धनबाद के जज उत्तम आनंद मर्डर केस: हाई कोर्ट ने CBI की चार्जशीट को बताया उपन्यास
धनबाद के जज उत्तम आनंद मौत मामले की सुनवाई शुक्रवार को हाईकोर्ट में चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन और जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की बेंच में हुई। कोर्ट ने सीबीआई द्वारा चार्जशीट को उपन्यास बताते हुए केस में सेक्शन 302 पर सवाल खड़ा किया। कोर्ट ने कहा कि इस केस में पहले हम जहां थे वही आज भी है। दो आरोपियों के अलावा सीबीआई के पास कुछ भी नहीं है।
- कोर्ट ने कहा- पुलिस की तरह काम कर रही है सीबीआइ
रांची। धनबाद के जज उत्तम आनंद मौत मामले की सुनवाई शुक्रवार को हाईकोर्ट में चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन और जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की बेंच में हुई। कोर्ट नेकहा कि यह सीबीआई जैसी प्रोफेशनल जांच एजेंसी की विफलता ही मानी जायेगी।बिना साजिश और मर्डर के कारणों को जाने ही मर्डर के आरोप में चार्जशीट दायर करने से प्रतीत होता है कि सीबीआई काफी हड़बड़ी में है। कुल मिलाकर इस मामले में सीबीआई पहले दिन जिस स्थान पर थी आज भी वहीं है।
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कोर्ट ने सीबीआइ जांच से असंतुष्टि जताते हुए कहा कि हमे लग रहा था कि सीबीआई आंधी तूफान की तरह काम कर रही है। इसी के बीच सीबीआई ने चार्जशीट भी दाखिल कर दिया।सीबीआई द्वारा चार्जशीट को उपन्यास बताते हुए केस में सेक्शन 302 पर सवाल खड़ा किया। कोर्ट ने कहा कि इस केस में पहले हम जहां थे वही आज भी है। दो आरोपियों के अलावा सीबीआई के पास कुछ भी नहीं है।इतने बड़े केस का ऐसा हाल होगा तो पूरे देश में क्या सन्देश जायेगा।सीबीआइ भी पुलिस की तरह काम कर रही है। अब इस मामले की अगली सुनवाई 12 नवंबर को होगी। कोर्ट ने सीबीआई को 12 नवंबर को अगली प्रगति रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया।
प्रोफेशनल तरीके से जांच नहीं कर रही सीबीआइ
कोर्ट ने कहा कि ऐसा लगता है कि सीबीआइ इस मामले में प्रोफेशनल तरीके से जांच नहीं कर रही है। हाईकोर्ट की अनुमति के बिना चार्जशीट फाइल कर दी गयी। मर्डर और साजिश के मामले में चार्जशीट फाइल की गयी है. लेकिन सीबीआई को अभी तक यह पता नहीं चल सका कि साजिश में कौन-कौन है। किसने साजिश रची और मर्डर करने के पीछे क्या कारण था। एक प्रोफेशनल जांच एजेंसी से ऐसी उम्मीद नहीं की जा सकती। जांच के लिए जितना समय सीबीआई ने मांगा, कोर्ट ने दिया। लेकिन हर बार रटा-रटाया जवाब दिया जा रहा है कि जांच जारी है। इससे पुलिस और सीबीआई जांच में क्या फर्क रह गया है।
हर बार रटा-रटाया जवाब
सीबीआई हर बार दो आरोपियों को पकड़े जाने और जांच जारी रखने का रटा-रटा जवाब दे रही है। सीबीआई एक प्रोफेशनल जांच एजेंसी है। लेकिन इस मामले में जिस तरीके से जांच हो रही है वह इस जांच एजेंसी के पेशेवर होने पर सवाल भी खड़ा कर रहा है। सीबीआई को अभी तक यह पता नहीं चल सका कि साजिश में कौन था। किसने साजिश रची और मर्डर करने के पीछे क्या कारण था। एक प्रोफेशनल जांच एजेंसी से ऐसी उम्मीद नहीं की जा सकती। जांच के लिए जितना समय सीबीआई ने मांगा, कोर्ट ने दिया। लेकिन हर बार रटा-रटाया जवाब दिया जा रहा है कि जांच जारी है। इससे पुलिस और सीबीआई जांच में क्या फर्क रह गया है। एक प्रोफेसनल जांच एजेंसी से ऐसी उम्मीद नहीं की जा सकती। कोर्ट ने मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा कि अगर इतने बड़े केस का ऐसा हश्र होगा तो यह सिस्टम और हिन्दुस्तान के लिए बहुत दुखद होगा। क्योंकि सीबीआई पहले ही कह चुकी है की जज को जानबूझकर मारा गया है।
साजिशकर्ता को तलाशें
कोर्ट इस बात को लेकर भी नाराज था कि बिना मोटिव के चार्जशीट दाखिल कर देने पर क्या सीबीआई लोअर कोर्ट में इसे मर्डर का मामला साबित कर पाएगी। कोर्ट ने कहा कि यह मामला अब गैर इरादतन हत्या और एक्सीडेंट की ओर बढ़ रहा है। कोर्ट ने पूर्व में ही सीबीआई को आगाह किया था कि जल्द से जल्द इस मामले में शामिल षडयंत्र की कड़ी को ढूंढ़ें नहीं तो आरोपी अपने बचने का रास्ता निकाल सकते है। सीबीआई की जांच की कहानी इसी रास्ते पर है। सेंट्रल गवर्नमेंट के असिस्टें सोलेसिटर जेनरल राजीव कुमार ने अदालत को भरोसा दिलाया की इस मामले में सही तरीके से जांच होगी।
जेएसएससी ने विज्ञापन क्यों वापस लिया- कोर्ट
कोर्ट ने एफएसएल लेबोरेट्री में नियुक्ति को लेकर सरकार एवं जेएसएससी को फटकार लगाई। हाल ही में जेएसएससी द्वारा निकाले गए विज्ञापन को वापस ले लेने पर कोर्ट ने जेएसएससी से कारण पूछा। जेएसएससी ने बताया कि सरकार के आदेश पर उन्होंने निकाले गये विज्ञापन को वापस ले लिया है। इस संबंध में हाईकोर्ट ने होमसेकरेटरी को 12 नवंबर को अदालत में हाजिर होने का निर्देश दिया है और बताने को कहा है कि कोर्ट के निर्देश के बावजूद अभी तक नियुक्ति प्रक्रिया क्यो नहीं पूरी की गई।
फ्लैश बैक
जज उत्तम आनंद घर से सुबह लगभग पांच बजे मॉर्निंग वॉक के लिए निकले थे। रणधीर वर्मा चौक के समीप ऑटो ने जज को धक्का मार दिया। वह बेहोश होकर गिर गये। घायल जज को SNMMCH ले जाया गया जहां डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। घर वापस नहीं आने पर पत्नी कीर्ति सिन्हा ने रजिस्ट्रार को फोन कर इसकी सूचना दी। रजिस्ट्रार ने मामले की सूचना एसएसपी धनबाद को दी, इसके बाद पुलिस महकमा जज को ढूंढने में लग गया था। इसके बाद उनके एक्सीडेंट होने का पता। पहले इसे सामान्य सड़क हादसा माना गया लेकिन सीसीटीवी फुटेज में एक ऑटो को जानबूझकर धक्का मारते दिखने पर सनसनी फैल गई। मामले में जज की वाइफ के कंपेलन पर धनबाद पुलिस स्टेशन ऑटो ड्राइवर के खिलाफ मर्डर की एफआईआर दर्ज की गई थी। पुलिस ने गिरिडीह से ऑटो ड्राइवर लखन वर्मा और उसके साथ बैठे राहुल वर्मा को अरेस्ट कर लिया।
फ्लैश बैक
सुप्रीम कोर्ट व हाई कोर्ट ने भी संज्ञान लिया
मामले में सुप्रीम कोर्ट व हाई कोर्ट ने भी संज्ञान लिया। मामले में झारखंड पुलिस और स्टेट गवर्नमेंट गंभीर हुई। एडीजी (ऑपरेशन) संजय आनंद लाठकर के नेतृत्व में एसआईटी गठित की गयी थी। एसआईटी को अब तक की जांच में सुनियोजित मर्डर से जुड़ा कोई एवीडेंस नहीं मिला था। पुलिस मामले में ऑटो ड्राइवर लखन वर्मा व उसके सहयोगी राहुल वर्मा को अरेस्ट कर जेल भेजा गया। जज को धक्का मारने वाला ऑ़टो भी बरामद कर लिया गया है। झारखंड सरकार ने 30 जुलाई को मामले की जांच सीबीआई से कराने की अनुशंसा की थी। इसके बाद सीबीआई नई दिल्ली स्पेशल क्राइम ब्रांच-1 ने चार अगस्त को केस को टेकओवर कर पांच अगस्त से जांच शुरू कर दिया है।
आरोपियों की हो चुकी है नार्कों टेस्ट व ब्रेन मैपिंग
सीबीआई ने ऑटो ड्राइवर लखन वर्मा और उसके साथी राहुल वर्मा को रिमांड पर लेकर पूछताछ की है। छह अगस्त के कोर्ट के आदेश के बाद सात अगस्त को सीबीआई दोनो आरोपितों को रिमांड पर ले गई थी। दोनों की साइ डिटेक्टर समेत अन्य जांच करायी जा चुकी है। 11 अगस्त को दोनों को वापस जेल भेज दिया गया था। सीबीआई की स्पेशल सेल ने नौ अगस्त को कोर्ट से दोनों आरोपीयों से सच्चाई पता करने के लिए नार्को टेस्ट,ब्रेन मैपिंग टेस्ट सहित चार अन्य टेस्ट कराने की अनुमति ली थी। नौ एवं10 अगस्त को सिंफर के गेस्ट हाऊस सत्कार में राहुल और लखन का लाई डिटेक्टर टेस्ट ,ब्रेन इलेक्ट्रिकल आक्सीलेशन व अन्य टेस्ट किया गया था। टेस्ट में मिली जानकारी के बाद सीबीआई की टीम फॉरेंसिक एक्सपर्ट के साथ घटनास्थल पर आई थी। सीबीआई धनबाद रेलवे स्टेशन से घटनास्थल तक पहुंचने के तमाम रास्तों में लगे सीसीटीवी फुटेज को भी खंगाला था। परंतु अब तक सीबीआई मामले की गुत्थी नहीं सुलझा सकी है। सीबीआइ घटनास्थाल पर तीन बार क्राइम सीन रिक्रियेट की है। सीबीआई दोनों आरोपियों की अहमदाबाद में नार्कों टेस्ट व ब्रेन मैपिंग करायी है।
जज को जानबूझकर धक्का मारा लेकिन अब तक साजिश का नहीं चला पता
सीबीआइ अभी तक सीबीआई टक्कर मारने के पीछे की मंशा नहीं भांप पाई है। लखन और राहुल सीबीआई से भी बार-बार यही कह रहे हैं कि नशे में धुत्त रहने के कारण ऑटो रोड किनारे दौड़ रहे व्यक्ति की तरफ मुड़ गया, जिससे उन्हें टक्कर लग गई। हालांकि सीबीआई दोनों के बयान को अंतिम सत्य नहीं मान रहे हैं। सीबीआइ परिस्थितिजन्य और वैज्ञानिक साक्ष्यों से टीम घटना के तह तक पहुंचने का प्रयास कर रही है। दोनों के मोबाइल सीडीआर, घटनास्थल से मिले कॉल डंप, फोरेंसिक जांच के परिणाम के अलावा चिह्नित लोगों से लगातार हो रही पूछताछ के जरिए मामले में नये एंगल की तलाश हो रही है। दोनों आरोपियों के खिलाफ चाार्जशीट दाखिल की कर चुकी है। हाईकोर्ट सीबीआई जांच की मोनेटरिंग कर रही है। प्रत्येक सप्ताह सीबीआइ जांच की प्रगति रिपोर्ट हाई कोर्ट में पेश करती है। सीबीआइ की अब तक की जांच से हाई कोर्ट असंतुष्ट है। सीबीआई की ओर से हाई कोर्ट में बतायी गयी है कि जज को जानबूझकर धक्का मारा गया था। हालांकि इसके पीछे साजिश का अभी तक पता नहीं चल सका है।