जिम ट्रेनर गोलीकांड : डॉक्टर की पावर-पैसा की पहुंच नहीं आयी काम, वाइफऔर खुद को बचने की कर रहा था सेटिंग
राजधानी पटना में जिम ट्रेनर विक्रम सिंह गोलीकांड में घटना के पंच दिन बाद पुलिस फिजियोथेरेपिस्ट डॉ. राजीव कुमार सिंह और उनकी पत्नी खुशबू को पुलिस जेल भेजी। डॉक्टर राजीव ने खुद व पत्नी की गिरफ्तारी और जेल जाने से बचने के लिए खूब तिकड़मबाजी की। डॉकटर ने सत्ताधारी दल के नेताओं के जरिए पुलिस पर प्रेशर बनाने की काफी कोशिश की थी।
- पुलिस को सत्ताधारी दल के बड़े नेता से पुलिस अफसरों को कराये थे कई कॉल
पटना। राजधानी पटना में जिम ट्रेनर विक्रम सिंह गोलीकांड में घटना के पंच दिन बाद पुलिस फिजियोथेरेपिस्ट डॉ. राजीव कुमार सिंह और उनकी पत्नी खुशबू को पुलिस जेल भेजी। डॉक्टर राजीव ने खुद व पत्नी की गिरफ्तारी और जेल जाने से बचने के लिए खूब तिकड़मबाजी की। डॉकटर ने सत्ताधारी दल के नेताओं के जरिए पुलिस पर प्रेशर बनाने की काफी कोशिश की थी।
सोर्सेज का दावा है कि सत्ताधारी दल जदयू के कुछ बड़े नेता लगातार राजीव और उनकी वाइफ के मददगार बन बचाने की कोशिशों में लगे रहे। लेकिन सफलता नहीं मिल पायी। नेताओं और अफसरों ने राजीव की पैरवी की थी। इनके बीच बड़ी डील होने की भी बात भी कही जा रही है।
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पिछले कुछ सालों से डॉ. राजीव अखबारों के पेज-3 पर छाए रहते थे। उन्होंने पटना के बड़े लोगों के साथ-साथ राजनीतिक गलियारों में भी पहुंच बनाई। स्वजातीय नेताओं, पुलिस अफसर और डॉक्टरों के साथ उठना-बैठना शुरू किया। जेडीयू के बड़े नेताओं तक डॉक्टर ने खुद और अपनी वाइफकी बेगुनाही की एकतरफा बात पहुंचाई। इसके बाद जेडीयू लीडर ने पुलिस अफसरों को कॉल भी किये थे। यही कारण है कि घटना के दिन डॉक््टर दंपत्ति को कस्टडी में लेकर पुलिस घर भेज दी थी।
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पुलिस कस्टडी में मोबाइल चला रहा था डॉक्टर
जिम ट्रेनर विक्रम सिंह को 18 सितंबर की सुबह गोली मारी गई थी। जख्मी विक्रम ने पुलिस को दिये गये बयान में डॉ. राजीव और उनकी पत्नी खुशबू सिंह का नाम लिया था। दोनों पुलिस ने कुछ देर बाद दोनों को कस्टडी में ले लिया था। दोनों पाटलिपुत्र थाने में दोपहर से लेकर रात तक दोनों से पूछताछ की गई।हालांकि उस समय पुलिस के पास राजीव और खुशबू के खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं था। लगातार पैरवी भी हो रही थी। राजीव पुलिस कस्टडी में होने के बाद भी अपने मोबाइल का बेधड़क इस्तेमाल कर रहा था। वह पुलिस स्टेशन से ही जेडीयू के एक लीडर को पल-पल की जानकारी दे रहा था।कोई सबूत न होने की वजह से रात में पुलिस ने पति-पत्नी को घर जाने की इजाजत तो दे दी थी। विक्रम के बयान के आधार पर कदमकुआं पुलिस स्टेशन में डॉक्टर दंपत्ति के खिलाफ मर्डर के प्रयास की नेम्ड FIR भी दर्ज कर ली गयी थी।
मोबाइल CDR से मिले सबूत
डॉ. राजीव का कोई क्रिमिनल बैकग्राउंड नहीं है। पुलिस ने 22 सितंबर की रात पुलिस ने वाइ्र हसबैंड को दुबारा कस्टडी में लेकप पूछताछ शुरू की। दोनों अपने ऊपर लगे आरोपों को नकारते रहे। हालांकि, तब तक पुलिस को अहम सबूत हाथ लग चुके थे। मेन शूटर्स समेत तीन क्रिमिनल अमन कुमार, आर्यन उर्फ रोहित और शमशाद भी पकड़े जा चुके थे। पुलिस ने इन क्रिमिनलों के कॉल डिटेल्स को खंगाला। इससे पहले खुशबू और उसके एक्स ब्वॉय फ्रेंड मिहिर सिंह के बीच बातचीत का सबूत सामने आ चुका था। क्रिमिनलों के पकड़े जाने से पहले ही इन दोनों के बीच इस साल मई में हुई कॉल का CDR पुलिस को मिल चुका था। मिहिर की फोटो भी पुलिस के पास थी। जब पुलिस ने मिहिर की फोटो शूटर्स को दिखाई तो वह उसे पहचान गये। पुलिस के सामने क्रिमिनलों ने स्वीकार कर लिया कि मिहिर ने ही उन्हें विक्रम को मारने की सुपारी दी थी।
अफसरों की ब्लैक मनी को ठिकाने लगवाता है राजीव
राजीव के संबंध नेताओं के साथ-साथ काली कमाई करने वाले बिहार सरकार के कई अफसरों के साथ भी हैं। इनमें कई पुलिस अफसर भी हैं,जिनके साथ राजीव के करीबी संबंध हैं। राजीव के साथ हमेशा इनका साथ में उठना-बैठना था। आरोप है कि अफसरों की काली कमाई को ठिकाने लगाने में राजीव की भूमिका काफी महत्वपूर्ण रही है। बड़े पैमाने पर काली कमाई के रुपयों को अलग-अलग लोगों के पास इंटरेस्ट पर लगाया जाता रहा है।