धनबाद: एसएनएमएमसीएच में डी-डाइमर टेस्ट शुरू

डीसी सह अध्यक्ष, जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकार, धनबाद, उमा शंकर सिंह की पहल पर शहीद निर्मल महतो मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (एसएनएमएमसीएच) में डी-डाइमर टेस्ट शुरु किया गया है।

धनबाद: एसएनएमएमसीएच में डी-डाइमर टेस्ट शुरू
  • बल्ड के थक्के जमने के लक्षण का पता लगाने में टेस्ट उपयुक्त: डीसी 
  • डीसी ने रिएजेंट उपलब्ध कराकर शुरू कराया टेस्ट: डॉ एसके वर्मा
  • यहां एक दिन में मिलती है रिपोर्ट, बाहर से आने में लगते हैं चार-पांच दिन
  • एचबी.ए1सी की होती है जांच

धनबाद। डीसी सह अध्यक्ष, जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकार, धनबाद, उमा शंकर सिंह की पहल पर शहीद निर्मल महतो मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (एसएनएमएमसीएच) में डी-डाइमर टेस्ट शुरु किया गया है।

इस आशय की जानकारी देते हुए डीसी ने कहा कि वैश्विक माहमारी कोविड-19 की दूसरी लहर में वायरस अब नाक और गले की बजाय सीधे फेफड़ों को संक्रमित कर रहा है,जो बहुत खतरनाक है। दूसरी लहर में रक्त के थक्के जमने के लक्षण भी सामने आये हैं। इसका पता लगाने में डी-डाइमर टेस्ट उपयुक्त हैं और गंभीर रूप से संक्रमित मरीज की स्थिति का विश्लेषण कर डेथ रेट कम करने में मदद करता है। 

उन्होंने बताया डी-डाइमर टेस्ट से शरीर में थक्कों की मौजूदगी किन-किन अंगों में है, इसका पता चलता है। जब संक्रमण गंभीर हो जाता है, तब खासतौर पर फेफड़ों में बहुत सारे थक्के बन जाते हैं। इसकी वजह से फेफड़े अपनी पूरी क्षमता से काम नहीं कर पाते। थक्का जमने से शरीर में रक्त प्रवाह बाधित होता है। शरीर इन थक्कों को तोड़ने की कोशिश करता है। 

एसएनएमएमसीएच के बायोकेमिस्ट्री डिपार्टमेंट के एचओडी डॉ सुनील कुमार वर्मा ने बताया कि कोरोना की दूसरी लहर में आइसीयू में एडमिट गंभीर मरीजों के लिए डी-डायमर टेस्ट की आवश्यकता को देखते हुए डीसी ने रिएजेंट्स उपलब्ध कराकर इसे शुरू करवाया। मरीज का सैंपल मिलने के बाद उसी दिन रिपोर्ट मिल जाती है। जबकि बाहर से रिपोर्ट आने में कम से कम चार से पांच दिन का समय लग जाता है। अब तक 117 मरीजों का सैंपल लेकर रिपोर्ट उपलब्ध कराया गया है।

उन्होंने बताया डी-डाइमर का उच्च स्तर दर्शाता है कि शरीर में बहुत अधिक थक्के मौजूद हैं, जो कोरोना संक्रमण से गंभीर रूप से प्रभावित होने का एक खतरनाक संकेत हो सकता है। इसलिए कोरोना संक्रमण की गंभीरता का आकलन करने के लिए डी-डाइमर का उपयोग किया जाता है। डॉ वर्मा ने बताया कि उपायुक्त की पहल पर इस अस्पताल में एच.बी.ए.1सी. की जांच भी की जाती है। जांच से डायबिटीज के मरीजों के पिछले तीन-चार माह का रिपोर्ट मिलता है। यह पता चलता है कि तीन चार महा में डायबिटीज का स्तर क्या रहा है।