CM हेमंत की माइनिंग लीज व शेल कंपनी प्रकरण में 19 को सुनवाई, हाई कोर्ट ने मांगी मनरेगा से जुड़ी FIR की डीटेल
झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन के खिलाफ माइनिंग लीज आवंटन और शेल कंपनी से जुड़े मामले पर झारखंड हाईकोर्ट में अब 19 मई को सुनवाई होगी।इस मामले में हाई कोर्ट में सोमवार को हुई सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से सुप्रीम कोर्ट के सीनीयर एडवोकेट कपिल सिब्बल व मुकुल रोहतोगी ने पक्ष रखा। कोर्ट ने 19 मई को फिर से सुनवाई करने की बात कही।
रांची। झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन के खिलाफ माइनिंग लीज आवंटन और शेल कंपनी से जुड़े उनके करीबियों के मामले पर झारखंड हाईकोर्ट में सोमवार को सुनवाई हुई। इस दौरान ED की ओर से पेश शीलबंद लिफाफे को खोला गया। ED के एडवोकेट तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया, '2010 में 16 FIR हुई थी। इसके बाद ED ने अपनी जांच में पाया कि IAS पूजा सिंघल के पास करोड़ों रुपये हैं। उन्हें मिलने वाली रिश्वत की रकम सत्ता के शीर्ष पर बैठे लोगों तक पहुंचती थी। रिश्वत के पैसों को शेल कंपनी के माध्यम से मनी लॉड्रिंग की जाती थी।
सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम ने की कई स्टेट के हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस को बदलने की अनुशंसा
आज माननीय उच्च न्यायालय में हुई बहस के अनुसार छविरंजन उपायुक्त राँची अधिकारी नहीं मुख्यमंत्री के परिवार के सदस्य हैं जिनको काफ़ी व्यक्तिगत जानकारी है? यही कारण है कि कुलकर्णी जी के रिपोर्ट के बाद भी निलंबित नहीं हुए?
— Dr Nishikant Dubey (@nishikant_dubey) May 17, 2022
एडवोकेट तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया कि में कुछ लोगों ने यह स्वीकार किया है कि मनी लॉड्रिंग होती थी। एक व्यक्ति ने मनी लॉड्रिंग के लिए इस्तेमाल होने वाली कंपनियों की लिस्ट दी है।'इसके बाद हाईकोर्ट ने निर्देश दिया है कि मनरेगा से जुड़ी 16 FIR की डिटेल कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत किए जाएं। अब अगली सुनवाई 19 मई को होगी। साथ ही कोर्ट ने याचिकाकर्ता के वकील से पूछा, 'इस मामले को CBI को क्यों दिया जाए, जबकि इस मामले में किसी तरह की FIR दर्ज नहीं है।' इस पर याचिकाकर्ता के एडवोकेट राजीव कुमार ने कहा कि 'जनहित से जुड़े मुद्दों पर अदालत जांच का आदेश पारित कर सकती है। उन्होंने कोर्ट को जानकारी दी कि यह मामला पूजा सिंघल के मामले से जुड़ा है। इस दौरान सरकार की तरफ से सुप्रीम कोर्ट के सीनीयर एडवोकेट कपिल सिब्बल व मुकुल रोहतोगी ने पक्ष रखा।
HC ने मांगी मनरेगा से जुड़ी 16 FIR की डीटेल
शेल कंपनी मामले में हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान ED द्वारा सीलबंद लिफाफे में प्रस्तुत दस्तावेज समक्ष खोले गये। सुनवाई के दौरान शेल कंपनी मामला में हाईकोर्ट ने निर्देश दिया कि मनरेगा से जुड़ी 16 FIR की डीटेल कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत किए जाएं। स्टेट गवर्नमेंट की ओर से कपिल सिब्बल, एडवोकेट जनरल राजीव रंजन, एडवोकेट पीयूष चित्रेश ने कोर्ट के समक्ष बहस की। सीएम की ओर से मुकुल रोहतोगी और हाईकोर्ट के एडवोकेट अमृतांश वत्स कोर्टके समक्ष उपस्थित हुए।ईडी की ओर से सीनीयर एडवोकेट तुषार मेहता व सीबीआइ की ओर से ASGI प्रशांत पल्लव और एडवोकेट पार्थ जालान ने हाईकोर्ट में पक्ष रखा।
जब मामले में किसी तरह की FIR दर्ज नहीं क्यों दें CBI को जांच
जनहित याचिका पर चीफ जस्टिस जस्टिस रवि रंजन और जस्टिस सुजित नारायण प्रसाद की बेंच में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सुनवाई हुई।कोर्ट ने याचिकाकर्ता के वकील से पूछा कि इस मामले की जांच क्यों CBI को दे, जबकि इस मामले में किसी तरह की FIR दर्ज नहीं है। इस पर एडवोकेट राजीव कुमार ने कोर्ट के समक्ष बहस करते हुए कहा कि जनहित से जुड़े मुद्दों पर कोर्ट जांच के आदेश पारित कर सकती है। उन्होंने कोर्ट को जानकारी दी कि यह मामला पूजा सिंघल के मामले से जुड़ा हुआ है।
रवि केजरीवाल ने बताया है शेल कंपनियों के नाम
ईडी की ओर से सीनीयर एडवोकेट तुषार मेहता ने कहा कि आइएसएस पूजा सिंघल, रवि केजरीवाल के बाद कुछ अन्य लोगों से पूछताछ में कई शेल कंपनियों के नाम सामने आये हैं, जिनकी जांच जारी है। फिलहाल मनरेगा घोटाले की जांच अभी एसीबी कर रही है। एसीबी सरकार के अधीन है। ऐसे में जांच को प्रभावित किए जाने की संभावना है। इस पूरे मामले की जांच सीबीआइ को सौंप देना चाहिए। झारखंड गवर्नमेंट की ओर बहस करतचे हुए सीनीयर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने इसका विरोध करते हुए कहा कि ईडी की कार्रवाई वर्ष 2010 के खूंटी में हुए मनरेगा घोटाला को लेकर की गई है। इसी मामले में आइएएस पूजा सिंघल को अरेस्ट किया गया है। ऐसा करके सरकार को टारगेट किया जा रहा है। उनकी ओर से याचिका की वैधता पर सवाल उठाया गया। उन्होंने कहा कि यह राजनीति से प्रेरित है। इस पर सुनवाई नहीं की जानी चाहिए।
माइंस सेकरेटरी अरेस्ट हुईं और उन्हें सस्पेंड कर दिया गया है। उन पर अभी तक कार्रवाई क्यों नहीं की गई
हाई कोर्ट ने कहा कि सरकार इस याचिका का विरोध क्यों कर रही है। यह मामला उजागर हो चुका है। सभी को पता है कि माइंस सेकरटेरी के सीए के पास से करोड़ों रुपये बरामद हुए हैं। इस पर कपिल सिब्बल ने कहा कि यह याचिका एक साल पहले दाखिल की गई थी। जबकि ईडी की कार्रवाई एक सप्ताह पहले से जारी है। ईडी की कार्रवाई के बाद सरकार ने उचित निर्णय लिया है। याचिकाकर्ता के परिजन दो दशकों से सीएम हेमंत सोरेन के राजनीतिक विरोधी रहे हैं। याचिका सुनवाई योग्य नहीं है। इसे खारिज किया जाना चाहिए। सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने पूछा कि इस मामले में माइंस सेकरेटरी अरेस्ट हुईं और उन्हें सस्पेंड कर दिया गया है। उन पर अभी तक कार्रवाई क्यों नहीं की गई है। क्या कोर्ट ने इसमें एफाइआर दर्ज करने पर कोई रोक लगाई है। मामले में आइएएस सहित राजनीतिक लोगों की भूमिका संदिग्ध हैं तो उनके खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए थी। इस पर कपिल सिब्बल ने कहा कि जब इस मामले में कोई एफआइआर दर्ज नहीं है तो किस आधार पर मामले की जांच सीबीआइ को सौंपी जा सकती है।
रांची डीसी से हाईकोर्ट ने पूछा- आपको कैसे पता खान विभाग की पूरी जानकारी
सीएम हेमंत सोरेन के माइनिंग लीज आवंटन मामले में झारखंड हाई कोर्ट में मंगलवार को सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान वादी की ओर से कहा गया कि याचिका के उस पार्ट को हम सुनवाई के लिए प्रेस नहीं करेंगे क्योंकि इस मामले में चुनाव आयोग ने सीएम को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। इस मामले में कोर्ट ने रांची डीसी की ओर से शपथ पत्र दाखिल करने पर कड़ी नाराजगी जताई। उनसे स्पष्टीकरण मांगा है। अदालत ने पूछा है कि रांची के डीसीहोते हुए उन्हें खनन विभाग के बारे में सारी जानकारी कैसे हैं।
याचिकाकर्ता ने इसे संविधान के अनुच्छेद 191 का उल्लंघन बताया
सीएम हेमंत सोरेन के नाम से खनन पट्टा आवंटन मामले में जनहित याचिका दाखिल की गई है। कोर्ट की नोटिस के बाद हेमंत सोरेन की ओर से अदालत में जवाब दाखिल किया गया है। यह याचिका भी शिव शंकर शर्मा ने दाखिल की है। प्रार्थी के अधिवक्ता राजीव कुमार ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर पद का दुरुपयोग करते हुए रांची के अनगड़ा में माइंसकी लीज आवंटित करने का आरोप लगाया है। इस विभाग के हेमंत सोरेन खुद मंत्री भी हैं। प्रार्थी के वकील का आरोप है कि मुख्यमंत्री का यह कदम संविधान के अनुच्छेद 191 का उल्लंघन है। लाभ के पद पर रहते हुए इस तरह का व्यवसाय नहीं कर सकते हैं। ऐसा करने पर उस व्यक्ति की सदस्यता समाप्त किए जाने का प्रविधान है।
चुनाव आयोग ने अभी नहीं भेजा गया है जवाब
सरकार के महाधिवक्ता राजीव रंजन का तर्क है कि वर्ष 2008 में हेमंत सोरेन को खनन पट्टा मिला था। वर्ष 2018 में लीज समाप्त हो गया। इसके बाद नवीकरण के लिए आवेदन दिया था। शर्तों को पूरा नहीं करने पर लीज का नवीकरण रद कर दिया गया था। सितंबर 2021 में विभाग की ओर से फिर से लीज आवंटित कर दी गई। उन्होंने फरवरी 2022 में लीज सरेंडर कर दिया था। उल्लेखनीय है कि इस मामले का एक्स सीएम रघुवर दास ने खुलासा किया था। रघुवर दास ने प्रेस कांफ्रेस कर आरोप लगाया था कि सीएम हेमंत सोरेन ने अपने नाम से माइंस लीज लिया है। वह सीएम हाेने के साथ-साथ माइंस डिपार्टमेंट के भी मिनिस्टर हैं। बीजेपी ने इसकी शिकायत राज्यपाल रमेश बैस से की थी। राज्यपाल ने चुनाव आयोग को रिपोर्ट भेजी थी। फिर चुनाव आयोग ने मुख्य सचिव से रिपार्ट मांगी। इसके बाद चुनाव आयोग ने हेमंत सोरेन से जवाब मांगा था। 10 मई को जवाब दाखिल करने की अंतिम तिथि थी। लेकिन हेमंत सोरेन ने मां की तबीयत खराब हाेने का हवाला देते हुए एक माह का समय मांगा। चुनाव आयोग ने एक माह का समय तो नहीं दिया, लेकिन 10 दिनों की मोहलत दे दी थी। अभी सीएम हेमंत सोरेन ने जवाब नहीं भेजा है।
हाई कोर्ट ने मामले को लेकर की थी कड़ी टिप्पणी
माइनिंग लीज और शेल कंपनियों से जुड़े मामले में सुनवाई के दौरान सउक्रवार को कोर्ट ने मौखिक टिप्पणी में कौटिल्य के अर्थशास्त्र का एक वाक्यांश दोहराया था। कोर्ट ने कहा कि राजा का सुख प्रजा की सुख में ही होता है। क्या हेमंत सोरेन के माइंस लीज मामले में इस नीति का पालन किया गया। कोर्ट ने हेमंत सोरेन के वकील कपिल सिब्बल की तरफ से इसे जनप्रतिनिधित्व अधिनियम के 9ए से अलग मामला बताने पर कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा था कि सीएम की बात छोड़ भी दें, तो एक विभागीय मंत्री अपने नाम पर खदान ले रहा है. उसे खान सचिव और विभाग उपकृत कर रहा है। फिर क्या, यह अपने पद का दुरुपयोग नहीं है।
शेल कंपनियों को लेकर भी दायर की गयी है याचिका
सेल कंपनियों को लेकर शिव शंकर शर्मा ने जनहित याचिका दायर की है। एडवोकेट राजीव कुमार के माध्यम से दायर की गयी जनहित याचिका में बताया गया कि सीएम हेमंत सोरेन और उनके भाई बसंत सोरेन की अवैध आय का निवेश उनके करीबियों द्वारा बनायी गयी कई शेल कंपनियों में किया गया है। कोर्ट में 28 ऐसी कंपनी का डिटेल में पेश किया गया था। यं कंपनी रवि केजरीवाल, रमेश केजरीवाल, अमित अग्रवाल, अभिषेक प्रसाद एवं अन्य लोगों के नाम पर बनायी गयी है।चिकाकर्ता के अनुसार इन कंपनियों के माध्यम से निवेश किया जाता है। पीआईएल में सीबीआई, ईडी और इनकम टैक्स से सोरेन परिवार की पूरी संपत्ति की जांच की मांग की गयी है।
हेमंत सोरेन और करीबियों पर शेल कंपिनयां चलाने का आरोप
याचिका में कहा गया है कि सीएम हेमंत सोरेन, उनके परिजन और दर्जनों शेल कंपनियों में पैसे का निवेश किया है। सरकार के नजदीकी अमित अग्रवाल और रवि केजरीवाल, सुरेश नागरे सहित अन्य सगे संबंधी ही इस तरह की कंपनी का संचालन करते हैं। इनमें झारखंड से कमाई गई राशि को निवेश कर होटल, माल सहित अन्य कई संपत्तियां खरीदी गई हैं। पिछली सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने रजिस्ट्रार आफ कंपनी को प्रतिवाद बनाया और जानकारी मांगी थी।हाई कोर्ट के निर्देश के बाद रजिस्ट्रार आफ कंपनी ने जवाब दाखिल कर अदालत को बताया कि वह झारखंड की सिर्फ चार कंपनियों की जानकारी दे सकता है। क्योंकि झारखंड की यह चार कंपनियां उनके अधीन है। शेष जिन 45 कंपनियों का जिक्र किया गया है उनकी जानकारी पटना, दिल्ली, हरियाणा, छत्तीसगढ़, दिल्ली कटक और कोलकाता के रजिस्ट्रार आफ कंपनी कार्यालय से मांगी जा सकती है।
शिवशंकर शर्मा की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए हाइकोर्ट में सोमवार को ईडी ने हाइकोर्ट में सीलबंद लिफाफे सौंपा था। पिछले सुनवाई के दौरान ईडी के अधिवक्ता तुषार मेहता ने कोर्ट को जानकारी दी थी कि उसने शेल कंपनियों के बारे में जो दस्तावेज जुटाये हैं, उन्हें कोर्ट में पेश करना चाहते हैं। इस पर कोर्ट ने दस्तावेज सीलबंद लिफाफे में जमा करने के निर्देश दिया था। हाल के दिनों में ईडी को कई महत्वपूर्ण दस्तावेज हाथ लगे हैं। इसे सोमवार को सीलबंद लिफाफे में हाइकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल के पास जमा कराया गया।