Gujarat Naroda Massacre case: माया कोडनानी ,जयदीप पटेल व बाबू बजरंगी समेत सभी 67 आरोपी बरी
गुजरात दंगों के दौरान 2002 में नरोदा में हुए नरसंहार के सभी 67 आरोपियों को अहमदाबाद की सेशन कोर्ट ने बरी कर दिया। बरी होने वाले में बीजेपी की एक्स एमएलए माया कोडनानी, बीएचपी लीडर जयदीप पटेल और बजरंग दल के नेता बाबू बजरंगी भी शामिल हैं।
- 11 लोगों की हुई थीं मर्डर
- 21 साल बाद आया फैसला
अहमदाबाद। गुजरात दंगों के दौरान 2002 में नरोदा में हुए नरसंहार के सभी 67 आरोपियों को अहमदाबाद की सेशन कोर्ट ने बरी कर दिया। बरी होने वाले में बीजेपी की एक्स एमएलए माया कोडनानी, बीएचपी लीडर जयदीप पटेल और बजरंग दल के नेता बाबू बजरंगी भी शामिल हैं।
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#WATCH 28 फरवरी 2002 को नरोदा गाम में कुछ हादसे हुए जिसमें 11 लोगों की जान गई थी और कुछ घरों को जलाया गया था। कोर्ट ने 2009 में 83 आरोपियों पर चार्ज फ्रेम किया था। आज कोर्ट ने सभी आरोपियों को बरी कर दिया है: डिफेंस वकील राजेश मोदी, अहमदाबाद pic.twitter.com/EfUG9e83fz
— ANI_HindiNews (@AHindinews) April 20, 2023
घटना के 21 साल बाद गुरुवार को कोर्ट ने फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा कि आरोपियों का दोष साबित करने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं मिले हैं। पीड़ित पक्ष के वकील शमशाद पठान ने कहा कि हम इस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती देंगे। जज एसके बक्शी की कोर्ट ने 16 अप्रैल को इस मामले में फैसले की तारीख 20 अप्रैल तय की थी। सभी आरोपी बेल पर थे। वर्ष्र 2010 में शुरू हुए मुकदमे के दौरान दोनों पक्ष ने 187 गवाहों और 57 चश्मदीद गवाहों से जिरह की। लगभग 13 साल तक चले इस केस में छह जजों ने लगातार मामले की सुनवाई की।
नरोदा गांव में हुई सांप्रदायिक हिंसा में 11 लोग मारे गये थे
अहमदाबाद टाउन नरोदा गांव में हुई सांप्रदायिक हिंसा में 11 लोग मारे गये थे। इस केस में गुजरात के एक्स मिनिस्टर व बीजेपी लीडर माया कोडनानी, बजरंग दल के नेता बाबू बजरंगी और बीएचपी लीडर जयदीप पटेल समेत 86 लोगों के खिलाफ एफआइआर दर्ज हुआ था। इनमें से 18 लोगों की मौत हो चुकी है। एक आरोपी प्रदीप कांतिलाल संघवी को पहले ही सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया था। 28 फरवरी 2002 को अहमदाबाद शहर के नरोदा गांव में दंगे में एक समुदाय के 11 लोगों की मौत हो गई थी। इनमें चार महिलाएं भी शामिल थीं। बाद में इस घटना को नरोदा गाम नरसंहार का नाम दिया गया। पुलिस ने इस हिंसा के आरोप में तत्कालीन मंत्री माया कोडनानी समेत 85 अन्य के खिलाफ केस दर्ज किया था।
2002 के गुजरात दंगों को लेकर कुल नौ मामले दर्ज किये गये थे। इसकी जांच एसआईटी ने की थी और इनकी सुनवाई विशेष कोर्ट में की गई थी। इन्हीं में नरोदा ग्राम नरसंहार का केस शामिल है। हिंसा को लेकर आरोपियों के खिलाफ आइपीसी की सेक्शन 302 (हत्या), 307 (हत्या का प्रयास), 143 (गैरकानूनी जमावड़ा), 147 (दंगा), 148 (घातक हथियारों सेलैस होकर दंगा करना), 120बी (आपराधिक साजिश) के तहत मुकदमा चलाया गया। अहमदाबाद स्थित एसआईटी मामलों के स्पेशल जज एसके बक्सी की कोर्ट ने गोधरा मामले के बाद हुए दंगों के एक बड़े मामले में सभी आरोपियों को बरी कर दिया। इस मामले की जांच सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त विशेष जांच दल ने की थी।
गोधरा कांड के दूसरे दिन हुआ था नरोदा में दंगा
गोधरा कांड के अगले दिन यानी 28 फरवरी को नरोदा गांव में बंद का ऐलान किया गया था। इसी दौरान सुबह लगभग नौ बजे लोगों की भीड़ बाजार बंद कराने लगी, इस दौरान हिंसा भड़क उठी। भीड़ में शामिल लोगों ने पथराव , आगजनी व तोड़फोड़ शुरू कर दी। हिंसा में 11 लोगों की मर्डर कर दी गयी। इसके बाद पाटिया में भी दंगे फैल गये। यहां भी बड़े पैमाने पर नरसंहार हुआ। इन दोनों इलाकों में 97 लोगों की मर्डर की गई थीं। इस नरसंहार के बाद पूरे गुजरात में दंगे फैल गये थे। इस मामले में SIT ने तत्कालीन बीजेपी एमएलए माया कोडनानी को मुख्य आरोपी बनाया था। हालांकि इस मामले में वे बरी हो चुकी हैं।
दंगे के समय विधानसभा में थीं, माया कोडनानी का दावा
माया कोडनानी ने खुद पर लगे आरोपों पर कहा था- दंगे वाले दिन सुबह के समय वह गुजरात विधानसभा में थीं। दोपहर में वे गोधरा ट्रेन मर्डर केस में मारे गये कारसेवकों की बॉडी को देखने के लिए सिविल अस्पताल पहुंची थीं। जबकि कुछ चश्मदीद ने कोर्ट में गवाही दी थी कि कोडनानी दंगों के समय नरोदा में मौजूद थीं। कोडानी ने भीड़ को उकसाया था।
एक अन्य मामले में हाईकोर्ट से बरी हो चुकी हैं कोडनानी
वर्ष 2002 के दंगों के एक केस में हाई कोर्ट से माया कोडनानी को बरी भी कर चुका है। बजरंग दल के नेता बाबू बजरंगी की सजा को आजीवन कारावास से कम कर 21 साल कर दिया था। इस मामले में बीजेपी के तत्कालीन अध्यक्ष और वर्तमान में सेंट्रल होम मिनिस्टर अमित शाह भी माया कोडनानी के लिए बचाव पक्ष के गवाह के रूप में पेश हुए थे। ह ने बयान दिया था कि पुलिस उन्हें और माया को सुरक्षित जगह ले गई थी क्योंकि गुस्साई भीड़ ने हॉस्पिटल को घेर लिया था।
गोधरा कांड में 59 लोगों हुई थी मौत, इसके बाद भड़के दंगों में एक हजार लोगों की जान गई
2002 में गुजरात में अहमदाबाद जाने के लिए साबरमती एक्सप्रेस गोधरा स्टेशन से चली थी। किसी ने चेन खींचकर गाड़ी रोक दी और फिर पथराव शुरू हो गया। बाद में ट्रेन के S-6 कोच में आग लगा दी गई। कोच में अयोध्या से लौट रहे 59 तीर्थयात्री थे, सभी की मौत हो गई थी।गोधरा कांड के बाद भड़के दंगों में एक हजार से ज्यादा लोग मारे गये थे। इनमें 790 मुसलमान और 254 हिंदू थे। गोधरा कांड के एक दिन बाद 28 फरवरी को अहमदाबाद की गुलबर्ग हाउसिंग सोसाइटी में बेकाबू भीड़ ने 69 लोगों की मर्डर कर दी थी। इन दंगों से स्टेट में हालात बिगड़ गये थे। स्थिति काबू करने के लिए तीसरे दिन आर्मी उतारनी पड़ी।