छत्तीसगढ़: बोरवेल से बाहर निकलने के बाद राहुल अपोलो हॉस्पिटल के ICU में इलाजरत, CM भूपेश ने की मुलाकात
छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चांपा जिले के ग्राम पिहरीद में गिरे बोरवेल के गड्ढे से राहुल (10) को 105 घंटे तक लगातार चले रेस्क्यू के बाद मंगलवार की रात 11.56 बजे उसे सुरक्षित निकाल लिया गया। ग्रीन कारिडोर बनाकर उसे बिलासपुर के अपोलो हॉस्पिटल के आइसीयू में एडमिट कराया गया है। राहुल को बुधवार सुबह हल्का बुखार था। उसने खिचड़ी खाई और जूस भी पिया। सीएम भूपेश बघेल हॉस्पिटल में राहुल से मिलउसका हाल जाना। उसका हौसला भी बढ़ाया।
रायपुर। छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चांपा जिले के ग्राम पिहरीद में गिरे बोरवेल के गड्ढे से राहुल (10) को 105 घंटे तक लगातार चले रेस्क्यू के बाद मंगलवार की रात 11.56 बजे उसे सुरक्षित निकाल लिया गया। ग्रीन कारिडोर बनाकर उसे बिलासपुर के अपोलो हॉस्पिटल के आइसीयू में एडमिट कराया गया है। राहुल को बुधवार सुबह हल्का बुखार था। उसने खिचड़ी खाई और जूस भी पिया। सीएम भूपेश बघेल हॉस्पिटल में राहुल से मिलउसका हाल जाना। उसका हौसला भी बढ़ाया।
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पांच दिन बाद अपने लाडले को देखकर रो पड़ी मां, माथा चूमकर कहती रही 'मेरा लाल'
बिलासपुर के अपोलो हॉस्पिटल में एडमिट राहुल से पांच दिन बाद राहुल से उसकी मां मिलीं। मां गीता साहू बार-बार बेटे का माथा चूमती रही। मेरा लाल... मेरा लाल... कहकर सिर पर हाथ फेरती रही। दुलार करती रही है। वह राहुल के एक-एक जख्मों को देख रहीं थीं। मानो वह आज ही सभी जख्मों को अपने स्नेह से भर देना चाहती हो। यह हृदय विदारक दृश्य देखकर सबकी आंखें भर आई। राहुल सुन नहीं सकता, लेकिन मां के हाथों में वो जादू है, जिससे सिर्फ महसूस किया जा सकता है। ऐसे में सुनने की जरूरत ही कहां थी। राहुल बोल भी नहीं सकता। राहुल आईसीयू में एकटक मां को ही देखता रहा। मां भी उसे निहारती रही...। फिर शब्दों की किसे जरूरत है। राहुल और उसकी मां का प्यार देखकर तो लगा जैसे दोनों को पूरी दुनिया मिल गई हो। राहुल भी बार-बार मां और बाबू ही कहता रहा। राहुल के बोरवेल में गिरने की घटना से गीता बेहद डर गई थी। गीता ने पांच दिन से कुछ नहीं खाया है और न सोयी। वह कहती हैं कि भगवान कैसे होते हैं, बीते पांच दिनों में मैंने देखा है।
राहुल को बचाने वाले सभी लोग भगवान
गीता का कहना है कि मेरा बेटा राहुल खाई में गिरा था। आर्मी, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ व पुलिस व प्रशासन के लोग उसे बचाने दिन-रात काम कर रहे थे। भूखे-प्यासे, बिना सोये रेस्क्यू ऑपरेशन चला रहे थे, जिन्होंने पांचवें दिन राहुल को बोरवेल से निकाल लिया। यह सब मेरे लिए साक्षात भगवान हैं। मैंने तो सिर्फ पैदा किया है, लेकिन सब ने मिलकर उसे नया जीवन दिया है। देशभर के करोड़ों लोगों की दुआओं ने असर किया है, जिससे मेरा लाल आज मेरे सामने है। गीता कहतीं हैं कि सरकार, प्रशासन और बेटे को निकालने में लगी टीम को जीवन भर दुआएं दूंगी। भगवान सभी के बच्चों को लंबी उम्र दे।
मां ने ही गड्ढे में सुनी थी बेटे रोने की आवाज
पिहरीद गांव में मासूम राहुल बोरवेल के गड्ढे में गिर गया था। गीता ने ही सबसे पहले खोजते हुए राहुल को बोरवेल में पाया था। उन्होंने बताया कि शुक्रवार को राहुल घर के बाहर खेल रहा था। जब बहुत देर तक नहीं आया तो चिंता हुई। मैं उसे ढूंढने निकली तो बोरवेल के पास से राहुल के रोने की आवाज आई। मैं करीब गई और कान लगाकर सुना तो राहुल ही रो रहा था। हमने पुलिस को सूचना दी। कलेक्टर-एसपी सहित प्रशासनिक टीम मौके पर पहुंच गई और रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया। कका जी (सीएम भूपेश बघेल) ने बात की और राहुल को निकालने का भरोसा दिलाया।
दिल्ली से लौटते ही बिलासपुर हॉस्पिटल सीएम भूपेश
दिल्ली से लौटते ही सीएम भूपेश बघेल राहुल को देखने बिलासपुर के अपोलो हॉस्पिटल पहुंचे। उन्होंने राहुल की मां गीता और अन्य परिजनों से मुलाकात की। राहुल के स्वास्थ्य के संबंध में डॉक्टरों से जानकारी ली। इस दौरान राहुल की मां गीता, सीएम का आभार जताने लगी। उसकी आंखों से आंसू टपक रहे थे। वह सीएम के पैरों में गिर गई। वह कहती रही आप हमारे लिए भगवान हो, जिस पर बघेल ने कहा कि हमने सिर्फ अपना फर्ज निभाया है। राहुल की हिम्मत से हमने यह रेस्क्यू ऑपरेशन पूरा किया। रेस्क्यू टीम ने बेहतर काम किया। सीएम ने कहा कि बच्चे की पढ़ाई-लिखाई की व्यवस्था अब छत्तीसगढ़ सरकार करेगी। इस दौरान सीएम भूपेश बघेल मासूम से बात भी करने कोशिश करते रहे, लेकिन वह बाबू-बाबू ही कहता रहा...।
उल्लेखनीय है कि विगत शुक्रवार को दोपहर में लगभग तीन बजे रामकुमार उर्फ लालाराम साहू का बेटा राहुल खेलते-खेलते बोरवेल के खुले गड्ढे में गिर गया था। बोरवेल से निकालने के लिए लगातार चले रेस्क्यू के बाद मंगलवार रात को सफलता मिली। इस पूरे ऑपरेशन में एनडीआरएफ व एसडीआरएफ और गुजरात की रोबोटिक टीम, जिला प्रशासन, पुलिस के साथ ही अंत में आर्मी के जवानों ने निर्णायक भूमिका निभाई। राहुल को बचाने के लिए बोरवेल से थोड़ी दूर से खोदाई शुरू की गई थी। लगभग 65 फीट की खोदाई के बाद उस तक पहुंचने के लिए सोमवार से सुरंग बनाने का काम शुरू हुआ था।
सुरंग तैयार होने के बाद राहुल और रेस्क्यू टीम के बीच बड़ी-सी चट्टान आ गई। राहुल चट्टान के ऊपर था। ऐसे में उस तक पहुंचने के लिए चट्टान को हैंड ड्रिलिंग मशीन से पूरी सावधानी बरतते हुए काटा गया, ताकि राहुल को किसी प्रकार का नुकसान न हो। इसके चलते रेस्क्यू की गति धीमी हो गई थी, लेकिन जिस तरह से बीच-बीच में राहुल की हलचलें मिल रही थीं, उससे रेस्क्यू टीम को हौसला बढ़ रहा था।सुनने और बोलने में अक्षम व मानसिक रूप से कमजोर राहुल ने इस विपत्ति के समय जिस तरह की जिजीविषा दिखाई, वह अपने आप में अचंभित करने वाली है। बोरवेल में पानी भी भरने लगा था। गड्ढे में सांप भी आ गया था, लेकिन उसने हिम्मत नहीं हारी। रेस्क्यू टीम की ओर से जब भी रस्सी के जरिये उस तक बिस्कुट, केला, जूस आदि पहुंचाया गया, उन्हें खाकर वह अपने सकुशल होने का संदेश देता रहा। हालांकि, भोजन नहीं कर पाने के कारण सोमवार से वह थोड़ा सुस्त हो गया था, बावजूद इसके हौसला नहीं खोया।