जज उत्तम आनंद मौत मामला: सीबीआई ने हाई कोर्ट में सौंपी रिपोर्ट, तीन संदिग्धों की तलाश

धनबाद के जज उत्तम आनंद की मौत के मामले को लेकर गुरुवार को हाईकोर्ट में सुनवाई हुई।  सीबीआई ने कोर्ट को जांच की प्रगति रिपोर्ट सौंपा। रिपोर्ट में बताया गया कि सीसीटीवी में जो बाइक सवार दिख रहा था, उससे पूछताछ की गई। बाइकर्स ने बताया कि एक्सेंडेंट देखकर वह डर गया था, इसी वजह से रूका नहीं और तेजी से वहां से निकल गया। सीबीआई ने अदालत को बताया कि जांच अभी जारी है।

जज उत्तम आनंद मौत मामला: सीबीआई ने हाई कोर्ट में सौंपी रिपोर्ट, तीन संदिग्धों की तलाश

रांची। धनबाद के जज उत्तम आनंद की मौत के मामले को लेकर गुरुवार को हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। सीबीआई ने कोर्ट को जांच की प्रगति रिपोर्ट सौंपा। रिपोर्ट में बताया गया कि सीसीटीवी में जो बाइक सवार दिख रहा था,उससे पूछताछ की गई। बाइकर्स ने बताया कि एक्सेंडेंट देखकर वह डर गया था, इसी वजह से रूका नहीं और तेजी से वहां से निकल गया। सीबीआई ने अदालत को बताया कि जांच अभी जारी है।

झारखंड: महाधिवक्ता और अपर महाधिवक्ता के खिलाफ चलेगा अवमानना का मामला, हाई कोर्ट का फैसला 

हाई कोर्ट ने सीबीआई को निर्देश दिया कि अगले सप्ताह जांच की विस्तृत प्रगति रिपोर्ट पेश करें।कोर्ट ने सीबीआइ को जांच रिपोर्ट का अवलोकन करने के बाद कहा कि जांच रिपोर्ट से पता चलता है कि ऑटो ड्राइवर ने जान बूझकर धक्का मारा है। ऐसा उसने नशा से प्रभावित होकर नहीं किया है। कोर्टत ने इस बात को लेकर नाराजगी जताई कि घटना के समय वहां से गुजरने वाले बाइक सवार से पूछताछ में इस बात की जानकारी नहीं ली गई कि वह सही में बीमार है। सीबीआई ने सिर्फ उसके बयान को ही सही मान लिया। इस दौरान सीबीआइ ने कहा कि वह तीन लोगों की पहचान में जुटी है, जिनकी गतिविधि संदिग्ध थी। सीबीआइ सभी कड़ियों को जोड़ कर आगे बढ़ रही है ताकि इसके षडयंत्र का खुलासा किया जा सके।
हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान एफएसएल में रिक्त पदों पर नियुक्ति नहीं होने पर एफएसएल डायरेक्टर व होम सेकरटेरी से नाराजगी जाहिर की। कोर्ट ने नियुक्ति करने वाली संस्था जेपीएसपी के प्रति भी नाराजगी जाहिर की है। हाईकोर्ट ने टिप्पणी की कि जेपीएससी यदि संवैधानिक संस्था नहीं होती तो इसे बंद कर देता।  एफएसएल जैसी संस्था में एक भी नियुक्ति नहीं करना दुर्गभाग्यपूर्ण है। कोर्ट ने रांची एफएसएल लैब में सुविधा नहीं होने पर दुख जाहिर किया है।

कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि लगता है कि सरकार हर संस्थान को ध्वस्त करना चाहती है। क्या यह वेलफेयर स्टेट का यही काम है। क्या ऐसे ही सरकार चलती है। कोर्टने इस बात को लेकर कड़ी नाराजगी जताई कि लैब में सारे काम गोपनीय होते हैं तो वहां आउटसोर्स कर्मियों की नियुक्ति कैसे की जा सकती है।ऐसे में तो जांच के गोपनीयता भंग होने का डर रहेगा। सरकार ने कहा कि एफएसएल लैब में रिक्त पदों पर नियुक्ति के लिए जेपीएससी को भेजा गया है। इस पर कोर्ट ने जेपीएससी के एडवोकेट को बुलाया और नियुक्ति के विज्ञापन जारी करने में एक साल की देरी कड़ी नाराजगी जताई। कोर्ट ने मौखिक रूप से कहा कि अगर जेपीएससी संवैधानिक संस्था नहीं होती तो आज ही इसको बंद करने का आदेश पारित किया जा सकता था।