देवघर के बाबाधाम में सांस्कृतिक कार्यक्रम, आदि शंकराचार्य की प्रतिमा का अनावरण कार्यक्रम का सीधा प्रसारण

केदारनाथ धाम से पीएम नरेंद्र मोदी द्वारा आदि शंकराचार्य के भव्य मूर्ति का अनावरण का देशभर के लोगों ने देखा। इस अद्भूत दृश्य को देखने व उत्सव मनाने के लिए एक साथ देश के 12 ज्योर्तिलिंग, चार धाम समेत देश के 87 धार्मिक स्थलों पर केदारनाथ से सीधा प्रसारण की व्यवस्था की गयी थी। केदारनाथ से बाबा बैद्यनाथ मंदिर परिसर में भी सीधा प्रसारण हुआ। मौके पर राज्यसभा एमपी सह बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश, गोड्डा एमपी डॉ निशिकांत दुबे व देवघर एमएलए नारायण दास भी शामिल हुए

देवघर के बाबाधाम में सांस्कृतिक कार्यक्रम, आदि शंकराचार्य की प्रतिमा का अनावरण कार्यक्रम का सीधा प्रसारण

देवघर। केदारनाथ धाम से पीएम नरेंद्र मोदी द्वारा आदि शंकराचार्य के भव्य मूर्ति का अनावरण का देशभर के लोगों ने देखा। इस अद्भूत दृश्य को देखने व उत्सव मनाने के लिए एक साथ देश के 12 ज्योर्तिलिंग, चार धाम समेत देश के 87 धार्मिक स्थलों पर केदारनाथ से सीधा प्रसारण की व्यवस्था की गयी थी। केदारनाथ से बाबा बैद्यनाथ मंदिर परिसर में भी सीधा प्रसारण हुआ। मौके पर राज्यसभा एमपी सह बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश, गोड्डा एमपी डॉ निशिकांत दुबे व देवघर एमएलए नारायण दास भी शामिल हुए।

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केदारथान कार्यक्रम में पीएम के संबोधन को स्थानीय तीर्थ पुरोहित व शिव भक्तों ने सुना। सेंट्रल गवर्नमेंट के संस्कृति मंत्रालय द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में बाबा बैद्यनाथ मंदिर परिसर में भव्य मंच व स्क्रीन लगायी गयी थी। इस दौरान सभी धार्मिक स्थलों में सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित हुए। बाबा बैद्यनाथ नगरी से प्रख्यात भजन गायक मनोज अजीत ने भजन प्रस्तुत किये. साथ ही सरदार पंडा द्वारा रचित खेमटा की प्रस्तुति अंशू झा तथा सौरभ पंडित द्वारा किया गया। धनंजय नारायण खवाड़े ने कंघी व पत्ते के सहारे छठ के गीत की धून बजाकर वातवरण को भक्तिमय कर दिया। अंत में पंडित बिरजू महाराज के शिष्य संजीव परिहस एवं उर्मी चटर्जी द्वारा अर्धनागेश्वर के नृत्य की प्रस्तुति से लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया।

मनोज- अजीत ने बांधा समा
भजन कार्यक्रम दोपहर सवा एक बजे तक चला। कार्यक्रम की शुरुआत मनोज अजीत ने यहां कण कण में हैं शंकर...सत श्रृष्टी तांडव रचयति नरटाज राज नमोस्तुते....जहां देवी देवता रहते हैं बैद्यनाथ के साथ वो देवघर देवो का घर कहलाता है....भक्ति ना ज्ञान मुझमें न पूजा के फूल रे निर्धन समझकर देदे ..... व अंत में सरदार पंडा द्वारा रचित प्रचलित झुमर देघरे बिराजे गौरा साथ बाबा भोला नाथ.... की प्रस्तुति हुई।देवघर का प्रचालित गान खेमटा की प्रस्तुति के लिए अंशू झा एवं सौरभ पंडित ने सुमरन करी रे... एवं हाय राम रे ...की प्रस्तुति की. कार्यक्रम में स्थानीय कलाकार सिद्धिनाथ झा ने रावण के द्वारा बोले गये बोल व रावण के ठहाके की प्रस्तुति की।
 मौके पर सरदार पंडा गुलाबनंद ओझा, मंदिर प्रभारी अनिकेत सचान, पंडा धर्मरक्षिणी सभा के उपाध्यक्ष संजय मिश्रा, मंदिर प्रबंधक रमेश परिहस्त आदि थे. मंच संचालन रामसेवक गूंजन ने किया।

इस कार्यक्रम से द्वादश ज्योतिर्लिंग का विवाद खत्म : डॉ निशिकांत
गोड्डा एमपी डॉ निशिकांत दुबे ने कहा कि केदारनाथ से चारधाम व 12 ज्योतिर्लिंग समेत देश के 87 धार्मिक स्थलों पर पीएम के इस सीधा प्रसारण धार्मिक कार्यक्रम ने बाबा बैद्यनाथ मंदिर को जोड़कर हमेशा के लिए परली बैद्यनाथ व देवघर बैद्यनाथ में द्वादश ज्योतिर्लिंग के विवाद को खत्म कर दिया। पीएम व सेंट्रल गवर्नमेंट की लिस्ट में परली बैद्यनाथ नहीं, बल्कि अब देवघर के बाबा बैद्यनाथ धाम ही द्वादश ज्योतिर्लिंग है। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी ने अपने संबोधन में यह साफ कर दिया कि वे अद्वैत की परिभाषा नहीं जानते हैं। जो द्वैत नहीं है वही अद्वैत है। पीएम ने पहले भी सोमनाथ में कहा था कि सोमनाथ पश्चिम है और पूरब में एकमात्र बैद्यनाथ है।अब इसमें अधिक लॉजिक लगाने की आवश्यकता नहीं है। चिताभूमि देवघर ही बैद्यनाथ है। इस कार्यक्रम से सारे ज्योतिर्लिंग के विकसित करने की योजना में अब बैद्यनाथधाम भी शामिल हो गया है।अब बैद्यनाथधाम भी विकसित होगा।सेंट्रल गवर्नमेंट की पहले की जो कार्ययोजना है अब उसे गति मिलेगी। बैद्यनाथ कॉरिडोर की योजना पर धरातल पर उतरेगी व यात्री सुविधा बढ़ेगी।
एमपी ने कहा कि एयरपोर्ट के उदघाटन में पीएम स्वयं बाबा बैद्यनाथ का पूजा-अर्चना करने आयेंगे।उन्होंने कहा कि आदि शंकराचार्य ने पूरे देश को एक सूत्र में बांधने का काम किया है। हिंदू धर्म व भारतीय संस्कृति को शंकराचार्य ने बचाया है। एक भारत श्रेष्ठ भारत का संदेश दिया है। भारत में अलग-अलग धर्म के प्रवेश से हिंदू धर्म पर कई आघात करने का प्रयास किया गया, लेकिन शंकराचार्य ने उस परिस्थिति में हिंदुत्व को बचा कर रखा।आज आदि गुरु शंकराचार्य के रचनाएं व उनके कार्यों को याद करने की जरूरत है।