इंडिया में एक्टिव ISIS आतंकी माड्यूल का पर्दाफाश,कर्नाटक के भटकल से आतंकी अबु हाजिर अल बदरी अरेस्ट
NIA ने इस्लामिक स्टेट (आइएस) से जुड़े आतंकी माड्यूल का पर्दाफाश किया है। जांच एजेंसी ने ISIS के एक संदिग्ध मददगार जुफ्री जवाहर दामुदी उर्फ अबु हाजिर अल बदरी को कर्नाटक के भटकल से अरेस्ट किया है। जुफ्री जवाहर खूंखार आतंकी संगठन का प्रमुख आतंकवादी है। जुफ्री को उसके एक साथ अमीन जुहैब के साथ पकड़ा है।
- जुटा था जिहादियों की भर्ती में
नई दिल्ली। NIA ने इस्लामिक स्टेट (आइएस) से जुड़े आतंकी माड्यूल का पर्दाफाश किया है। जांच एजेंसी ने ISIS के एक संदिग्ध मददगार जुफ्री जवाहर दामुदी उर्फ अबु हाजिर अल बदरी को कर्नाटक के भटकल से अरेस्ट किया है। जुफ्री जवाहर खूंखार आतंकी संगठन का प्रमुख आतंकवादी है। जुफ्री को उसके एक साथ अमीन जुहैब के साथ पकड़ा है।
बताया जाता है कि उक्त आतंकी 'क्रानिकल फाउंडेशन' के नाम से एक इंस्टाग्राम चैनल पर बड़ी संख्या में आइएस की दुष्प्रचार सामग्री डाल रहे थे। इस चैनल के पूरी दुनिया में 5,000 सक्रिय सदस्य थे। सुरक्षा एजेंसियों ने छद्म नामों से सक्रिय इसके सदस्यों की पड़ताल शुरू की, तो कर्नाटक के मंगलुरु और बेंगलुरु के साथ-साथ जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर और बांदीपुरा में इनके लोकेशन का पता चला। मार्च में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए) ने केस दर्ज कर कार्रवाई शुरू की। जांच में यह भी पता चला कि इनमें से कई आतंकी आइएस के कब्जे वाले सीरिया, इराक और अफगानिस्तान जाने की तैयारी कर रहे थे और कुछ तो अप्रैल, 2019 में ईरान के रास्ते अफगानिस्तान जाने की कोशिश भी कर चुके थे।
ये आतंकी कश्मीर में आइएस आतंकियों का ढांचा तैयार करने और हमलों को अंजाम देने की तैयारी में जुटे थे। कश्मीर में आतंकियों की मदद करने वालों को ये धन भी दे रहे थे। गिरफ्तार आतंकी डा. रहीस के पास से बरामद डिजिटल डिवाइस में आइईडी बनाने की तकनीक की विस्तृत जानकारी थी। ये आतंकी ¨हदूवादी नेताओं की हत्या कर देश में सांप्रदायिक तनाव पैदा करना और मीडिया संगठनों पर हमला करने की योजना बना रहे थे।
छद्म नाम से आनलाइन पत्रिका निकालता था आतंकी
जूफरी पिछले साल अप्रैल से आईआईएसएस के ऑनलाइन मैग्जीन 'Voice of Hind' को निकालता था। वह उसके प्रसार में प्रमुख रूप से शामिल था। इस मैग्जीन के जरिए आईएसआईएस अपना प्रोपेगैंडा फैलाता है।लोगों को बरगलाता भी है। बदरी Islamic State – Khorasan और सीरिया में बैठे अपने आकाओं के सीधे संपर्क में था।इस मैग्जीन के प्रचार-प्रसार के अलावा बदरी हथियार और विस्फोट जमा करने, मुजाहिद्दीन के लिए फंड जुटाने और भर्तियां करने में भी शामिल था। बदरी के बारे में यह भी बताया जा रहा है कि वो अपने साइबर कॉन्टैक्ट्स का इस्तेमाल काफिरों की मर्डर करने के अलावा पुलिस और पत्रकारों की मर्डर करवाने में भी करता था। वो मंदिरों या सरकारी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने वाली तस्वीरों का भी प्रचार-प्रसार करता था। साइबर स्पेस पर अबु हाजिर अल बदरी ने खुद के बारे में बताया है कि वो अफगानिस्तान/पाकिस्तान का रहने वाला है।
विदेशी एजेंसियों से मदद
जांच एजेंसियों की नजर से बचने के लिए जूफरी ने अपना नाम अबु हाजिर अल बदरी रख लिया था। जांच के बाद एजेंसियों को उसके भारत में ही सक्रिय होने की जानकारी मिली। 11 जुलाई को पकड़े गये कासिम खुरासानी उर्फ उमर निसार की गिरफ्तारी और उससे पूछताछ के आधार पर जुफरी असली पहचान उजागर हुई। जूफरी के छोटे भाई अदनान हसन दामुदी को 2017 में एनआइए ने आइएस से जुड़े एक मामले में गिरफ्तार किया था।इस माड्यूल के सदस्यों की पहचान और गिरफ्तारी के लिए विदेशी एजेंसियों से भी मदद ली गई। इसके अलावा एनआइए, खुफिया एजेंसियों और लोकल पुलिस ने आपसी तालमेल के साथ काम किया। हर छोटी-छोटी सूचना का रियल टाइम आदान-प्रदान और उसका विश्लेषण किया जाता रहा। पिछले एक महीने में आइएस के आतंकियों को पकड़न के लिए अनंतनाग, श्रीनगर, बांदीपुरा, बारामूला, मंगलुरु, बेंगलुरु और भटकल में कुल 21 स्थानों पर रेड मारा गया।