किशनगंज : वर्ष 2025 तक राज्य में खुलेंगे 29 मेडिकल कॉलेज : मंगल पांडेय
बिहार के हेल्थ मिनिस्टर मंगल पांडेय ने कहा कि सीएम नीतीश कुमार के सहयोग से बिहार में हेल्थ सर्विस को लगातार बेहतर बनाने का प्रयास चल रहा है। उनका हेल्थ मिनिस्टर के रुप में कार्यकाल का पांचवा वर्ष चल रहा है। इन पांच वर्षों में जिले में स्वास्थ्य सेवा की आधारभूत संरचनाओं का तेजी से विकास हुआ है।
किशनगंज। बिहार के हेल्थ मिनिस्टर मंगल पांडेय ने कहा कि सीएम नीतीश कुमार के सहयोग से बिहार में हेल्थ सर्विस को लगातार बेहतर बनाने का प्रयास चल रहा है। उनका हेल्थ मिनिस्टर के रुप में कार्यकाल का पांचवा वर्ष चल रहा है। इन पांच वर्षों में जिले में स्वास्थ्य सेवा की आधारभूत संरचनाओं का तेजी से विकास हुआ है।
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किशनगंज जिले के दो दिवसीय दौरे पर रविवार को पटना से राजधानी एक्सप्रेस से पहुंचे हेल्थ मिनिस्टर पांडेय ने एमजीएम मेडिकल कॉलेज में आयोजित प्रेस कांफ्रेस में बोल रहे थे। मंगल ने पांच वर्षों के कार्यकाल का आंकड़ा पेश करते हुए कहा कि किशनगंज जिले में पिछले पांच वर्षों के अंदर 42.19 करोड़ रुपये का काम हुआ है। 41 योजनाओं में यह राशि खर्च की गयी है। पांच बड़े प्रोजेक्ट्स चल रहे हैं। इस पर 36.09 करोड़ खर्च होने हैं। पांडेय ने कहा कि पूरे राज्य में चिकित्सा सेवा के साथ चिकित्सा शिक्षा भी कैसे बेहतर हो इस पर काम किया जा रहा है। शिक्षा सेवा में सबसे जरुरी है मेडिकल कॉलेजों की संख्या बढ़ाना। आजादी के बाद से वर्ष 2005 तक राज्य में केवल आठ मेडिकल कॉलेज थे। आज की तारीख में यहां 18 मेडिकल कॉलेज हैं। अगले चार सालों में इसकी संख्या बढ़कर 29 हो जायेगी। आजादी के बाद 2005 यानि 58 वर्षों में राज्य में सिर्फ आठ मेडिकल कॉलेज थे।
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मंगल पांडेय ने कहा कि वर्ष 2005 से 2025 के बीच 29 मेडिकल कॉलेज हो जायेंगे। इनमें 10 तैयार होकर चल रहे हैं। मेडिकल कॉलेज बढ़ाने का मकसद है कि स्टेट में डॉक्टरों की संख्या बढ़े। डॉक्टर मेडिकल कॉलेज से ही निकलते हैं। पीएम मोदी का निर्देश है कि देश के राज्यों के सभी जिलों में एक मेडिकल कॉलेज हो। इसके आलोक में सीएम नीतीश कुमार भी राज्य के सभी जिलों में मेडिकल कॉलेज खोलने के लिए स्वास्थ्य विभाग को निर्देशित करते रहे हैं। इसी का परिणाम है कि अगले चार वर्षों में हम 29 मेडिकल कॉलेज खोलने में सफल होंगे।
उन्होंने कहा कि चिकित्सा सेवा केवल डाक्टर से ही नहीं पूरा होता है इसके अंदर नर्सिंग का भी बड़ा योगदान होता है। डॉक्टर हॉस्पीटल में हो व नर्स नहीं हो तो स्वास्थ्य सेवा बेहतर नहीं होता है। इसलिए राज्य के अंदर नर्सिंग की पढ़ाई व परामेडिकल की पढ़ाई के लिए भी नये संस्थान खुले। आत्मनिर्भर बिहार के तहत सात निश्चय फेज व फेज टू में हमने जो निर्णय लिया उसे क्रियान्वित कर रहे हैं। नये जीएनम संस्थान, नये फार्मेसी कॉलेज खुल रहे हैं। सिर्फ हम पढ़ा नहीं रहे नौकरी देने का भी काम कर रहे हैं।
नये जीएनएम और पारामेडिकल संस्थान खुलेंगे
मिनिस्टर ने कहा कि जिले में 22 योजना की स्वीकृति स्वास्थ्य विभाग द्वारा दी गयी है जिसकी टेंडर प्रकाशित कर दी गयी है। पिछले पांच सालों में स्वास्थ्य विभाग द्वारा जिले में आधारभूत संरचनाओं के विकास पर लगभग 106 करोड़ की राशि खर्च की जा रही है। किसी भी जिले में विकास कार्य के लिए यह बहुत बड़ी राशि होती है। पांडेय ने कहा कि जिले में जो पांच बड़ी योजनायें चल रही है उनमें 23.33 करोड़ की लागत से जीएनएम व पारामेडिकल संस्थान, ठाकुरगंज व टेढ़ागाछ में 4.71 करोड़ की लागत से सीएचसी का निर्माण, सदर अस्पताल में एएनएम ट्रेनिंग संस्थान के जीर्णोद्धार पर 2.96 करोड़ रुपए व सदर अस्पताल में 38 लाख की लागत से ऑक्सीजन गैस पाइप लाइन का काम चल रहा है। 22 योजना में 27 करोड़ का काम ग्रामीण क्षेत्रों में होना है। सीएमकी सोच है कि ग्रामीण परिवेश में स्वास्थ्य व्यवस्था को बेहतर किया जाए। इसी पर हमलोग काम कर रहे हैं
गांवों से लेकर शहर तक की हेल्थ सिस्टम होगी बेहतर
हेल्थ मिनिस्टर ने कहा कि 22 योजना में जिले के चारो विधानसभा में 5-5 एचएससी व 1-1 सीएचसी बनने वाले हैं। गांवों में जो प्राथमिक व अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र हैं। उनको हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर के रुप में उत्क्रमित करना है और वहां नये भवनों का निर्माण करना है। हमलोग गांवों से लेकर शहर तक की स्वास्थ्य व्यवस्था को बेहतर करने में लगे हुए हैं। स्टेट में स्वास्थ्य सेवाओं का लगातार विस्तार किया जा रहा है। कोरोना के संकट के समय जो सबसे बड़ी परेशानी ऑक्सीजन पाइप लाइन व गैस की हुई थी। अब सभी सदर अस्पताल व अनुमंडल अस्पताल में गैस पाइप लाइन लगाया जा रहा है।
हॉस्पीटल में बेड बढ़ेंगे
उन्होंने कहा कि 90 जगहों पर ऑक्सीजन गैस प्लांट शुरु 122 जगहों पर ऑक्सीजन गैस प्लांट लगाने की योजना है। इसमें तीन महीने में ही 90 जगहों पर ऑक्सीजन गैस प्लांट शुरु कर दिया है। शेषहां बचे हुए हैं उसको भी हमलोग एक महीने में पूरा कर लेंगे। अब कभी राज्य में ऑक्सीजन संबंधी परेशानी आएगी तो हम उसका आसानी से मुकाबला कर सकते हें। मिनिस्टर ने कहा कि इसके अतिरिक्त कोविड की तीसरे फेज की भी चर्चा अभी चल रही है। इसके लिए पीएम ने इमरजेंसी कोविड पैकेज-2 बनाया है। ये 23 हजार करोड़ का पैकेज हैं। जिसमें से लगभग साढ़े 13 सौ करोड़ के योजना की स्वीकृति सेंट्रल गवर्नमेंट से मिल गयी है। सेंट्रल व स्टेट गवर्नमेंट की राशि से अगले मार्च तक विभिन्न सदर अस्पतालों व अनुमंडल अस्पतालों में बेडों की संख्या बढ़ाई जायेगी। आईसीयू के बेड बच्चों के लिए बढ़ेंगे। कुछ चलंत अस्पताल बनायें जायेंगे।
एक हजार नए एम्बुलेंस की होगी खरीद
हेल्थ मिनिस्टर ने बताया कि चालु वितीय वर्ष में एक हजार नये एम्बुलेंस खरीदे जायेंगे। इनमें 534 एएलएस एडवांस लाइफ सपोर्ट सिस्टम एम्बुलेंस खरीदे जायेंगे। स्टेट के सभी ब्लॉक एक-एक एम्बुलेंस दिया जायेगा। इस जिले के भी सभी ब्लॉक में भी एक एक एम्बुलेंस दिया जायेगा। सभी मेडिकल कॉलेजों में आधारभूत संरचना का विकास किया जायेगा। दवाईओं की समुचित सप्लाई की जाएगी।
तीन वर्षों में 30 हजार डाक्टर सहित नर्स व स्टॉफ हुए बहाल
उन्होंने कहा कि एनएचएम द्वारा तीन वर्षों के अंदर स्टेट में 30 हजार डॉक्टर, जीएनएम, एएनएम, पारामेडिकल स्टॉफ की बहाली की गयी है। 30 सितंबर को ही 2024 डाक्टरों की बहाली हुई है। पिछले 10 अगस्त को एएनएम की बहाली की। अगले दस दिनों के अंदर राज्य में स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की बहाली होगी। तीन दिन पहले साढ़े चार सौ सीनियर रेजिडेन्ट डाक्टरों की बहाली हुई है। आनेवाले छह से नौ महीने में इस राज्य में 20 हजार दो सौ एएनएम की बहाली होनी हैं। इसमें एनएचएम के द्वारा 8868 एएनएम की बहाली होनी है उसका विज्ञापन प्रकाशित हो गया है। इस तरह से मानव बल को बढ़ाकर स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर करने का काम हम कर रहे हें।
मौके पर एमजीएम मेडिकल कॉलेज के डायरेक्टर सह एमएलसी डा. दिलीप कुमार जायसवाल, समाजसेवी रामावतार जलान भी मौजूद थे।