झारखंड: स्टेट पहली बार 14 राइस मिलों का सीएम हेमंत सोरेन ने किया शिलान्यास, और 100 मिले खुलेंगे
सीएम हेमंत सोरेन ने कहा है कि राज्य सरकार किसानों को समृद्ध बनाने के लिए लगातार काम कर रही है। वर्तमान में जितने धान का उत्पादन झारखंड में हो रहा है उस हिसाब से कम से कम 100 और चावल मिलों की आवश्यकता है। फिलहाल 50 से 60 लाख टन धान का उत्पादन हो रहा है लेकिन मिलिंग 15 से 20 लाख टन की ही हो रही है। सीएम सोमवार को 14 चावल मिलों का शिलान्यास करने के बाद समारोह को संबोधित कर रहे थे।
- उत्पादन रखरखाव और मिलिंग के लिए संसाधनों की कमी को दूर करेगी झारखंड सरकार
रांची। सीएम हेमंत सोरेन ने कहा है कि राज्य सरकार किसानों को समृद्ध बनाने के लिए लगातार काम कर रही है। वर्तमान में जितने धान का उत्पादन झारखंड में हो रहा है उस हिसाब से कम से कम 100 और चावल मिलों की आवश्यकता है। फिलहाल 50 से 60 लाख टन धान का उत्पादन हो रहा है लेकिन मिलिंग 15 से 20 लाख टन की ही हो रही है। सीएम सोमवार को 14 चावल मिलों का शिलान्यास करने के बाद समारोह को संबोधित कर रहे थे।
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मुख्यमंत्री श्री @HemantSorenJMM ने कहा आज 14 राइस मिल्स का शिलान्यास किया जा रहा। जल्द ये राइस मिल्स किसानों की सेवा में समर्पित होंगे। सरकार का प्रयास है किसानों को उनकी फसल का सही मूल्य प्राप्त हो। इसके लिए कड़ियों को जोड़ने का कार्य हो रहा है| https://t.co/eATgERcYzJ
— Office of Chief Minister, Jharkhand (@JharkhandCMO) January 24, 2022
स्टेट में पहली बार एक साथ 14 राइस मिल का शिलान्यास
सीएम ने कहा कि स्टेट में में कुल उपज के हिसाब से 25 प्रतिशत धान की ही मिलिंग हो पाती है। शेष के लिए हम दूसरे राज्यों पर अभी भी निर्भर हैं। इस लिहाज से अभी बड़े पैमाने पर धान मिलों की आवश्यकता है। स्टेट में पहली बार एक साथ 14 राइस मिल का शिलान्यास हुआ है। राज्य के 70 प्रतिशत लोग ग्रामीण परिवेश के हैं। खेती करके जीवन बसर करते हैं। ऐसे लोगों को समृद्ध करने के लिए हमारा लक्ष्य फूड प्रोसेसिंग प्लांट को अधिक से अधिक संख्या में चालू करने का है। सीएम ने कहा कि जियाडा के माध्यम से कम कीमत में भूखंडों का आवंटन उद्यमियों को किया गया है ताकि स्टेट में निवेश बढ़े और रोजगार के अवसर भी। अभी कम से कम 100 और चावल मिलों की आवश्यकता है।
मिलिंग के लिए बाहर नहीं जाना होगा
स्टेट में किसानों से धान खरीद में एमएसपी लागू है जिससे उन्हें फसल की उचित कीमत मिल पाती है। अधिक से अधिक चावल मिलों के होने से किसानों और व्यापारियों को बाहर नहीं जाना पड़ेगा। सीएम ने कहा कि राज्य सरकार प्रदेश में पशुपालन और मत्स्य पालन को भी बढ़ावा देना चाह रही है।
झारखंड में दाल और आटा मिलों की भी आवश्यकता
वित्त सह खाद्य आपूर्ति मंत्री डॉ रामेश्वर उरांव ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि चावल मिलों के अलावा झारखंड में आटा मिल की भी बड़े पैमाने पर आवश्यकता है। यहां के लोगों को जन वितरण प्रणाली के माध्यम से जब गेहूं आवंटित किया जाता है तो उनकी मांग होती है कि हमें गेहूं की जगह आटा उपलब्ध कराया जाए। विभाग इस विषय पर गंभीरता से विचार कर रहा है। इतना ही नहीं पलामू और आसपास के क्षेत्रों में दलहन की पैदावार अच्छी है और इस कारण से उस इलाके में दाल मिल खुलना भी जरूरी है। उन्होंने चीफ सेकरेटरी समेत सभी सीनीयर अफसरों को इस कार्य की सफलता के लिए धन्यवाद दिया। श्री उरांव ने कहा कि कहा कि हमारे किसान और यहां के व्यापारी धान की मिलिंग के लिए बिहार के औरंगाबाद, सासाराम और छत्तीसगढ़ के जशपुर का बड़े पैमाने पर रुख करते थे। चावल मिलों के खुल जाने से झारखंड के किसान और व्यापारियों के साथ-साथ सरकार को भी फायदा होगा।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उद्योग सचिव पूजा सिंघल ने कहा कि राज्य में पहले से तैयार फूड एंड फीड पॉलिसी के तहत अब तक 156 करोड़ की 16 परियोजनाओं को स्वीकृति दी जा चुकी है। पॉलिसी के तहत बड़े उद्योगों को 5 करोड़ तक की ग्रांट और सात करोड़ तक इंसेंटिव के अलावा कई प्रकार से और राहत देने का प्रस्ताव है। इन मिलों के खुल जाने से राज्य में चावल मिलिंग की क्षमता कई गुना बढ़ेगी।
खाद्य प्रसंस्करण नीति के तहत खुली 75 इकाइयों में 16 राइस मिल : डायरेक्टर
उद्योग निदेशक जितेंद्र कुमार सिंह ने शिलान्यास कार्यक्रम में सभी का स्वागत करते हुए जानकारी दी कि राज्य के कोने-कोने में उद्योगों के प्रसार के लिए उद्योग विभाग समर्पित है। उन्होंने कहा कि राज्य में खाद्य प्रसंस्करण नीति के तहत खुली कुल 75 इकाइयों में 16 राइस मिल हैं। कार्यक्रम के दौरान चीफ सेकरेटरी सुखदेव सिंह, सीएम के प्रधान सचिव राजीव अरुण एक्का, हिमानी पांडे, सीएम के सचिव विनय कुमार चौबे और अन्य अफसर उपस्थित थे।
10 जिलों में राइस मिले खोलने की पहल
झारखंड के गढ़वा, पलामू, लातेहार, पश्चिमी सिंहभूम, खूंटी, गुमला, सिमडेगा, धनबाद, बोकारो और गोड्डा में राइस मिल खोलने की पहल की गई है। राइस मिल खुलने से झारखंड के किसानों को अब पड़ोसी राज्योंक की ओर नहीं जाना पड़ेगा। झारखंड में ही धान से चावल तैयार होगा।