तमिलनाडु में बिहारियों की पिटाई के फेक वीडियो प्रसारित करनेके आरोप हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई से किया था इंकार
इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जेबी पारदीवाला ने पूर्व की सुनवाई में कहा था कि तमिलनाडु एक शांत राज्य है। क्या आप कुछ भी प्रसारित करके राज्य में अशांति पैदा करेंगे। हम इन सब पर सुनवाई नहीं कर सकते। सुप्रीम कोर्ट ने मनीष कश्यप के खिलाफ सभी 19 एफआइआर को मिलाने और उन्हें बिहार ट्रांसफर करने की अनुरोध करनेवाली याचिका को भी खारिज कर दिया। बेल और तमिलनाडु सरकार की तरफ से लगाया गया NSA हटाने पर भी आदेश नहीं दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राहत के लिए हाई कोर्ट जाइए। यूटयूबर मनीष कश्यप ने तमिलनाडु पुलिस की ओर से लगाये गये राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका में उन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा कानून हटवाने, बिहार व तमिलनाडु में दर्ज अलग-अलग मामलों को एक जगह ट्रांसफर करने और बेल देने के लिए गुहार लगाई थी। मनीष कश्यप को यहां से भी राहत नहीं मिली।
सुप्रीम कोर्ट ने बिहार और तमिलनाडु गवर्नमेंट से मांगा था जवाब
पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने यूट्यूबर मनीष कश्यप की अर्जी पर सुनवाई करते हुए बिहार और तमिलनाडु गवर्नमेंट से जवाब मांगा है। कोर्ट ने दोनों स्टेट की गवर्नमेंट से कहा कि मनीष के खिलाफ दर्ज सभी पांच FIR को एक साथ क्लब किया जाए। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस कृष्णा मुरारी की अगुवाई वाली बेंच ने केंद्र, तामिलनाडु और बिहार सरकार को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने को कहा था। याचिकाकर्ता ने कहा है कि उनके खिलाफ दो स्टेट में पांच केस दर्ज किये गये हैं जिन्हें क्लब किया जाए। मनीष कश्यप की ओर से सीनियर एडवोकेट सिद्धार्थ दवे पेश हुए।उन्होंने कहा कि याची के खिलाफ पांच केस दर्ज हुए हैं। यह केस तमिलनाडु और बिहार में दर्ज हुए हैं। याची के वकील के दलील दी कि अर्नब गोस्वामी केस का उदाहरण सामने हैं। एक मामले में कई जगह कार्रवाई नहीं चलाई जा सकती है।याची के वकील ने कहा कि वह कोर्ट से आग्रह करते हैं कि बिहार के केस के साथ बाकी केस भी क्लब कर दिया जाए। उन्हें तमिलनाडु में दर्ज केस में ले जाया जा रहा है और उन्हें भाषा की दिक्कत है, क्योंकि वहां की भाषा उन्हें समझ में नहीं आती है। सुप्रीम कोर्ट में तमिलनाडु सरकार की ओर से कपिल सिब्बल पेश हुए और कहा कि मनीष कश्यप ने जो किया है उससे कई लोगों की जान चली गई है। यह घटना साधारण घटना नहीं है। कश्यप को एनएसए के तहत कस्टडी में भी लिया गया है। वहीं, याची के वकील ने कहा कि कश्यप के खिलाफ दर्ज केस रद्द किया जाना चाहिए। तमिलनाडु पुलिस के एसपी के मुताबिक, तमिलनाडु में बिहार के प्रवासी मजदूरों पर हमले का फर्जी विडियो मनीष कश्यप ने प्रसारित किया था। इस कारण उसे कस्टडी में लिया गया था। पांच अप्रैल को मदुरै की जिला कोर्ट में कश्यप को पेश किया गया था उसे ज्यूडिशियल कस्टडी में भेजा गया।
तमिलनाडु के मदुरई सेंट्रल जेल से लाया गया था पटना
29 मार्च को तमिलनाडु पुलिस मनीष कश्यप को प्रोडक्शन वारंट पर अपने साथ चेन्नई ले गई थी। वहां मदुरई कोर्ट में पेश करने के बाद पुलिस को तीन दिनों की रिमांड मिली थी, जिसमें उससे पूछताछ की गई थी। अभी फिलहाल वह 19 अप्रैल तक ज्यूडिशियल कस्टडी में है। मनीष के खिलाफ NSA के तहत भी मामला दर्ज किया गया है। कई माह बाद मीष को पेशी के लिए बिहार लागाया गया था। कोर्ट के आदेश पर उसे पटना जेल में रखा गया है।
मनीष के चार बैंक अकाउंट्स फ्रीज, लाखों रुपये हैं जमा
मनीष कश्यप के खिलाफ बिहार पुलिस की आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू) पहले ही कार्रवाई करते हुए उसके यूट्यूब चैनल के बैंक अकाउंट्स को फ्रीज कर चुकी है। मनीष के अलग-अलग चार बैंक अकाउंट्स में कुल 42 लाख 11 हजार 937 रुपये जमा हैं।