नई दिल्ली: हरिवंश नारायण सिंह बने राज्यसभा के उपसभापति, विपक्ष के कैंडिडेट मनोज झा को हराया
जेडीयू के हरिवंश नारायण सिंह लगातार दूसरी बार राज्यसभा में उपसभापति चुने गये हैं। राज्यसभा में एनडीए के कैंडिडेट का मुकाबला विपक्ष के उम्मीदवार मनोज झा से था। ध्वनि मत से हुए वोटिंग में हरिवंश ने जीत हासिल की।
नई दिल्ली। जेडीयू के हरिवंश नारायण सिंह लगातार दूसरी बार राज्यसभा में उपसभापति चुने गये हैं। राज्यसभा में एनडीए के कैंडिडेट का मुकाबला विपक्ष के उम्मीदवार मनोज झा से था। ध्वनि मत से हुए वोटिंग में हरिवंश ने जीत हासिल की। जगत प्रकाश नड्डा ने हरिवंश को उपसभापति बनाने का प्रस्ताव पेश किया तो विपक्ष की ओर से गुलाम नबी आजाद की ओर मनोज झा के नाम का प्रोपोजल रखा गया था।
बोले PM मोदी- पक्ष और विपक्ष सबके रहेंगे सदन के हरि
पीएम नरेंद्र मोदी ने हरिवंश को दोबारा उपसभापति चुने जाने पर बधाई दी। उन्होंने कहा कि सदन के हरि पक्ष और विपक्ष दोनों के लिए एक जैसे ही रहेंगे। पीएम ने कहा कि सदन के सदस्य सभापति और उपसभापति को कार्यवाही चलाने के लिए जितना सहयोग करेंगे, उतना समय का सदुपयोग होगा। मैंने पिछली बार अपने संबोधन में कहा था कि मुझे भरोसा है कि जैसे हरि सबके होते हैं, वैसे सदन के हरि भी पक्ष और विपक्ष सबके रहेंगे। सदन के हरिवंश जी इस पार और उस पार सबके एक तरह से रहे और भेदभाव नहीं किया।
पीएम मोदी ने कहा कि सामाजिक कार्यों, पत्रकारिता की दुनिया में हरिवंश जी ने जिस तरह की ईमानदार छवि बनाई, उसके लिए मेरे मन में उनके लिए बहुत सम्मान रहा है। यही सम्मान सदन के हर सदस्य के मन में भी है। यह भाव और आत्मीयता हरिवंश जी की अपनी कमाई हुई पूंजी है। जिस तरह वे सदन को चलाते हैं, उसको देखते हुए यह स्वाभाविक भी है। इस बार यह सदन अपने इतिहास में सबसे अलग संचालित हो रहा है। कोरोना के कारण जैसी परिस्थितियां हैं, उसमें यह सदन काम करे और जरूरी जिम्मेदारियों को पूरा करे, हम सभी का कर्तव्य है।'उन्होंने कहा कि मैंने यह भी कहा था कि सदन के इस मैदान में खिलाड़ियों से ज्यादा अंपायर परेशान रहते हैं। मुझे तो भरोसा था कि अंपायरिंग अच्छी करेंगे लेकिन जो लोग हरिवंश जी से अपरिचित थे, हरिवंश जी ने सभी का भरोसा जीत लिया। उन्होंने अपने दायित्व को सफलतापूर्वक पूरा किया है और दो साल इसका गवाह है। वे बिल को पारित कराने के लिए घंटों बैठे रहे और देश के भविष्य व दिशा को बदलने वाले अनेकों बिल पारित हुए।
अंतरराष्ट्रीय मंचों पर देश की गरिमा बढ़ाने की कोशिश की
पीएम मोदी ने कहा, 'सदन के सदस्य के तौर पर हरिवंशजी ने देश की सेवा का पूरा प्रयास किया। उन्होंने सभी अंतरराष्ट्रीय पटलों पर देश की गरिमा बढ़ाने की पूरी कोशिश की। हर जगह हरिवंशजी ने देश का मान बढ़ाया है। राज्यसभा की कई समितियों के सदस्य भी रहे हैं। अपनी भूमिका को प्रभावी ढंग से रेखांकित किया। कभी वे बतौर पत्रकार 'हमारा सांसद कैसा हो' इसकी मुहिम चलाते रहे हैं। वे अभी भी देशभर में जाते हैं और लोगों को जागरूक करते हैं।
पीएम मोदी ने सुनाया हरिवंश के जूते का किस्सा
पीएम मोदी ने हरिवंश नारायण सिंह के बचपन के दिनों का भी जिक्र किया। पीएम मोदी ने पुराना किस्सा सुनाते हुए कहा, 'जब हरिवंश जी क्लास 10 में पहुंचे तब पहली बार उनके लिए जूता बनाने की बात हुई। गांव के ही एक व्यक्ति को हरिवंश जी के लिए जूता बनाने के लिए कहा गया। हरिवंश जी रोज उस जूते को देखने जाते थे कि कितना बना। वह हर रोज एक ही सवाल पूछते थे कि ये जूता मेरा कब तक बन जायेगा। आप इसी बात से अंदाजा लगा सकते हैं कि हरिवंश जी जमीन से इतना क्यों जुड़े हुए हैं।
सामाजिक सरोकार की पत्रकारिता से जुड़े रहे
हरिवंश सामाजिक सरोकार की पत्रकारिता से जुड़े रहे हैं। हरिवंश राजनीति में जयप्रकाश नारायण के आदर्शों से भी प्रेरित हैं। उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के सिताब दियारा गांव में वर्ष 1956 की 30 जून को जन्मे हरिवंश को जेपी ने सबसे ज्यादा प्रभावित किया। उन्होंने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में एमए और पत्रकारिता में डिप्लोमा की पढ़ाई की। पढ़ाई के दौरान ही मुंबई में उनका 'टाइम्स ऑफ इंडिया समूह में ट्रेनी जर्नल्सिट के रूप में वर्ष 1977-78 में चयन हुआ। वह टाइम्स ग्रुप की साप्ताहिक पत्रिका 'धर्मयुग में वर्ष 1981 तक उपसंपादक रहे। हरिवंश वर्ष 1981-84 तक हैदराबाद एवं पटना में बैंक ऑफ इंडिया में नौकरी की। उन्होंने वर्ष 1984 में पत्रकारिता में वापसी की और वर्ष 1989 अक्तूबर तक आनंद बाजार पत्रिका ग्रुप से प्रकाशित 'रविवार साप्ताहिक पत्रिका में सहायक संपादक रहे।
हरिवंश ने वर्ष 1990-91 के कुछ महीनों तक तत्कालीन प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के अतिरिक्त सूचना सलाहकार (संयुक्त सचिव) के रूप में पीएमओ में भी काम किया। ढाई दशक से अधिक समय तक 'प्रभात खबर के प्रधान संपादक रहे हरिवंश को नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू ने राज्यसभा में भेजा। उन्हें बिहार के सीएम नीतीश कुमार का बेहद करीबी माना जाता है।हरिवंश ने कई पुस्तकें लिखी और संपादित की हैं। इनमें 'दिसुम मुक्तगाथा और सृजन के सपने, 'जोहार झारखंड, 'झारखंड अस्मिता के आयाम, 'झारखंड सुशासन अभी भी संभावना है, 'बिहार रास्ते की तलाश' शामिल हैं।