धनबाद के जज उत्तम आनंद मर्डर केस: फिर घटनास्थल पर पहुंची दिल्ली सीबीआइ क्राइम ब्रांच की टीम
जज उत्तम आनंद मर्डर केस की सीबीआइ जांच की प्रगित से झारखंड हाईकोर्ट संतुष्ट नहीं है। हाई कोर्ट के आदेश पर सीबीआइ नई दिल्ली क्राइम ब्रांच की टीम छह महीने से जांच कर रही है लेकिन अब तक साजिश के तह तक नहीं पहुंच सकी है। हाईकोर्ट से लगातार मिल रही फटकार के बाद सीबीआई की टीम बुधवार को धनबाद पहुंच घटनास्थल पर छानबीन किया।
धनबाद। जज उत्तम आनंद मर्डर केस की सीबीआइ जांच की प्रगित से झारखंड हाईकोर्ट संतुष्ट नहीं है। हाई कोर्ट के आदेश पर सीबीआइ नई दिल्ली क्राइम ब्रांच की टीम छह महीने से जांच कर रही है लेकिन अब तक साजिश के तह तक नहीं पहुंच सकी है। हाईकोर्ट से लगातार मिल रही फटकार के बाद सीबीआई की टीम बुधवार को धनबाद पहुंच घटनास्थल पर छानबीन किया।
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हाई कोर्ट द्वारा बार-बार जांच की प्रगति पर असंतोष जताने के बाद एक बार फिर से सीबीआइ ने घटनास्थल पर पहुंची। सीबीआइ की टीम ने बुधवार को धनबाद के रणधीर वर्मा चौक पर साक्ष्य जुटाने के लिए काफी देर तक समय जाया किया। मामले की जांच के लिए बुधवार की दोपहर सीबीआई की छह सदस्यीय टीम दिल्ली से धनबाद पहुंची। जांच दल ने घटनास्थल का मुआयना भी किया। सीबीआई की अब तक की जांच हाई कोर्ट रांची संतुष्ट नहीं है। प्रत्येक सप्ताह हाई कोर्ट सीबीआइ जांच की प्रगति की समीक्षा करता है। इस दौरान हर सप्ताह सीबीआइ को फटकार लगती है। हाई कोर्ट ने ने कहा था कि मामले में अभी तक सब कुछ करने के बाद भी रिजल्ट नहीं मिल रहा है, तो यह काफी दुखदाई है।इसका खुलासा नहीं हुआ तो यह सीबीआई की साख पर भी सवाल खड़ा करेगा।
हाई कोर्ट ने खारिज कर चुकी है सीबीआइ की कहानी
सीबीआइ ने जज की मौत के लिए जो कहानी बताई है उससे हाई कोर्ट संतुष्ट नहीं है। सीबीआइ का कहना है कि मोबाइल छीनने के लिए आटो ड्राइवर ने जज को धक्का मारा था। सीबीआइ ने यह रिपोर्ट नारको जांच के बाद तैयार की है। 22 जनवरी को हाइकोर्ट ने आरोपियों की नारको जांच की रिपोर्ट देख कर सीबीआइ की नयी कहानी सिरे से खारिज कर दी। हाई कोर्ट का कहना है कि जज की हत्या के पीछे मोबाइल छीनने का कोई मामला नहीं है, बल्कि यह मर्डर का मामला है। हत्या के पीछे कोई बड़ा षड्यंत्र है, जिस तक सीबीआइ अब तक नहीं पहुंच पायी है। चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन और जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की बेंच ने सुनवाई के दौरान सीबीआइ की ओर से उपस्थित एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऑफ इंडिया एसबी राजू से कई सवाल पूछे, जिसका संतोषजनक जवाब नहीं मिला।
क्या थक गई है सीबीआइ
हाई कोर्ट की ने कहा कि अब तक की जांच को देखकर ऐसा लगता है कि सीबीआइ इस मामले से थक गयी है। अपना पीछा छुड़ाने के लिए नयी कहानी बना रही है, जिसमें कोई सत्यता नहीं है। बेंच ने कहा कि जहां यह घटना हुई थी, वह कोयला क्षेत्र है। गैंगवार की घटनाएं होती हैं। झारखंड उग्रवाद प्रभावित राज्य रहा है, इसके बावजूद कभी भी न्यायिक पदाधिकारियों पर कोई आंच नहीं आयी है। यह पहली बार है, जब झारखंड के इतिहास में जज की हत्या की गयी है। सुप्रीम कोर्ट ने भी मामले में स्वत: संज्ञान लिया है और जांच की मॉनिटरिंग की जिम्मेवारी झारखंड हाइकोर्ट को दी है। सीबीआइ की जांच में प्रोफेशनल मैनर्स नहीं दिख रहा है। बेंच ने सीबीआइ से पूछा कि जब मामले में आरोपियों की ब्रेन मैपिंग व नारको टेस्ट पहले हो चुकी थी, तो चार माह बाद फिर से दोबारा नारको टेस्ट और ब्रेन मैपिंग क्यों करायी गयी?
जज की मर्डर के पीछ बड़ा षड्यंत्र
नारको टेस्ट में आरोपी राहुल ने कहा कि लखन टेंपो चला रहा था। वह उसकी बायीं ओर बैठा था। जज साहब धीरे-धीरे भाग रहे थे। उनके हाथ में सफेद रंग का रुमाल था। बायीं तरफ से लखन ने उन्हें ऑटो से टक्कर मारी। खंडपीठ ने रिपोर्ट देखने के बाद कहा कि जज के हाथ में रुमाल था। कोई मोबाइल नहीं था। मोबाइल के लिए टक्कर नहीं मारी गयी है। इसके पीछे कोई बड़ा षड्यंत्र है।
फ्लैश बैक
जज उत्तम आनंद वर्ष 2021 की 28 जुलाई से सुबह लगभग पांच बजे मॉर्निंग वॉक के लिए निकले थे। रणधीर वर्मा चौक के समीप ऑटो ने जज को धक्का मार दिया। वह बेहोश होकर गिर गये। घायल जज को SNMMCH ले जाया गया जहां डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। जज के घर वापस नहीं आने पर पत्नी कीर्ति सिन्हा ने रजिस्ट्रार को फोन कर इसकी सूचना दी। रजिस्ट्रार ने मामले की सूचना एसएसपी धनबाद को दी, इसके बाद पुलिस महकमा जज को ढूंढने में लग गया था। इसके बाद उनके एक्सीडेंट होने का पता। पहले इसे सामान्य सड़क हादसा माना गया लेकिन सीसीटीवी फुटेज में एक ऑटो को जानबूझकर धक्का मारते दिखने पर सनसनी फैल गई। मामले में जज की पत्नी कृति सिन्हा की कंपलेन पर धनबाद पुलिस स्टेशन में केस नंबर 300/21 दर्ज की गयी थी। मामले में जज की वाइफ के कंपेलन पर धनबाद पुलिस स्टेशन ऑटो ड्राइवर के खिलाफ मर्डर की एफआईआर दर्ज की गई थी। पुलिस ने गिरिडीह से ऑटो ड्राइवर लखन वर्मा और उसके साथ बैठे राहुल वर्मा को अरेस्ट कर लिया।
सुप्रीम कोर्ट व हाई कोर्ट ने भी संज्ञान लिया
मामले में सुप्रीम कोर्ट व हाई कोर्ट ने भी संज्ञान लिया। मामले में झारखंड गवर्नमेंट ने एडीजी (ऑपरेशन) संजय आनंद लाठकर के नेतृत्व में एसआईटी गठित की। एसआईटी को अब तक की जांच में सुनियोजित मर्डर से जुड़ा कोई एवीडेंस नहीं मिला था। पुलिस मामले में ऑटो ड्राइवर लखन वर्मा व उसके सहयोगी राहुल वर्मा को अरेस्ट कर जेल भेजा गया। जज को धक्का मारने वाला ऑ़टो भी बरामद कर लिया गया है। झारखंड सरकार ने 30 जुलाई को मामले की जांच सीबीआई से कराने की अनुशंसा की थी। इसी आधार पर सीबीआई बीते चार अगस्त ने मामले में एफआइआर दर्ज कर जिला पुलिस की केस को टेकओवर कर लिया था। अब सीबीआई दिल्ली स्पेशल क्राइम ब्रांच-1 इस मामले की जांच कर रही है। मामले में सीबीआई ने 20 अक्टूबर को चार्जशीट दाखिल की थी। सीबीआई ने आईपीसी की धारा 302, 201 और 34 के तहत चार्जशीट दाखिल की थी।
आरोपियों की हो चुकी है नार्कों टेस्ट व ब्रेन मैपिंग
सीबीआई ने ऑटो ड्राइवर लखन वर्मा और उसके साथी राहुल वर्मा को रिमांड पर लेकर पूछताछ की है। छह अगस्त के कोर्ट के आदेश के बाद सात अगस्त को सीबीआई दोनो आरोपितों को रिमांड पर ले गई थी। दोनों की साइ डिटेक्टर समेत अन्य जांच करायी जा चुकी है। 11 अगस्त को दोनों को वापस जेल भेज दिया गया था। सीबीआई की स्पेशल सेल ने नौ अगस्त को कोर्ट से दोनों आरोपीयों से सच्चाई पता करने के लिए नार्को टेस्ट,ब्रेन मैपिंग टेस्ट सहित चार अन्य टेस्ट कराने की अनुमति ली थी। नौ एवं 10 अगस्त को सिंफर के गेस्ट हाऊस सत्कार में राहुल और लखन का लाई डिटेक्टर टेस्ट ,ब्रेन इलेक्ट्रिकल आक्सीलेशन व अन्य टेस्ट किया गया था। टेस्ट में मिली जानकारी के बाद सीबीआई की टीम फॉरेंसिक एक्सपर्ट के साथ घटनास्थल पर आई थी।सीबीआई धनबाद रेलवे स्टेशन से घटनास्थल तक पहुंचने के तमाम रास्तों में लगे सीसीटीवी फुटेज को भी खंगाला था। परंतु अब तक सीबीआई मामले की गुत्थी नहीं सुलझा सकी है। सीबीआइ घटनास्थाल पर तीन बार क्राइम सीन रिक्रियेट की है। सीबीआई दोनों आरोपियों की अहमदाबाद में नार्कों टेस्ट व ब्रेन मैपिंग करायी है।दोनों की फिस से ब्रैन मैपिंग व अन्य जांच करायी जा रही है।
जज को जानबूझकर धक्का मारा लेकिन साजिश का नहीं चला पता
सीबीआइ अभी तक सीबीआई टक्कर मारने के पीछे की मंशा नहीं भांप पाई है। लखन और राहुल सीबीआई से भी बार-बार यही कह रहे हैं कि नशे में धुत्त रहने के कारण ऑटो रोड किनारे दौड़ रहे व्यक्ति की तरफ मुड़ गया, जिससे उन्हें टक्कर लग गई। हालांकि सीबीआई दोनों के बयान को अंतिम सत्य नहीं मान रहे हैं। सीबीआइ परिस्थितिजन्य और वैज्ञानिक साक्ष्यों से टीम घटना के तह तक पहुंचने का प्रयास कर रही है। दोनों के मोबाइल सीडीआर, घटनास्थल से मिले कॉल डंप, फोरेंसिक जांच के परिणाम के अलावा चिह्नित लोगों से लगातार हो रही पूछताछ के जरिए मामले में नये एंगल की तलाश हो रही है। दोनों आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की कर चुकी है। हाईकोर्ट सीबीआई जांच की मोनेटरिंग कर रही है। प्रत्येक सप्ताह सीबीआइ जांच की प्रगति रिपोर्ट हाई कोर्ट में पेश करती है। सीबीआइ की अब तक की जांच से हाई कोर्ट असंतुष्ट है। सीबीआई की ओर से हाई कोर्ट में बतायी गयी है कि जज को जानबूझकर धक्का मारा गया था। हालांकि इसके पीछे साजिश का अभी तक पता नहीं चल सका है। सीबीआइ अभी तक की जांच में स्पष्ट नहीं कर पायी है कि जज की मर्डर क्यों की गयी और इस षड्यंत्र के पीछे कौन लोग हैं।