झारखंड: आदिवासियों के उद्योग में सहभागिता के लिए आगे आयें उद्यमी-व्यापारी: CM हेमंत सोरेन
सीएम हेमंत सोरेन ने उद्यमियों और व्यापारी वर्ग से अपील की है कि वह आदिवासियों की उद्योगों में सहभागिता बढ़ाने के लिए आगे आएं। सीआइआइ की झारखंड इकाई द्वारा सोमवार कोआयोजित चौथे ट्राइबल मीट को वर्चुअल प्लेटफार्म से संबोधित किया।
- सीआइआइ द्वारा आयोजित चौथे ट्राइबल डेवलपमेंट मीट को सीएम ने वर्चुअल किया संबोधित
- पूर्वोत्तर राज्यों में आदिवासी समाज उद्योग क्षेत्र में आगे
- झारखंड में इनका पीछे रहना चिंताजनक
रांची। सीएम हेमंत सोरेन ने उद्यमियों और व्यापारी वर्ग से अपील की है कि वह आदिवासियों की उद्योगों में सहभागिता बढ़ाने के लिए आगे आएं। सीआइआइ की झारखंड इकाई द्वारा सोमवार कोआयोजित चौथे ट्राइबल मीट को वर्चुअल प्लेटफार्म से संबोधित किया।
सीएम उद्योग में आदिवासी समाज की भूमिका विषय पर बोल रहे थे। सीएम ने आंकड़ों का हवाला देकर झारखंड के आदिवासियों की स्थिति को स्पष्ट किया। उन्होंने कहा कि झारखंड में 27 परसेंट आदिवासी समाज के लोग निवास करते हैं, लेकिन व्यापार या उद्योग के क्षेत्र में इनकी सहभागिता मात्र 2.5 परसेंट है। पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़ में आदिवासियों आबादी 31 परसेंट है। वहां भी आदिवासियों की सहभागिता मात्र दो प्रतिशत है। झारखंड में संसाधन की कोई कमी नहीं है। वहीं नार्थ ईस्ट में आदिवासियों और अनुसूचित जनजाति के लोग झारखंड के समतुल्य निवास करते हैं। व्यापार के क्षेत्र में उनकी सहभागिता नौ प्रतिशत है। इसकी वजह क्या है, सीआइआइ इस बात पर विचार करे। स्टेट गवर्नमेंट भी इसकी समीक्षा कर कमी को पाटने का कार्य करेगी।
सीएम ने कहा कि पूर्व में झारखंड के आदिवासी समुदाय के लोगों को जरूरी सहयोग और मार्गदर्शन नहीं मिला। इसके चलते वे व्यापारिक क्षेत्रों में आगे नहीं बढ़ पाये। वर्तमान में स्टेट गवर्नमेंट का ध्यान आदिवासियों और लोकल य लोगों के विकास पर केंद्रित है। कई योजनाएं लागू हुईं।अन्य कई पाइपलाइन में हैं। वैश्विक महामारी कोरोना ने सरकार की प्राथमिकताओं को कुछ हद तक जरूर बदल दिया, लेकिन आदिवासी और पिछड़े समाज का उत्थान हमारी सोच के केंद्र में है। उन्होंने कहा कि उद्योग क्षेत्र में आदिवासी समाज को कैसे अधिक से अधिक मौका मिले, इसके लिए हमें मिलकर कार्य करना होगा।उन्होंने कहा कि स्टेट गवर्नमेंट सिंगल विंडो सिस्टम के जरिए वंचित आदिवासी समाज के लोगों को व्यापार एवं उद्योग क्षेत्र में अवसर प्रदान कर लाभान्वित करने की योजना बना रही है। अगर हम सभी अपने दायित्वों का निर्वहन करें तो देश और राज्य के आदिवासी अवश्य उद्योग और व्यापार के क्षेत्र में बेहतर प्रदर्शन करेंगे।
माइंस एरिया के अतिरिक्त भी उद्योग को मिले बढ़ावा
सीएम ने कहा कि झारखंड के अधिकतर उद्योग माइंस पर आधारित हैं। पर्यटन, संस्कृति, कृषि और खेल के क्षेत्र में आजतक किसी ने मंथन नहीं किया। जबकि इन क्षेत्रों में असीम संभावनाएं हैं। स्टेट में खेल से संबंधित उद्योग नहीं हैं। हॉकी और फुटबॉल के उद्योग लगाये जा सकते हैं। स्टेट गवर्नमेंट ने उद्योग विभाग को इन क्षेत्रों में उद्योग लगाने का निर्देश दिया है। झारखंड की 75 परसेंट आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करती है। लगभग 90 परसेंट आदिवासी ग्रामीण क्षेत्रों में रहते हैं।उन्होंने कहा कि झारखंड लाह, तसर, इमली समेत अन्य वनोपज उत्पादन के मामले में देश में अग्रणी स्थान रखता है। लेकिन इस इन सब को प्रमोट करने की दिशा में कार्य पूर्व में नहीं किया गया। देश का एकमात्र लाह संस्थान झारखंड में है। उसकी स्थिति भी नाजुक है। रेशम उत्पादन के मामले में राज्य पहला स्थान रखता है, जबकि भागलपुरी सिल्क का नाम आता है। ऐसा इसलिए क्योंकि यहां के उत्पाद का सही ढंग से वैल्यू एडिशन नहीं हो सका। वर्तमान सरकार ने वन आधारित उपज के लिए फेडरेशन का गठन करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इससे ऐसे उत्पाद का वैल्यू एडिशन हो और बाजार मिल सके।
स्टेक होल्डर्स को भी शेयर प्राप्त हो
सीएम ने कहा कि खनन एवं अन्य क्षेत्र में उद्योग लगाए जाते, इससे विस्थापित लोगों को मुआवजा राशि दी जाती है। यह राशि एक समय के बाद समाप्त हो जाती है। विस्थापित पुनः उसी स्थिति में आ जाते हैं। मेरा मानना है कि अगर उद्योग लगे तो स्टेक होल्डर को भी उद्योग में शेयर मिले, जिससे उनका भी सतत आर्थिक विकास सुनिश्चित हो सके।
मौके पर सीएम के प्रिंसिपल सेकरटेरी राजीव अरुण एक्का, सीएम के सेकरेटरी विनय कुमार चौबे, चाणक्य चौधरी, संजय सबरवाल, सौरव राय, गणेश रेड्डी, अमरेंदु प्रकाश, तापस साहू व अन्य उपस्थित थे।