नई दिल्ली: साल में नक्सलवाद का खात्मा, फंडिंग रोकने और फ्रंटल आर्गेनाइजेशन पर कसेगा शिकंजा
सेंट्रल गवर्नमेंट स्टेट के साथ कोआर्डिनेशन बनाकर नक्सलियों के खिलाफ निर्णायक लड़ाई की तैयारी में है। एक साल के अंदर नक्सलियों का खात्म करने की प्लान पर रणनीति बनी है। नक्सलियों की फंडिंग रोकने व फ्रंटल ऑर्गेनाइजेशन पर शिकंजा कसने की दिशा में ठोस कार्रवाई होगी।
- नक्सलियों के खिलाफ निर्णायक लड़ाई की तैयारी,
- सीएम के साथ मीटिंग में होम मिनिस्टर अमित शाह ने सेट किया टारगेट
नई दिल्ली। सेंट्रल गवर्नमेंट स्टेट के साथ कोआर्डिनेशन बनाकर नक्सलियों के खिलाफ निर्णायक लड़ाई की तैयारी में है। एक साल के अंदर नक्सलियों का खात्म करने की प्लान पर रणनीति बनी है। नक्सलियों की फंडिंग रोकने व फ्रंटल ऑर्गेनाइजेशन पर शिकंजा कसने की दिशा में ठोस कार्रवाई होगी।
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नई दिल्ली में सेंट्रल होम मिनिस्टर अमित शाह की अध्यक्षता में रविवार को संपन्न हुई हाइलेवल मीटिंग में नक्सलियों के खिलाफ अभियान तेज करने और उनके लिए फंडिंग रोकने दो प्रमुख मुद्दे थे। बैठक में छह स्टेट के सीएम व चार अन्य अन्य स्टेट के सीनीयर अफसरों ने भाग लिया। बैठक के दौरान माओवादियों के शीर्ष संगठनों के खिलाफ कार्रवाई, सुरक्षा में कमी को भरने, ईडी, एनआइए व स्टेट पुलिस द्वारा ठोस कार्रवाई जैसे अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की गई।होम मिनिस्टर ने सीएम से कहा कि वह अगला पूरा साल अपने राज्य में नक्सलवाद पर लगाम कसने में लगायें। उन्होंने कहा कि नक्सली समूहों तक पहुंचने वाले पैसे को रोकने के लिए संयुक्त रणनीति बनानी होगी।
होम मिनिस्टर ने कहा कि नक्सली गुटों के खिलाफ लड़ाई आखिरी चरण में है। अब नक्सलियों के हमलों पर पूरी तरह से लगाम लग जानी चाहिए। उन्होंने बैठक में मौजूद सभी सीएम से अगले एक साल तक इस मुद्दे को प्राथमिकता से लेकर खत्म करने की बात कही। उन्होंने कहा कि नक्सली गुटों को मिलने वाले पैसे के स्रोत को बंद करने की कोशिश होनी चाहिए। सेंट्रल व स्टेट गवर्नमेंट द्वारा बेहतर समन्वय से दबाव बनाकर और स्पीड बढ़ाकर इस दिशा में सफलता पाई जा सकती है। नक्सलियों पर लगाम के अन्य उपायों पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि सुरक्षा उपायों में इजाफा करके, नक्सलियों तक पहुंचने वाले पैसे को रोककर, ईडी, एएनआई और स्टेट पुलिस के प्रयासों से ऐसा हो सकता है। उन्होंने सीएम, चीफ सेकरेटरी और डीजीपी लेवलसे रेगुलर रिव्यू मीटिंग की जरूरत भी बताई।
नक्सली हिंसा की घटनाओं में रिकॉर्ड कमी
बैठक में अमित शाह ने पिछले कुछ देश में नक्सल हिंसा की घटनाओं में लगातार कमी आ रही है। उन्होंने कहा कि 2009 में नक्सली हिंसा की 2258 घटनाएं होती थीं। अब इनमें 70 परसेंट की कमी आई है। यह 2020 में 665 तक सिमट गया था। उन्होंने कहा कि 2010 में 1005 मौतों की तुलना में 2020 में 82 परसेंट की कमी आई है। अब यह केवल 183 रह गई है। उन्होंने बताया कि 2010 की तुलना में नक्सल प्रभावित जिलों की संख्या में भी कमी आई है। पहले जहां ऐसे कुल 96 जिले हुआ करते थे वहीं 2020 में ऐसे जिलों की संख्या घटकर केवल 53 रह गई है। उन्होंने कहा कि हमने जो टारगेट हासिल कर लिया है, उससे संतुष्ट होने के बजाए जो बचा हुआ है उसे हासिल करने पर जोर देना चाहिए।
देश भर 45 जिले ही नक्सल प्रभावित
देश में अभी लगभग 45 जिलों में नक्सली खतरा व्याप्त है। हालांकि, देश के कुल 90 जिलों को माओवादी प्रभावित माना जाता है। यह मिनिस्टरी की की सुरक्षा संबंधी व्यय (एसआरई) योजना के अंतर्गत आते हैं। नक्सल समस्या, जिसे वामपंथी उग्रवाद (एलडब्ल्यूई) भी कहा जाता है,।2019 में 61 जिलों में और 2020 में केवल 45 जिलों में रिपोर्ट की गई थी। 2015 से 2020 तक वामपंथी उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों में विभिन्न हिंसा में लगभग 380 सुरक्षाकर्मी, 1,000 नागरिक और 900 नक्सली मारे गये इसी अवधि के दौरान कुल 4,200 नक्सलियों ने भी सरेंडर किया है।
विकास परियोजनाओं की समीक्षा
होम मिनिस्टर ने सीएम के साथ सुरक्षा स्थिति और माओवादियों के खिलाफ चल रहे अभियानों और नक्सल प्रभावित इलाकों में चल रही विकास परियोजनाओं की समीक्षा की। शाह ने राज्यों की आवश्यकताओं, उग्रवादियों से निपटने के लिए तैनात बलों की संख्या, नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में किए जा रहे सड़कों, पुलों, स्कूल और स्वास्थ्य केंद्रों के निर्माण जैसे विकास कार्यों का जायजा लिया।
बैठक में शामिल सीएम में नवीन पटनायक (ओडिशा), के चंद्रशेखर राव (तेलंगाना), नीतीश कुमार (बिहार), शिवराज सिंह चौहान (मध्य प्रदेश), उद्धव ठाकरे (महाराष्ट्र) और हेमंत सोरेन (झारखंड।पश्चिम बंगाल की सीएमत्री ममता बनर्जी, छत्तीसगढ़ के भूपेश बघेल, आंध्र प्रदेश के वाई एस जगन मोहन रेड्डी और केरल के सीएम पिनाराई विजयन बैठक में शामिल नहीं हुए। संबंधित स्टेट का प्रतिनिधित्व वहां के सीनीयर अफसरों ने किया।