दुमका: पीड़ित परिजनों से नहीं मिल पायी बाल एनसीपीसीआर की टीम, झारखंड सरकार पर जांच में बाधा डालने का आरोप
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर ) की तीन सदस्यीय टीम सोमवार को दुमका में रानीश्वर पुलिस स्टेशन एरिया की मृतका आदिवासी किशोरी के माता-पिता व परिजनों से नहीं मिल पायी। झारखंड सरकार पर जांच में सहयोग नहीं करने का आरोप लगाते हुए टीम वापस दिल्ली लौट गयी।
दुमका। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर ) की तीन सदस्यीय टीम सोमवार को दुमका में रानीश्वर पुलिस स्टेशन एरिया की मृतका आदिवासी किशोरी के माता-पिता व परिजनों से नहीं मिल पायी। झारखंड सरकार पर जांच में सहयोग नहीं करने का आरोप लगाते हुए टीम वापस दिल्ली लौट गयी।
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एनसीपीसीआर टीम सर्किट हाउस में पीड़ित परिजनों मिलने का इंतजार करती रही। इधर श्रीअमड़ा में उसके माता-पिता व स्वजनों के साथ हाई वोल्टेज ड्रामा चलता रहा है। इस दौरान प्रशासन की ओर से तैनात पुलिस की टीम के द्वारा चार बार मृतका के माता-पिता व परिजनों को वहां से सर्किट हाउस लाने की कोशिश लेकिन सफलता नहीं मिली। अंतत: दिल्ली से आई आयोग की टीम बगैर अभिभावकों से मिले झारखंड सरकार पर जांच में सहयोग नहीं करने का आरोप लगाते हुए दिल्ली रवाना हो गई।
उल्लेखनीय है कि दुमका में बीते 10 दिनों के दौरान यौन उत्पीड़न के बाद उसकी निर्ममता से हत्या किए जाने। आक्रोशित छात्र समन्वय समिति,बीजेपी अनुसूचित जनजाति मोर्चा समेत कई अन्य संगठनों की ओर से सोमवार को दुमका बंद का आह्वान किया गया था। बंदी को सफल बनाने के लिए बंद समर्थक सुबह से ही सक्रिय थे। शहर से निकलने वाले सभी रास्तों को पूरी तरह से ब्लाक कर दिया गया था।
एनसीपीसीआर की तीन सदस्यीय टीम प्रियंक कानूनगो की अगुआई में दुमका पहुंची थी। टीम में दो अन्य सदस्य कंसल्टेंट कल्पेंद्र परमार और निकेत कुमार शामिल थे। पहले यह टीम टाउन पुलिस स्टेशन एरिया में 10 दिन पूर्व हुई हिंदू किशोरी की हत्या मामले की जांच करने उसके घर पहुंची। यहां मृतका के परिजनों से बातचीत व छानबीन करने के बाद टीम तीन दिन पूर्व हुई मृतका आदिवासी किशोरी के पैतृक घर रानीश्वर पहुंची। यहां पहुंचने पर टीम के सदस्यों को पता चला कि मृतका के माता-पिता व परिजन घर में नहीं हैं। पड़ोसियों से पूछने पर पता चला कि कोई उन लोगों को जीप पर बैठाकर कहीं ले गया है। इसके उपरांत आयोग की टीम वहां से बैरंग दुमका सर्किट हाउस लौट आई। जिला प्रशासन से नाराजगी जताते हुए दुमका सर्किट हाउस में ही उसके माता-पिता से मिलवाने की इच्छा जाहिर की।
जब प्रशासन को सूचना मिली कि मृतका के माता-पिता व स्वजनों श्रीअमड़ा गांव आए हुए हैं तब पुलिस और प्रशासन की टीम श्रीअमड़ा पहुंची। यहां पहुंचकर एसी विनय मनीष लकड़ा और डीएसपी विजय कुमार मृतका के माता-पिता व परिजनों को आयोग की टीम से मिलाने के लिए अपने साथ सर्किट हाउस लाने का प्रयास करते रहे लेकिन बंद समर्थकों की भीड़ ने इन लोगों का यहां से ले जाने के बजाए प्रशासन की टीम से आयोग के सदस्यों को ही मौके पर बुलाने की मांग करने लगे। प्रशासनिक अफसरों के कई बार समझाने-बुझाकर कई बार गाड़ी पर बैठाने के बाद भी बंद समर्थक अपनी मांग पर अड़े रहे। इधर, आयोग की टीम सर्किट हाउस में इंतजार करने के बाद दिल्ली के लिए रवाना हो गई।
जांच में असहयोग व रुकावट पैदा करने का गंभीर आरोप
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के चेयरपर्सन प्रियंक कानूनगो ने झारखंड सरकार पर जांच में असहयोग व रुकावट पैदा करने का गंभीर आरोप लगाया है। कानूनगो ने कहा कि उन्होंने सरकार को दुमका आने की जानकारी पूर्व में ही दे दी थी जिसपर स्थानीय जिला प्रशासन ने भी सहमति प्रदान की थी। कहा कि सोमवार को जब आयोग की तीन सदस्यीय टीम उनके नेतृत्व में रानीश्वर थाना क्षेत्र में मृतका आदिवासी किशोरी के घर पहुंचे तो उसके अभिभावक घर पर नहीं मिले। पड़ोसियों ने कहा कि उनके आने के पहले मृतका के माता-पिता व परिजनों को जीप में बैठाकर कोई ले गया है। कहा कि सरकार का यह रवैया असहयोगात्मक व जांच में रुकावट डालने वाला है।
उन्होंने कहा कि इस पूरे मामले में प्रशासन की असहयोगात्मक रवैया सामने आया है। इस मामले में बच्चे के बायोलाजिक्ल फादर का पता नहीं है। कहा कि आरोपित के मां की भूमिका भी संदिग्ध है। इससे पूर्व एनसीपीसीआर की टीम ने दुमका में 10 दिन पूर्व किशोरी पर पेट्रोल छिड़क कर हत्या किए जाने के मामले की जांच मौके पर जाकर की। यहां परिजनों से मिलकर पूरे मामले की जानकारी ली। प्रियंक ने कहा कि इस मामले में भी प्राथमिक स्तर पर जांच में गड़बड़ी हुई है। जांच में कई बिंदुओं को शामिल नहीं किया गया है।
किशोरियों को टारगेट कर रहे हैं बाहरी
उन्होंने कहा कि ऐसी संभावना है कि बाहर से आकर लोग यहां की किशोरियों को टारगेट कर रहा है। सोशल मीडिया के पोस्ट की गहनता से भी जांच होनी चाहिए थी क्योंकि इन घटना के बाद देश के बाहर से भी पोस्ट हुए हैं। लोकल पुलिस इसकी जांच करने में अक्षम है। ऐसे में मामले में उच्च स्तरीय जांच की जरूरत है।