जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप का सफल प्रक्षेपण, अब ब्रह्माण्ड के कई रहस्य सुलझाने में NASA को मिलेगी मदद
नासा द्वारा शनिवार को जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप का सफल प्रक्षेपण किया गया। यह अब तक का सबसे बड़ा और सबसे शक्तिशाली अंतरिक्ष टेलीस्कोप है। इस आब्जर्वेटरी को फ्रेंच गुयाना के कौरौ स्पेसपोर्ट से एरियन राकेट द्वारा स्पेस में भेजा गया है।
वाशिंगटन। नासा द्वारा शनिवार को जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप का सफल प्रक्षेपण किया गया। यह अब तक का सबसे बड़ा और सबसे शक्तिशाली अंतरिक्ष टेलीस्कोप है। इस आब्जर्वेटरी को फ्रेंच गुयाना के कौरौ स्पेसपोर्ट से एरियन राकेट द्वारा स्पेस में भेजा गया है।
#WATCH | James Webb Space Telescope, the largest & most powerful space telescope ever constructed successfully lifts-off: NASA
— ANI (@ANI) December 25, 2021
(Video Source: NASA) pic.twitter.com/7pRwEF5okY
साइंटिस्ट को ब्रह्माण्ड के कई जगहों के बेहतर आंकड़े मिलेंगे
साइंस वर्ल्ड में प्रक्षेपण को लेकर काफी कौतूहल है। संभावना जतायी जा रही है कि इस टेलीस्कोप की नई और अनोखी क्षमता के जरिए साइंटिस्ट को ब्रह्माण्ड के कई जगहों के बेहतर आंकड़े मिलेंगे। कुछ बिल्कुल नये पिंडों और क्षेत्रों की जानकारी भी मिल सकेगी। ट्रक के आकार के टेलीस्कोप का उद्देश्य ब्रह्मांड में और समय से पीछे की ओर देखना है। खगोलविद नई टेलीस्कोप का उपयोग आकाशगंगाओं के केंद्रों में ब्लैक होल की जांच करने, एक्स्ट्रासोलर ग्रहों पर जीवन के रासायनिक संकेतों की खोज करने और घर के करीब, हमारे अपने सौर मंडल के किनारे पर चंद्रमा पर जमे हुए महासागरों का अध्ययन करने के लिए भी करेंगे।टेलीस्कोप सौर मंडल के बारे में सवालों के जवाब देगा। नये तरीकों से एक्सोप्लैनेट का अध्ययन करेगा और ब्रह्मांड में जितना हम कभी कर पाये हैं, उससे कहीं अधिक गहराई से देखेंगे। टेलीस्कोप लगभग एक महीने तक यात्रा करेगी जब तक कि यह पृथ्वी से लगभग एक मिलियन मील (1.6 मिलियन किलोमीटर) दूर कक्षा तक नहीं पहुंच जाती।
टेलीस्कोप की विशेषताएं
इस टेलीस्कोप की एक बड़ी विशेषता और आकर्षण इसका 21 फुट बड़ा आईना है। यह सूर्य की किरणों की विपरीत दिशा से अंतरिक्ष की ओर से आने वाली इफ्रारेड तरंगों को पकड़ेगा। इसे सूर्य से आने वाली किरणों से बचाने के लिए एक पांच परत की सनस्क्रीन लगाई गई है। सूर्य की ओर की सतह 110 डिग्री सेंटीग्रेड तक गर्म हो सकती है। जबकि दूसरी तरफ की सतह का तापमान -200 डिग्री से -230 डिग्री रखना होगा।
यह धरती से 15 लाख किमी की ऊंचाई पर स्थापित होगा। जेम्स वेब के निर्माण में 10 हजार साइंटिस्ट ने सहयोग किया है। जेम्ब वेब टेलिस्कोप की अद्भुत क्षमता से ब्रह्मांड की उत्पत्ति और एलियंस के अस्तित्व जैसे रहस्यों को सुलझाने में मदद मिलेगी।
टेलिस्कोप में 21.32 फीट चौड़ा गोल्डेन मिरर
इसे नासा, यूरोपियन स्पेस एजेंसी और कनाडाई स्पेस एजेंसी ने मिलकर बनाया है। नासा के नये टेलिस्कोप में एक गोल्डेन मिरर लगा हुआ है जिसकी चौड़ाई लगभग 21.32 फीट है। यह मिरर बेरिलियम से बने 18 षटकोण टुकड़ों को जोड़कर बनाया गया है। हर टुकड़े पर 48.2 ग्राम सोने की परत चढ़ी हुई है जिससे यह एक परावर्तक की तरह काम करता है। अगर इसे कोई नुकसान नहीं हुआ तो यह पांच से 10 साल तक लगातार अपना काम करता रहेगा।
निर्माण पर 73,616 करोड़ रुपये खर्च
यह फरवरी में यह 40 दिन बाद अंतरिक्ष की पहली तस्वीर खींचेगा। यह टेलिस्कोप पुराने हबल से काफी अलग है। खराबी आने पर हबल के विपरीत धरती से ही इसकी मरम्मत की जा सकेगी। जेम्स वेब टेलिस्कोप के निर्माण में 10 अरब डॉलर (करीब 73,616 करोड़ रुपये) का खर्च आया है। महंगा होने के बावजूद इसका काम पैसा वसूल होगा। ये टेलिस्कोप इलेक्ट्रोमैग्नेटिक स्पेक्ट्रम को भी देखने में सक्षम होगा यानी यह बेहद दूर स्थित धुंधले तारों और आकाशगंगाओं को भी साफ देखा जा सकेगा।