धनबाद: न्यूज चैनल के मालिक अरुप चटर्जी को एक एक केस में बेल,  दूसरे मामले में जेल

झारखंड के निजी न्यूज चैनल के मालिक अरूप चटर्जी को कोर्ट से एक एक मामले में राहत मिली वहीं दूसरे मामले में उनपर शिकंजा कस गया। धनबाद पुलिस गुरुवार को अरूप चटर्जी पर शिकंजा कसने की नियत से धनबाद पुलिस उसे बैंक मोड़ के एक पुराने मामले में रिमांड करने की तैयारी कर रही है।

धनबाद: न्यूज चैनल के मालिक अरुप चटर्जी को एक एक केस में बेल,  दूसरे मामले में जेल

धनबाद। झारखंड के निजी न्यूज चैनल के मालिक अरूप चटर्जी को कोर्ट से एक एक मामले में राहत मिली वहीं दूसरे मामले में उनपर शिकंजा कस गया। धनबाद पुलिस गुरुवार को अरूप चटर्जी पर शिकंजा कसने की नियत से धनबाद पुलिस उसे बैंक मोड़ के एक पुराने मामले में रिमांड करने की तैयारी कर रही है।

यह भी पढ़ें: दुमका: प्रेमिका ने सहेली के साथ मिलकर कर दी बेवफा प्रेमी की मर्डर, तीन अरेस्ट, पुलिस ने  भेजा जेल
बंगाल के सीजीएम कोर्ट द्वारा जारी प्रोडक्शन वारंट के आलोक में धनबाद जेल प्रशासन ने गुरुवार को सीजेएम को पत्र लिखकर अरूप चटर्जी को बंगाल भेजने की अनुमति मांगी है। अरुप की ओर से सीनीयरएडवोकेट शाहनवाज ने कोर्ट में जेल प्रशासन की अर्जी का विरोध किया। एडवोकेट अरूप चटर्जी को जान का खतरा है। इसलिए बंगाल के कोर्ट में उन्हें वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पेश कराया जाए। 
चिटफंड कंपनी मामले में जमानत खारिज

पुटकी पुलिस स्टेशन में वर्ष 2018 में चिटफंड कंपनी केयर विजन मामले में दर्ज केस में कोर्ट से अरूप को बड़ा झटका लगा। अरूप के केस में सरकार की ओर से पैरवी करने के लिए झारखंड सरकार ने एडवोकेट विकास कुमार भुवानियां को विशेष अभियोजक के रूप में नियुक्त किया है। धनबाद के सीजएम संजय कुमार सिंह की कोर्ट  ने वरीय अधिवक्ता शाहनवाज, हुसैन हैकल, मोहम्मद रफीक एवं अपर लोक अभियोजक मोहम्मद जब्बार हुसैन, विशेष अभियोजक विकास कुमार भुवानियां की दलील सुनने के बाद अरूप की जमानत अर्जी खारिज कर दी ।

पुटकी थाना कांड संख्या 91/18 में यह एफआइआर लोयाबाद निवासी मनोज पंडित के शिकायत पर की गई थी। इसमें केयर विजन ग्रुप ऑफ कंपनी के डायरेक्टर अरूप चटर्जी और राकेश सिन्हा को नेम्ड किया गया था। एफआइआर के अनुसार कंपनी ने लुभावना स्किम का प्रलोभन देकर रुपये जमा करने का प्रचार किया। लोगों के रुपये  कंपनी में जमा करवाने लगा। मनोज जो कंपनी का एजेंट था, जिसने कंपनी के प्रलोभन में आकर कई लोगों का पैसा कंपनी में जमा करवाया। जब कंपनी में काफी रुपये जमा हो गये तो कंपनी पैसा लौटाने में आनाकानी करने लगी। बैंक मोड़ स्थित ऑफिस को बंद कर भाग गया। मनोज ने आरोप लगाया था कि कंपनी और उसके एमडी ने लोगों के लगभग 11 लाख रुपये गबन करने के उद्देश्य से जमा करवाया। इस मामले को सीबीआई की एसीबी  ने हाई कोर्ट के आदेश पर टेकअप किया है। अरूप को इस मामले में नोटिस जारी की गई है।
अमानत में खयानत मामले में रिहाई
फर्जीवाड़ा और गबन के एक और मामले में अरूप चटर्जी को राहत मिली। धनबाद के प्रथम श्रेणी न्यायिक दंडाधिकारी अनुष्का ज्वाइन की कोर्ट ने अरूप को इस मामले में सुलह समझौते के आधार पर बाइज्जत बरी कर दिया। अरूप चटर्जी को 20 जुलाई को इस मामले में रिमांड किया गया था। अरूप की ओर से सीनीयर एडवोकेट शाहनवाज एवं मो रफीक ने पैरवी की। यह एफआिआर गांधी रोड निवासी सुरेश सिंह के शिकायत पर गोविंदपुर थाने में वर्ष 2014 में की गई थी। एफआइआर के अनुसार केयर विजन कंपनी ने व उसके डायरेक्टर ने लोगों को अनेक तरह के लुभावने वादे  किए। उनसे पैसा जमा कराया। कई और लोगों से लाखों रुपये जमा कर कंपनी बंद कर कर भाग गया। रुपये गबन कर लिया। पुलिस ने इस मामले में अरूप के विरुद्ध 12 मार्च 2016 को आरोप पत्र दायर किया था। अरूप चटर्जी सुलहनामा के आधार पर इस मामले में बेल पर थे। कोर्ट में उपस्थित नहीं होने के कारण 29 मार्च 2017 को उनका बंध पत्र रद कर दिया गया था। गिरफ्तारी का वारंट जारी कर दिया गया था ।
मैनेजर राय की बेल पिटीशन खारि
कोल बिजनसमैन ओझा से रंगदारी के मामले में 19 जुलाई से जेल में बंद है मैनेजर राय की जमानत अर्जी गुरुवार को अवर न्यायाधीश राजीव त्रिपाठी की कोर्ट ने खारिज कर दी। मैनेजर राय की ओर से सीनीयर एडवोकेट शाहनवाज ने कोर्ट में दलील दी। कोर्ट मैनेजर राय के विरुद्ध रंगदारी मांगने का कोई आरोप नहीं है। यदि एफआईआर को ही सही मान लिया जाए तो उन्होंने अपने कर्तव्य का पालन किया। आर्थिक अपराध की सूचना मीडिया को उपलब्ध कराई। सहायक लोक अभियोजक उमेश दीक्षित ने कहा कि मैनेजर राय के विरुद्ध धनबाद के विभिन्न पुलिस स्टेशन में 17 आपराधिक मामले लंबित हैं। इन्होंने सूचना मीडिया को रंगदारी वसूल करने के नियत से उपलब्ध कराई थी। इनके द्वारा वीडियो उपलब्ध कराये जाने पर ही न्यूज़ चैनलके अरूप चटर्जी के द्वारा सूचक से रंगदारी मांगी गई। यही इस पूरे मामले के मास्टर माइंड है। उन्हें अगर सूचना ही देनी थी तो पुलिस को सूचना क्यों नहीं दी। उभय पक्षों की दलील सुनने के बाद अदालत ने मैनेजर राय को जमानत देने से इन्कार कर उसकी जमानत अर्जी खारिज कर दी।