Jharkhand : बाबूलाल मरांडी को BJP ने दिया फ्री हैंड, रघुवर दास को ओडिशा का गर्वनर बनाने के खास राजनीतिक मायने
झारखंड के एक्स सीएम व बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रघुवर दास को ओड़िशा का गवर्नर बनाने के राजनीतिक मायने हैं। रघुवर दास को गवर्नर बना बीजेपी बाबूलाल मरांडी को फ्री हैंड दिया है।ऐसा माना जा रहा है कि 2024 के लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव से पहले रघुवर दास को गवर्नर के साथ ही रघुवर दास, अर्जुन मुंडा और बाबूलाल मरांडी के बीच झारखंड बीजेपी में नेतृ्त्व का मामला सुलझ गया है।
- झारखंड बीजेपी में नेतृ्त्व का मामला सुलझ
- अर्जुन मुंडा को सेंट्रल पर पूरी तरह फोकस करने का निर्देश
- संकल्प यात्रा पर हैं बाबूलाल मरांडी
रांची। झारखंड के एक्स सीएम व बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रघुवर दास को ओड़िशा का गवर्नर बनाने के राजनीतिक मायने हैं। रघुवर दास को गवर्नर बना बीजेपी बाबूलाल मरांडी को फ्री हैंड दिया है।ऐसा माना जा रहा है कि 2024 के लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव से पहले रघुवर दास को गवर्नर के साथ ही रघुवर दास, अर्जुन मुंडा और बाबूलाल मरांडी के बीच झारखंड बीजेपी में नेतृ्त्व का मामला सुलझ गया है।
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चंदनकियारी के एमएलए अमर बाउरी को बीजेपी विधायक दल का नेता बनाया है। बाउरी नेता प्रतिपक्ष बनाये गये हैं। ऐसे में बाबूलाल मरांडी अपने मुताबिक स्टेट में बीजेपी के अभियान को गति देंगे, उनकी राह में अब कोई नहीं होगा।एक्स सीएम अर्जुन मुंडा को पूरी तरह जनजातीय मामलों के मंत्रालय पर फोकस करने को कहा गया है। बाबूलाल मरांडी अभी संकल्प यात्रा पर निकले हुए हैं।रघुवर दास भी अपने स्तर से लगातार सक्रिय थे। ऐसे में सत्ताधारी झारखंड मुक्ति मोर्चा भाजपा में नेतृत्व की दावेदारी को लेकर लगातार सवाल उठा रहा था। दोनों नेताओं की अपनी-अपनी भूमिका तय हो गयी है। ऐसे में बाबूलाल मरांडी के लिए अब कोई चुनौती नहीं रह गई है।
जमशेदपुर पूर्वी से अभय सिंह को प्रबल दावेदार
अब सबसे बड़ा सवाल यह भी है कि गवर्नर बनाये जाने के रघुवर की परंपरागत सीट जमशेदपुर पूर्वी से भाजपा किसे मौका देगी। पिछले विधानसभा चुनाव में उन्हें सरयू राय ने पराजित किया था। सरयू की बीजेपीवापसी की भी अटकलें हैं। हालांकि, वे इससे इन्कार करते हैं। ऐसे में बाबूलाल मरांडी के करीबी अभय सिंह को सामने लाया जा सकता है। बीजेपी के पूर्व प्रदेश प्रवक्ता अमरप्रीत सिंह काले हैं। काले फिलहाल पार्टी से निलंबित हैं, उनकी वापसी भी संभव है।
बताया जा रहा है कि विधानसभा चुनाव हारने के बावजूद रघुवर दास ने झारखंड बीजेपी में अपनी पकड़ बरकरार रखी थी। स्टेट के दो एक्स सीएम बाबूलाल मरांडी के अध्यक्ष बनने और अर्जुन मुंडा
सो मोदी कैबिनेट में जाने के बाद लगातार सक्रिय रहे थे। हालांकि, उनके नेतृत्व में पार्टी 2019 के विधानसभा चुनाव में हार के बावजूद, सेंट्रल लीडरशीप ने रघुवर को दो बार राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया।
26.5 प्रतिशत आदिवासी समुदाय वालेझारखंड के एकमात्र गैर-आदिवासी सीएम बने। वैश्य समुदाय से आनेवाले रघुवर दास ने खुद को एक प्रभावी नेता के तौर पर झारखंड में स्थापित कर लिया था। झारखंड बीजेपी में रघुवर दास प्रमुख चेहरा माने जा रहे थे।।
रघुवर को ओडिशा का गवर्नर बनाये जाने बाद स्टेट में लीडरशीप का मामला लगभग सुलझ गया है। वर्तमान विधायक दल में रघुवर जी के कई वफादार हैं। अमर बाउरी को विधायक दल का नेता बनाया गया है। अमर बाउरी को विधायक दल के नेता के रूप में नियुक्त करने में रघुवर दास ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। सीएम रहते रघुवर दास ने ही 2014 में अमर बाउरी को जेवीएम से बीजेपी में लाये। उन्हें अपने मंत्रिमंडल में शामिल किया। वह उनके वफादारों में से एक माने जाते हैं।
रघुवर दास का पॉलिटिकल कैरियर
रघुवर दास ने 1977 में जनता पार्टी ज्वाइन की थी। 1980 में संस्थापक सदस्य के रूप में वह बीजेपी से जुड़ गये। उन्हें जमशेदपुर की सीतारामडेरा इकाई के प्रमुख के रूप में नियुक्त किया गया। रघुवर दास को जमशेदपुर बीजेपी के मुख्य सचिव का कार्यभार दिया गया। वह जमशेदपुर भाजपा के उपाध्यक्ष भी रहे। इसके बाद उन्हें बीजेपी के राष्ट्रीय सचिव के रूप में नियुक्त किया गया। 1995 में वह बिहार के जमशेदपुर पूर्वी सीट से एमएलए चुने गये। जमशेदपुर पूर्वी सीट से पांच बार एमएलए बने। वर्ष 2000 में झारखंड के गठन के बाद से जब भी बीजेपी ने सरकार बनाई, हर कैबिनेट के सदस्य रहे हैं। रघुवर दास पहलेगैर-आदिवासी मुख्यमंत्री होने के साथ-साथ, 2019 में कार्यकाल पूरा करनेवाले झारखंड के पहले सीएम बने।
2000 में रघुवर दास को झारखंड के श्रम और रोजगार मंत्री के रूप में नियुक्त किया गया था। 2004 में वह भाजपा के झारखंड प्रदेश अध्यक्ष बने। 2005 में उन्हें अर्जुन मुंडा सरकार में शहरी विकास मंत्री और वाणिज्यिक कर मंत्री के रूप में नियुक्त किया गया था। 30 दिसंबर 2009 को जब शिबू सोरेन सीएम थे, तब उन्हें झारखंड का डिप्टी सीएम बनाया गया। 16 अगस्त 2014 को उन्हें भाजपा राष्ट्रीय समिति के उपाध्यक्ष के रूप में जगह मिली। 2014 में झारखंड के सीएम बनने से पहले रघुवर दास जमशेदपुर (पूर्व) से पांच बार एमएलए रहे हैं। वर्ष 2000 में झारखंड के गठन के बाद से जब भी बीजेपी ने सरकार बनाई, हर कैबिनेट के सदस्य रहे हैं।
28 दिसंबर 2014 को उन्होंने झारखंड के छठे सीएम के रूप में शपथ ली। रघुवर दास पहलेगैर-आदिवासी मुख्यमंत्री होने के साथ-साथ, 2019 में कार्यकाल पूरा करनेवाले झारखंड के पहले सीएम बने।हालांकि बीजेपी ने उनके नेतृत्व में 2019 का विधानसभा चुनाव लड़ा और पार्टी गंवा दी। उनकी हार के बाद हेमंत सोरेन राज्य के सीएम बन गये। रघुवर को 2019 के हुए चुनावों में अपनी सीट पर भी हार का सामना करना पड़ा था। उन्हें जमशेदपुर (पश्चिम) के एमएलए और उनके कैबिनेट सहयोगी सरयू राय ने हराया था। बताया जाता है कि सरयू राय को तत्कालीन सीएम रघुवर दास के दबाव में पार्टी द्वारा टिकट से इनकार किए जाने के बाद बागी हो गये थे। उन्होंने जमशेदपुर (पूर्व) निर्वाचन क्षेत्र से रघुवर दास के खिलाफ निर्दलीय चुनाव लड़ा था।