धनबाद: एके राय की पुण्यतिथि पर निरसा में वामदलों की संकल्प सभा, विपक्षी एकता पर जोर

एक्स एमपी व वाम चिंतक एके राय की पुण्यतिथि पर निरसा मासस ऑफिस में वाम दलों की संकल्प सभा का आयोजन किया गया। मौके पर भाकपा माले के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य बतौर चीफ गेस्ट उपस्थित थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता मासस अध्यक्ष आनंद महतो व मंच संचालन जिला सचिव निताई महतो ने किया। संकल्प सभा का आरंभ एके राय की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर किया गया। 

धनबाद: एके राय की पुण्यतिथि पर निरसा में वामदलों की संकल्प सभा, विपक्षी एकता पर जोर
  • राय दा जैसे लोगों के विचारों से ही शोषण मुक्त समाज की कल्पना : दीपांकर
  • लोकसभा चुनाव में धनबाद सीट से वामपंथी दलों को मिलाकर एक सशक्त उम्मीदवार देना चाहिए

धनबाद। एक्स एमपी व वाम चिंतक एके राय की पुण्यतिथि पर निरसा मासस ऑफिस में वाम दलों की संकल्प सभा का आयोजन किया गया। मौके पर भाकपा माले के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य बतौर चीफ गेस्ट उपस्थित थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता मासस अध्यक्ष आनंद महतो व मंच संचालन जिला सचिव निताई महतो ने किया। संकल्प सभा का आरंभ एके राय की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर किया गया। 

माले महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने कहा कि चारू मजूमदार, एके राय जैसे लोगों के विचारों से ही शोषणमुक्त समाज की कल्पना की जा सकती है। इन लोगों ने क्रांति लाकर शोषित पीड़ितों को एकजुट किया. देश में पुन: ऐसी ही क्रांति की आवश्यकता है। देश तो 1947 में आजाद हो गया था, लेकिन 74 के आंदोलन में पूर्ण आजादी के लिए ऐसे महानुभवों ने अपना जीवन न्योछावर करते हुए लड़ाई लड़ी।उन्होंने कहा कि आगामी लोकसभा चुनाव में धनबाद सीट से वामपंथी दलों को मिलाकर एक सशक्त एवं लड़ाकू उम्मीदवार धनबाद से होगा। इसके लिए कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दलों को एकजुट करने का प्रयास किया जा रहा है।
एक थी चारू मजूमदार व एके राय की विचारधारा 
दीपांकर ने कहा कि चारू मजूमदार और एके राय दोनों अलग-अलग पार्टी के नेता थे, पर दोनों की विचारधारा एक थी। दोनों का सपना था कि देश में समरूपता लाने का।उन्होंने बताया कि माले-मासस गठबंधन सात दिनों तक सात जिलों में संकल्प सभा करेगी। एके राय के समय पूरे देश में मजदूरों, दलितों, किसानों एवं आम जनों के हित की बात होती थी। अभी कोई किसी पंचायत का मुखिया बनता है तो उनके साथ चमकते चारपहिया वाहनों का काफिला चलता है, जबकि एके राय आम लोगों की तरह ट्रेन में बैठकर संसद भवन पहुंचते थे। त्याग, तपस्या केवल वामपंथियों में ही मिल सकती है।
माले नेता ने कहा कि भारत में आजादी के बाद से ही पूंजीवादी ताकतें पांव फैलाने लगी थी। देश में जब आपातकाल लगा और उसके बाद जब मजदूरों का शोषण होने लगा, तब चारू मजूमदार ने लड़ाई लड़ी थी। उनका कहना था कि मजदूरों को पेंशन, बोनस बढ़ाने या मजदूरों के पैसे टीए-डीए की लड़ाई नहीं है। बल्कि उसे सामाजिक पहचान एवं उसका हक दिलाने की जरूरत है। देश के लोग टाटा, बिड़ला, अडानी, अंबानी के नाम से न जाने, बल्कि लोग गरीब, मजदूर, किसानों के नाम से भी जाने।उन्होंने कहा कि मोबाइल टेपिंग के दौरान अमेरिकी प्रसिडेंट निक्सन को गद्दी छोड़नी पड़ी थी, पर यह हिटलरशाही सरकार हमारे मोबाइल और लैपटॉप में घुस कर असंवैधानिक चीज डाल दे रही है।झूठा आतंकवाद का केस बनाकर लोगों को जेल में भेज दे रही है। भट्टाचार्य ने कहा कि लोकसभा चुनाव के समय बिहार में विपक्षी पार्टियों ने हम लोगों से गठबंधन नहीं किया, तब उन्हें मुंह की खानी पड़ी। विधानसभा चुनाव में बाध्य होकर हमलोगों से गठबंधन किया तो रिजल्ट अच्छा रहा।विपक्षी एकता बिना वामफ्रंट की कल्पना नहीं की जा सकती है। उन्होंने कहा कि बंगाल में सरकार तोड़ने की साजिश चल रही है। देश के प्रधानमंत्री अपने पीएम केयर्स फंड में लोगों से पैसे मांग रहे हैं। अडानी अंबानी की संपत्ति में चौगुना इजाफा हुआ सरकार से हम लोग प्रत्येक मौतों का हिसाब मांगेंगे।

मासस अध्यक्ष आनंद महतो ने कहा कि दीपांकर भट्टाचार्य जैसे वामपंथी विचारकों को जनता के बीच जाना समय की पुकार है। हमारा आंदोलन एक खदान तक सीमित न रहे, बल्कि हर सामाजिक उत्पीड़न के खिलाफ मजबूती से लड़ाई लड़ी जाए। माले एमएलए विनोद सिंह ने कहा कि देश की जनता महंगाई से कराह रही है. पेट्रोल-डीजल की मूल्यवृद्धि आसमान छू रही है। गरीब को दो वक्त की रोटी नहीं मिल पा रही है.।केंद्र सरकार केवल गरीब के नाम पर राजनीति कर रही है।एक्स एमएलए अरूप चटर्जी ने कहा कि एके राय ने संसद भवन में सांसदों की वेतन वृद्धि का विरोध किया था। जेपी आंदोलन में सबसे पहले विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दिया था। उनके त्याग, तपस्या और बलिदान को जनता कभी भूला नहीं सकती है।

सभा को माले के उपेंद्र सिंह, जगदीश शर्मा, कृष्णा सिंह, हरेंद्र सिंह, ओम प्रकाश पांडेय, रंजीत मोदी, काशीनाथ कोयरी, नागेंद्र कुमार, मासस से अनिंदिता चटर्जी, आगम राम, कार्तिक चंद्र दत्ता, टुटुन मुखर्जी, मुमताज अंसारी, पवन महतो, रामजी यादव, गोपाल दास, षष्टी सिंह, रंजीत मिश्रा सोनू, पीएल मुर्मू, अब्दुल मन्नान, राजेश मंडल, हरे राम, गौतम दसौंधी, भक्ति पद मोदी, बापिन घोष, पापन चटर्जी, अंजु चटर्जी, संतु चटर्जी, देवेंद्र मिश्रा, बादल बाउरी, बाप्पी आचार्या, दीपक सिंह आदि ने संबोधित किया।