झारखंड: ISM व धनसार हीरक रिंग रोड भू-अर्जन  मुआवजा घोटाले में अफसरों व अन्य के खिलाफ FIR दर्ज करेगी ACB, सीएम हेमंत ने दी मंजूरी

नबाद जिले के धनसार हीरक रिंग रोड के गोलकाडीह मौजा में भू-अर्जन की प्रक्रिया में बरती गई अनियमितता और आइएसएम से संबंधित मामले में आरोपी अफसरों के खिलाफ एसीबी एफआइआर दर्ज  करेगी। मामले में आरोपी अफसरों के खिलाफ एफआइआर दर्ज करने से संबधित प्रोपोजल को सीएम हेमन्त सोरेन ने सहमति दे दी है।

  • हीरक रिंग रोड मामले में अफसर व स्टाफ समेत 116 लोगों पर होगी FIR 
  • आइएसएम से संबंधित मामले में तत्कालीन दो भू-अर्जन पदाधिकारियों पर होगी केस
  • एसीबी भू अर्जन प्रक्रिया में बरती गई अनियमितता और भू अर्जन घोटाला की कर रही है जांच 

रांची। धनबाद जिले के धनसार हीरक रिंग रोड के गोलकाडीह मौजा में भू-अर्जन की प्रक्रिया में बरती गई अनियमितता और आइएसएम से संबंधित मामले में आरोपी अफसरों के खिलाफ एसीबी एफआइआर दर्ज  करेगी। मामले में आरोपी अफसरों के खिलाफ एफआइआर दर्ज करने से संबधित प्रोपोजल को सीएम हेमन्त सोरेन ने सहमति दे दी है। उल्लेखनीय है कि कि इन  दोनों मामलों की जांच एसीबी कर रही है।
आइएसएम विस्तार के लिए 3.02 एकड़ भूअर्जन से से संबंधित अनियमितता मामले मे तत्कालीन जिला भू अर्जन पदाधिकारी रहे उदयकांत पाठक (सेवामुक्त)) और नारायण विज्ञान प्रभाकर (रिटायर्ड) के खिलाफ एफआइआर दर्ज होगी। धनसार हीरक रिंग रोड के गोलकाडीह में भूमि अर्जन में हुई अनियमितता मामले में आरोपी तत्कालीन जिला भू अर्जन पदाधिकारी श्री लाल मोहन नायक समेत कई और अफसरों व स्टाफ के खिलाफ एफआइआर दर्ज की जायेगी। 
जिनके खिलाफ दर्ज होगी एफआइआर

धनसार हीरक रिंग रोड के गोलकाडीह में भू-अर्जन प्रक्रिया में हुई अनियमितता  मामले में तत्कालीन जिला भू अर्जन पदाधिकारी लाल मोहन नायक, तत्कालीन प्रभारी कानूनगो विजय कुमार सिंह, तत्कालीन अमीन श्यामपद मंडल, कार्यालय सहायक रामाशंकर प्रसाद, तत्कालीन नाजीर मो जिलानी (रिटायर्ड) , तत्कालीन कार्यपालक अभियंता राजकुमार प्रसाद (रिटायर्ड), तत्कालीन सहायक अभियंता अरुण कुमार सिंह, तत्कालीन कनीय अभियंता जगतानंद प्रसाद और एडवोकेट रमेश कुमार प्रसाद तथा व अन्य लाभार्थियों समेत 116 लोगों के खिलाफ एफआइआर दर्ज करायी जायेगी। आइएसएम से संबंधित मामले में तत्कालीन जिला भू अर्जन पदाधिकारी उदयकांत पाठक (सेवामुक्त) और तत्कालीन जिला भू अर्जन पदाधिकारी श्री नारायण विज्ञान प्रभाकर (रिटायर्ड) पर एफआइआर दर्ज होगी। 
क्या मामला 
झरिया पुनर्वास प्राधिकार द्वारा वर्ष 2010 में बाघमारा थाना क्षेत्र के तिलाटांड में 59.4 एकड़ भूमि अर्जित करने का प्रोपोजल मिला था। इस प्रोपोजल के तहत भू अर्जन के लिए नोटिस पर तत्कालीन डीसी का अनुमोदन प्राप्त किया गया। वर्ष 2013 में आऱोपी अफसर उदयकांत पाठक द्वारा अफसरों द्वारा 15 रैयतों  के बीच 20 करोड़ से भी अधिक राशि का भुगतान करने का आदेश दिया गया। लेकिन, रैयतों को मुआवजा भुगतान करने हेतु सक्षम पदाधिकारी से दर निर्धारित नहीं कराई गई। इसके अलावा भू अर्जन अधिनियम औऱ झारखंड स्वैच्छिक भू अर्जन नियमावली के अंतर्गत निर्धारित अवधि के अंदर प्रभावित रैयतों से सहमति पत्र प्राप्त कर उचित मुआवजा भुगतान करने हेतु दखल कब्जा प्राप्त करने संबंधी निर्देशों का भी पालन नहीं किया गया। इसके बाद  रैयतों को भुगतान की कार्रवाई की गई और उसके पश्चात पंचाट की घोषणा नहीं होने से अभिलेख को व्ययगत घोषित कर दिया गया। इससे साफ है कि आरोपी पदाधिकारी उदयकांत पाठक द्वारा गलत मंशा से राशि भुगतान की गई। इसमें 11 रैयतों  को जोड़ापोखर पैक्स के माध्यम से  भूमि का बगैर दखल कब्जा प्राप्त किए राशि भुगतान कराई गई। धनसार में संबंधित रैयतों को भुगतान की गई राशि बिचौलियों द्वारा निकाल ली गई।

आइएसएम विस्तार भूअर्जन के लिए दो बार निकली नोटिफिकेशन
आइएसएम का विस्तार करने के लिए धनबाद में 3.02 एकड़ जमीन के अधिग्रहण में मुआवजा देने में भारी अनियमितता बरती गयी थी। जमीन दलालों, प्रशासनिक अफसर व स्टाफ की मिलीभगत से धैया मौजा में जमीन अधिग्रहण की नोटिफिकेशन दो बार जारी की गयी। प्रशासन ने पहली बार वर्ष 2012 की नौ अगस्त जमीन अधिग्रहण की नोटिफिकेशन जारी की लेकिन अधिग्रहण की कार्यवाही आगे नहीं बढ़ायी गयी। एक साल बाद वर्ष 2013 की 13 सितंबर को डीसी के आदेश पर दूसरी बार नोटिफिकेशन जारी की गयी। इसमें आपात परिस्थिति में जमीन अधिग्रहण की बात बतायी गयी। इन दोनों नोटिफिकेशन के बीच कुछ खास लोगों ने धैया मौजा की जमीन रैयतों से औने-पौने दाम में अपने नाम रजिस्ट्री करा ली। खरीद-बिक्री पर रोक होने के बावजूद जमीन बेची गयी। जमीन अधिग्रहण की मुआवजा भुगतान के लिए वंशावली की जानकारी भी नहीं ली गयी।