Chhath Puja 2024: नहाय खाय से शुरू हुआ चार दिवसीय लोक आस्था का महापर्व छठ, खरना कल
नहाय खाय से लोक आस्था का चार दिवसीय महापर्व छठ मंगलवार से शुरू हो गया।व्रतियों ने स्नान कर छठ व्रत का संकल्प लिया।
पटना। नहाय खाय से लोक आस्था का चार दिवसीय महापर्व छठ मंगलवार से शुरू हो गया।व्रतियों ने स्नान कर छठ व्रत का संकल्प लिया। उसके बाद अरवा चावल का भात, चने की दाल और कद्दू (लौकी) की सब्जी ग्रहण किया। इसमें परिवार के सदस्य भी शामिल रहे
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चार दिवसीय छठ पर्व की शुरुआत मंगलवार को नहाय-खाय के साथ हुई। दूसरे दिन यानी छह नवंबर को खरना अनुष्ठान होगा। सात नवंबर को व्रती छठ घाट पर अस्ताचलगामी भगवान सूर्य को अर्घ्य देंगे। आठ नवंबर को उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ इसका समापन होगा। लोक आस्था के महापर्व की गूंज जिले के कोने-कोने में होने लगी है। छठ घाट जहां सज धज कर तैयार हैं, वही जिन घरों में व्रती हैं वहां नहाय खाय के साथ चार दिवसीय लोक आस्था छठ पूजा का शुभारंभ हो गया। व्रती महिलायें अहले सुबह से ही उठ कर उन घाटों की ओर जाने लगी, जहां उन्हें स्नान कर खरना करना था। व्रती महिलाओं ने बताया कि आज से छठ महा पूजा की तैयारी शुरू हो गयी है। नहाय-खाय के बाद व्रती खरना की तैयारी में जुट गये हैं। इस दौरान व्रतियों ने खरना के लिए गेहूं धोकर सुखाया और मिट्टी के चूल्हे को अंतिम रूप दिया। छतों पर गेहूं सूखा रही व्रती महिलाओं के मुख से छठ माई पर आधार गीत... पहिले पहिले हम कइली, छठी मईया बरत तोहार.....जैसे गुनगुना रही थी।
व्रतियों का कहना है कि नहाय खाय के साथ ही उनकी कठिन परीक्षा शुरू हो गयी है। लेकिन, उन्हें पूरा विश्वास हैं कि छठी मईया के तप से उनका व्रत सहज तरीके से संपन्न हो जाएगी। महिलाओं में नई नवेली बहुरिया भी थी जो पहली बार व्रत कर रही थी। छठ महापर्व को लेकर पांच नवंबर को नहाय-खाय से अनुष्ठान की शुरुआत हुई। व्रती सुबह स्नान-ध्यान कर भगवान सूर्य को अर्घ्य देकर उनसे शक्ति की कामना किये। इसके बाद घरों में पूजा-अर्चना कर कद्दू की सब्जी, अरवा चावल का भात व चना दाल तैयार हुआ। इसे भगवान को अर्पित करने के बाद स्वयं ग्रहण किया, फिर प्रसाद स्वरूप वितरित भी किया गया। दूसरे दिन यानी छह नवंबर को खरना अनुष्ठान होगा।दिन भर उपवास रह कर सूर्यास्त के बाद व्रती भगवान की पूजा-अर्चना कर गुड़ की खीर, रोटी, केला का नैवेद्य देने के बाद स्वयं इसे ग्रहण करेंगे। इसके साथ ही व्रतियों का 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू होगा। वहीं तीसरे दिन यानी सात नवंबर को व्रती छठ घाट पर अस्ताचलगामी भगवान सूर्य को अर्घ्य देंगे।
प्रसाद वितरण के बाद व्रती घर पहुंच करेंगे पारण
इससे पूर्व प्रात: स्नान-ध्यान के बाद प्रसाद बनाने की तैयारी शुरू करेंगे। दोपहर तक प्रसाद तैयार कर डाला भरेंगे। इसके बाद परिजनों व सगे-संबंधियों के साथ लोकगीत गाते हुए छठ घाट पहुंचेंगे। आठ नवंबर को उदयाचलगामी भगवान भास्कर को अर्घ्य देने के बाद हवन कर सबके लिए मंगलकामना करेंगे। प्रसाद वितरण के बाद व्रती घर आकर पारण करेंगे। छठ पर्व पर होगा रेड कारपेट पर स्वागत छठ को लेकर तैयारियां जोरों से चल रही है। घाटों को साफ करने के साथ ही उसके आस पर स्वच्छता और सुरक्षा के इंतजाम किए जा रहे हैं। छठ समितियां तैयारियों को अंतिम रूप देने में जुटी हुई है। कई स्थानों पर छठ के लिए बनाये जा रहे घाटों पर व्रतियों का स्वागत रेड कारपेट पर होगा।
खरना पूजा का महत्व
खरना का अर्थ है शुद्धता। यह दिन नहाए खाए के अगले दिन मनाया जाता है। पंडित के अनुसार, इस दिन अंतर मन की स्वच्छता पर जोर दिया जाता है। खरना छठ पूजा के सबसे महत्वपूर्ण दिनों में से एक हैं। ऐसा कहा जाता है, इसी दिन छठी मैया का आगमन होता है, जिसके बाद व्रतियों का 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू हो जाता है। खरना पूजन के दिन सबसे पहले उपासक को स्नानादि से निवृत हो जाना चाहिए। इसके बाद भगवान सूर्य को अर्घ्य देना चाहिए। शाम के समय मिट्टी के चूल्हे पर साठी के चावल, गुड़ और दूध की खीर बनाना चाहिए। भोग को सबसे पहले छठ माता को अर्पित करना चाहिए। अंत में व्रती को प्रसाद ग्रहण करना चाहिए। इस दिन एक समय ही भोजन का विधान है। इसी दिन से ही 36 घंटे के लिए निर्जला व्रत की शुरुआत हो जाती है। छठ पूजा के चौथे दिन भोर में अर्घ्य देकर इस व्रत का समापन किया जाता है।