नई दिल्ली: देश में वैक्सीन की कोई कमी नहीं, कुछ स्टेट गवर्मेंनट अपनी नाकामी छिपाने के लिए फैला रहीं भ्रम:हर्षवर्धन
सेंट्रल हेल्थ मिनिस्टर हर्षवर्धन ने कहा कि देश में कई अन्य राज्यों को भी अपने स्वास्थ्य सेवा प्रणालियों को चिन्हित करने की आवश्यकता है। कर्नाटक, राजस्थान और गुजरात में टेस्ट की गुणवत्ता में सुधार करने की आवश्यकता है। पंजाब में जरूरत पड़ने पर हॉस्पीटल में एडमिट होने वालों की जल्द पहचान कर उच्च मामले की डेथ रेट में सुधार किया जाना चाहिए।
नई दिल्ली। सेंट्रल हेल्थ मिनिस्टर हर्षवर्धन ने कहा कि देश में कई अन्य राज्यों को भी अपने स्वास्थ्य सेवा प्रणालियों को चिन्हित करने की आवश्यकता है। कर्नाटक, राजस्थान और गुजरात में टेस्ट की गुणवत्ता में सुधार करने की आवश्यकता है। पंजाब में जरूरत पड़ने पर हॉस्पीटल में एडमिट होने वालों की जल्द पहचान कर उच्च मामले की डेथ रेट में सुधार किया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ गवर्नमेंट ने प्राधिकरण डीसीजीआई द्वारा आपातकालीन उपयोग की अनुमति देने के बावजूद कोवाक्सिन का उपयोग करने से इनकार कर दिया। अपने कार्यों से राज्य सरकार के नेताओं को दुनिया में शायद ऐसी सरकार होने का गौरव प्राप्त हुआ है, जिसने टीकाकरण लेने में संकोच किया हो। उन्होंने कहा कि कुछ स्टेट गवर्नमेंट द्वारा अपनी विफलताओं से ध्यान भटकाने और लोगों में दहशत फैलाने के लिए घृणित प्रयास किया।
डॉ हर्षवर्धन ने बुधवार को महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ की सरकार पर जमकर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि देश में वैक्सीन की कोई कमी नहीं है, कुछ राज्य सरकारें अपनी नाकामी को छिपाने के लिए जनता में दहशत फैलान का प्रयास कर रही हैं।उन्होंने महाराष्ट्र का नाम लेते हुए कहा कि टीके की कमी को लेकर वहां जनप्रतिनिधियों के बयान सामने आये हैं। यह कुछ भी नहीं है, यह महाराष्ट्र सरकार की महामारी के प्रसार को नियंत्रित करने के लिए बार-बार विफलताओं से ध्यान भटकाने का प्रयास है। जिम्मेदारी से कार्य करने के लिए महाराष्ट्र सरकार की अक्षमता समझ से परे है।रियल टाइम बेसिस पर वैक्सीन सप्लाई की निगरानी की जा रही है और राज्य सरकारों को इसके बारे में नियमित रूप से अवगत कराया जा रहा है।
वसूली के लिए छूट
हेल्थ मिनिस्टर ने कहा कि वैक्सीन की कमी के आरोप पूरी तरह से निराधार हैं। उन्होंने कहा कि एक हेल्थ मिनिस्टर के रूप में पिछले साल महाराष्ट्र सरकार की ओर से वायरस से लड़ाई का मैं गवाह रहा हूं। उनके खराब रवैये ने देश में वयारस से लड़ने के प्रयासों को बहुत नीचे ला दिया है। चौंकाने वाली बात यह है कि राज्य सरकार अपनी निजी वसुली के लिए लोगों को संस्थागत क्वारंटाइन से छूट देकर लोगों को खतरे में डाल रही है।
अपनी ऊर्जा को हेल्थ स्ट्रक्चर मजबूत करने में लगाये
डॉ हर्षवर्धन ने कहा कि इसी तरह, हमने छत्तीसगढ़ के नेताओं की टिप्पणियों को भी सुना है, जिनका उद्देश्य टीकाकरण को लेकर लगत सूचना और लोगों में दहशत फैलान है। बेहतर होगा कि राज्य सरकार अपनी ऊर्जा को स्वास्थ्य स्ट्रक्चर को मजबूत करने में लगाए, न की छुद्र राजानीति पर। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में पिछले दो-तीन वीक में असामयिक रूप से मौतों की संख्या अधिक देखने को मिली है। क्योंकि वे रैपिड एंटीजन टेस्ट पर ज्यादा निर्भर है जो कि सही रणनीति नहीं है। छत्तीसगढ़ सरकार ने डीसीजीआई द्वारा आपातकालीन उपयोग की मंजूरी दिए जाने के बावजूद कोवैक्सीन का उपयोग करने से इनकार कर दिया। कर्नाटक, राजस्थान और गुजरात में टेस्टिंग में सुधार करने की जरूरत है।
उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ सरकार ने अपने यहां हेल्थ केयर और फ्रंट लाइन वर्कर्स को कोवैक्सीन देने से इन्कार कर दिया था। इस कारण केंद्र सरकार की ओर भेजी गई कोवैक्सीन के लाखों डोज का इस्तेमाल नहीं हो रहा है। अब वहां भारी संख्या में कोरोना के मामले सामने आ रहे हैं। अब कहा जा रहा है कि छत्तीसगढ़ में वैक्सीन की कमी हो गई है।
हर्षवर्धन ने कहा कि दुनिया भारत में बनी वैक्सीन लेना चाह रही है, ऐसे में छत्तीसगढ़ सरकार का फैसला समझ से परे है। बड़े-बड़े और विकसित देश भारत बायोटेक द्वारा विकसित कोवैक्सीन की मांग कर रह रहे हैं। भारी मांग के चलते यह तय करना मुश्किल हो रहा है कि किस देश को कितनी वैक्सीन दी जाए किसे नहीं। उन्होंने छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव को पत्र लिखकर बताया था कि दोनों भारतीय वैक्सीन पूरी तरह सुरक्षित और कारगर हैं। तीसरे चरण में 25 हजार लोगों पर ट्रायल के साथ ही पिछले एक महीने के दौरान लाखों स्वास्थ्यकर्मियों और फ्रंटलाइन वर्कर्स को यह वैक्सीन लगाई जा चुकी है। यहां तक एम्स जैसे बड़े हॉस्पीटल के डाक्टरों ने भी यह वैक्सीन लगवाई है। कहीं से इसके खिलाफ कोई शिकायत नहीं आई है।