Shardiya Navratri 2022: नवरात्रि की शुरुआत 27 सितंबर से, हाथी पर सवार होकर आयेंगी मां दुर्गा, नाव पर जायेंगी
आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि के साथ शारदीय नवरात्रि की शुरुआत हो जायेगी। नौ दिनों तक पड़ने वाले इस पर्व में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। पंचांग के अनुसार, इस साल शारदीय नवरात्रि 27 सिंतबर से शुरू हो रहे हैं जो पांच अक्टूबर, बुधवार के दिन समाप्त हो रहा है।
नई दिल्ली। आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि के साथ शारदीय नवरात्रि की शुरुआत हो जायेगी। नौ दिनों तक पड़ने वाले इस पर्व में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। पंचांग के अनुसार, इस साल शारदीय नवरात्रि 27 सिंतबर से शुरू हो रहे हैं जो पांच अक्टूबर, बुधवार के दिन समाप्त हो रहा है।
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पंचांग के अनुसार, साल में चार नवरात्रि पड़ती है। जिसमें से दो गुप्त नवरात्रि होती है। दो को चैत्र और शारदीय नवरात्रि के नाम से जाना जाता है। गुप्त नवरात्रि को तंत्र साधना के लिए जाना जाता है। वहीं चैत्र और शारदीय नवरात्रि को हर कोई मां दुर्गा की पूजा कर सकता है। इस साल पूरे नौ दिनों की नवरात्रि पड़ रही हैं। अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को कलश स्थापना के साथ मां दुर्गा के पहले स्वरूप मां शैलपुत्री की पूजा अर्चना की जायेगी। इस साल पूरे नौ दिन के नवरात्रि पड़ रही हैं। काफी शुभ संयोग भी बन रहा है। इस बार के नवरात्रि में मां हाथी में सवार होकर आ रही हैं। जो अधिक वर्षा, संपन्नता और खुशहाली का प्रतीक माना जाता है। मां दुर्गा की नाव में बैठकर विदा होगी। नाव से जाना भी खुशहाली का प्रतीक माना जाता है।
शारदीय नवरात्रि 2022 कैलेंडर
26 सितंबर 2022, पहला दिन - प्रतिपदा, घटस्थापना, मां शैलपुत्री पूजा
27 सितंबर 2022, दूसरा दिन- मां ब्रह्मचारिणी पूजा
28 सितंबर 2022, तीसरा दिन- मां चंद्रघंटा पूजा
29 सितंबर, चौथा दिन - मां कुष्मांडा पूजा, विनायक चतुर्थी, उपांग ललिता व्रत
30 सितंबर, पांचवां दिन - पंचमी, मां स्कंदमाता पूजा
एक अक्टूबर, छठा दिन - षष्ठी, माता कात्यायनी पूजा
दो अक्टूबर 2022, सातवां दिन - सप्तमी, मां कालरात्रि पूजा
तीन अक्टूबर 2022, आठवां दिन - दुर्गा अष्टमी, महागौरी पूजा, महानवमी
चार अक्टूबर 2022, नौवां दिन - महानवमी, शारदीय नवरात्रि का पारण
पांच अक्टूबर, दसवां दिन - दशमी, दुर्गा विसर्जन और विजयादशमी (दशहरा)
शशिसूर्ये गजारूढ़ा शनिभौमे तुरंगमे। गुरौ शुक्रे दोलायां बुधे नौका प्रकीर्तिता॥ इस श्लोक का अर्थ है कि रविवार और सोमवार को प्रथम पूजा यानी कलश स्थापना होने पर मां दुर्गा हाथी पर आती हैं। शनि और मंगलवार को कलश स्थापना होने पर माता घोड़े पर आती हैं। गुरुवार और शुक्रवार के दिन कलश स्थापना होने पर माता डोली पर आती हैं। बुधवार के दिन कलश स्थापना होने पर मां दुर्गा नाव पर सवार होकर आती हैं।
हाथी की सवारी और इसका संकेत
इस साल का शारदीय नवरात्रि काफी शुभ माना जाता है। क्योंकि इसका प्रारंभ सोमवार के दिन से हो रहा है। सोमवार पड़ने के कारण मां दुर्गा हाथी में सवार होकर आ रही हैं। हाथी में सवार होकर आने का मतलब है कि सर्वत्र सुख सम्पन्नता बढे़गी। अधिक बारिश होगी। जिसके कारण चारों और हरियाली ही हरियाली होगी। इसके साथ ही अन्न का खूब उत्पादन होगा।शारदीय नवरात्रि पांच अक्टूबर को समाप्त हो रहे हैं। इस दिन बुधवार होने के कारण मां दुर्गा नाव पर सवार होकर वापस जाएगी। नौका पर जाना यानी सभी मनोकामनाओं को पूर्ण होना माना जाता है।