एक्स डिप्टी मेयर नीरज मर्डर केस:  संजीव सिंह ने  सुप्रीम कोर्ट में दी अरजी, पिंटू सिंह को हाई कोर्ट से फिर नहीं मिली बेल

एक्स डिप्टी मेयर नीरज समेत चार लोगों की मर्डर मामले में पिछले पांच वर्षों से जेल में बंद जैनेंद्र सिंह उर्फ पिंटू सिंह की बेल पिटीशन हाइकोर्ट ने  खारिज कर दी है। इसके पूर्व भी हाईकोर्ट ने पिंटू को जमानत देने से इनकार किया था। पिंटू की ओर से 30 जून 2021 को जिला एवं सत्र न्यायाधीश द्वारा पारित आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी गयी थी।

एक्स डिप्टी मेयर नीरज मर्डर केस:  संजीव सिंह ने  सुप्रीम कोर्ट में दी अरजी, पिंटू सिंह को हाई कोर्ट से फिर नहीं मिली बेल

धनबाद। एक्स डिप्टी मेयर नीरज समेत चार लोगों की मर्डर मामले में पिछले पांच वर्षों से जेल में बंद जैनेंद्र सिंह उर्फ पिंटू सिंह की बेल पिटीशन हाइकोर्ट ने  खारिज कर दी है। इसके पूर्व भी हाईकोर्ट ने पिंटू को जमानत देने से इनकार किया था। पिंटू की ओर से 30 जून 2021 को जिला एवं सत्र न्यायाधीश द्वारा पारित आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी गयी थी।

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 सुप्रीम कोर्ट से भी नहीं मिली थी बेल

पांच वर्षों से जेल में बंद पिंटू सिंह को सुप्रीम कोर्ट ने भी बेल नहीं दी थी। इसके पूर्व पिंटू की औपबंधिक जमानत की अर्जी जिला एवं सत्र न्यायाधीश आलोक कुमार दुबे की कोर्ट ने 29 सितंबर 2020 को खारिज कर दी थी। गौरतलब है कि पिंटू ने अपने माता-पिता की बिमारी का हवाला देकर कोर्ट से औपबंधिक जमानत की गुहार लगाई थी। वहीं कोरोना वायरस का हवाला देते हुए दायर की गई पिंटू सिंह की औपबंधिक जमानत की अर्जी अदालत ने 16 जून 2020 को खारिज कर दी थी। पिंटू सिंह 30 मार्च 2017 से जेल में बंद है। उसकी नियमित जमानत अर्जी पूर्व में सत्र न्यायालय से 16 अगस्त 2017, हाई कोर्ट से पांच नवंबर 2018 एवं सुप्रीम कोर्ट से 19 जनवरी 2019 को खारिज हो चुकी है ।

संजीव सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की अरजी

नीरज सिंह मर्डर केस की सुनवाई के दौरान गुरुवार को बचाव पक्ष और अभियोजन के बीच 45 मिनट तक तीखी बहस हुई। मामले में पैरवी के लिए मुकदमे के सूचक झरिया एमएलए पूर्णिमा सिंह के देवर अभिषेक सिंह भी कोर्ट में मौजूद थे। जिला एवं सत्र न्यायाधीश अखिलेश कुमार की कोर्ट में जहां झरिया के एक्स बीजेपी एमएलए संजीव सिंह ने समय की याचना की। वहीं अभियोजन ने मुकदमे का निष्पादन करने की प्रार्थना की। सुनवाई के दौरान सभी आरोपितों को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कोर्ट में पेश किया गया।

 सुनवाई के दौरान संजीव सिंह की ओर से एडवोकेट मोहम्मद जावेद ने आवेदन देकर कर कहा कि उन्होंने हाई कोर्ट द्वारा 24 मार्च 2022 को पारित आदेश को सर्वोच्च न्यायालय में एसएलपी दाखिल कर चुनौती दी है। लिहाजा उन्हें समय दिया जाए। इसका विरोध करते हुए अपर लोक अभियोजक कुलदीप शर्मा ने कहा कि अब तक इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का कोई आदेश प्राप्त नहीं हुआ। स्पीडी ट्रायल का अधिकार केवल अभियुक्त को ही नहीं, बल्कि पीड़ित पक्ष को भी है । इसलिए इन्हें समय नहीं दिया जाना चाहिए, और आरोपितों का सफाई बयान दर्ज किया जाना चाहिए। फिलहाल कोर्ट ने इस मामले में कोई आदेश पारित नहीं किया है।