झारखंड:ऑफिस ऑफ प्रॉफिट मामले CM हेमंत सोरेन की कुर्सी खतरे में, PM व होम मिनिस्टर से मिले गवर्नर रमेश बैस
झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन के ऑफिस ऑफ प्रॉफिट मामले में घिरने के बाद झारखंड का राजनीतिक तापमान गरम है। चुनाव आयोग व गवर्नर कै फैसले पर हेमंत का वर्तमान राजनीतिक भविष्य टिका है। गवर्नर रमेश बैस ने इस सिलसिले में बुधवार को नई दिल्ली में पीएम नरेंद्र मोदी और होम मिनिल्टर अमित शाह से मुलाकात की।
- झारखंड में सियासी हलचल बढ़ी
रांची। झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन के ऑफिस ऑफ प्रॉफिट मामले में घिरने के बाद झारखंड का राजनीतिक तापमान गरम है। चुनाव आयोग व गवर्नर कै फैसले पर हेमंत का वर्तमान राजनीतिक भविष्य टिका है। गवर्नर रमेश बैस ने इस सिलसिले में बुधवार को नई दिल्ली में पीएम नरेंद्र मोदी और होम मिनिल्टर अमित शाह से मुलाकात की।
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गवर्नर ने पीएम व होम मिनिस्टर को झारखंड की राजनीतिक गतिविधियों से अवगत कराया। माइंस लीज मामले में राजभवन द्वारा की गई अबतक की गई कार्रवाई की जानकारी दी। सोर्सेज के अनुसार गवर्नर रमेश बैस ने पीएम व होम मिनिस्टर को बताया है कि सीएम हेमंत सोरेन के खिलाफ अनियमितता से संबंधित दस्तावेज उनके खिलाफ कार्रवाई करने के लिए पर्याप्त हैं। गवर्नर के पीएम व होम मिनिस्टर से मिलने के बाद झारखंड की राजनीतिक गतिविधियां तेज हो गई हैं।
कानून-व्यवस्था की स्थिति से भी पीएम और होम मिनिस्टर को अवगत कराया
गवर्नर रमेश बैस ने पीएम व होम मिनिस्टर के साथ अलग-अलग आधे घंटे से अधिक समय तक मुलाकात की है। चर्चा है कि इस दौरान राज्यपाल ने प्रदेश के ताजा हालात और तेजी से बदल रहे राजनीतिक घटनाक्रम से दोनों को अवगत कराया।गवर्नर ने सीएम हेमंत सोरेन और उनके भाई एमएलए बसंत सोरेन पर एक्स सीएम रघुवर दास द्वारा लगाये गये आरोपों के संबंध में वस्तुस्थिति की भी जानकारी दी। यह भी जानकारी दी कि चीफ सेकरटेरी ने सीएम और उनके भाई पर लगे आरोपों से संबंधित दस्तावेजों को सत्यापित करके निर्वाचन आयोग को भेज दिया है। उन्होंने निर्वाचन आयोग से पूरे मामले में परामर्श मांगने की जानकारी भी दी।गवर्नर ने राज्य की आर्थिक, सामाजिक गतिविधियों के अलावा कानून-व्यवस्था की स्थिति से भी पीएम और होम मिनिस्टर को अवगत कराया। बताया जाता है कि गवर्नर ने हेमंत सरकार के बचाव में उतरे सत्तारूढ़ दल झामुमो, कांग्रेस और आरजेडी के संयुक्त प्रतिनिधिमंडल की ओर से सौंपे गये ज्ञापन के विषय में भी बताया है।
उल्लेखनीय है कि सीएम हेमंत सोरेन पर स्टोन माइंस लीज लेने का आरोप है। उनके भाई एमएलए बसंत सोरेन भी एक माइनिंग कंपनी ग्रैंड माइनिंग में पार्टनर हैं। इससे संबंधित शिकायत बीजेपी नेताओं द्वारा राजभवन को सौंपे जाने के बाद जवाब मांगा गया था।
चीफ सेकरटेरी ने समय से पहले सारे दस्तावेज आयोग को भेजे
इससे पहले सीएम हेमंत सोरेन के स्टोन माइनिंग लीज प्रकरण से जुड़े मामले में बीजेपी नेताओं से गवर्नर रमेश बैस से शिकायक किया था। इसके बाद गवर्नर गवर्नर ने अपनी संवैधानिक शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए शिकायती पत्र को भारत निर्वाचन आयोग के पास भेजा था। इसके आधार पर ही निर्वाचन आयोग ने चीफ सेकरटेरी को पत्र लिखकर 15 दिनों के अंदर माइनिंग दस्तावेज से संबंधित आवश्यक दस्तावेज मांगे थे। चीफ सेकरेटरी को तीन मई तक जवाब देना था, लेकिन उससे पहले ही सारे दस्तावेज को आयोग को भेज दिये।भारतीय निर्वाचन आयोग ने स्टेट के चीफ सेकरेटरी सुखदेव सिंह को पत्र भेजकर आरोपों से संबंधी कागजातों को सत्यापित करने को कहा था। चीफ सेकरटेरी ने इसे मंगलवार को सत्यापित कर निर्वाचन आयोग को प्रेषित कर दिया है। गवर्नर रमेश बैस कह चुके हैं कि इस मामले में परामर्श के बाद विधि सम्मत कार्रवाई होगी।
गवर्नर ने चुनाव आयोग से मांगा है मंतव्य
सीएम हेमंत सोरेन को स्टोन माइंस लीज आवंटित होने तथा राजभवन द्वारा संविधान की धारा 192 के तहत इसपर भारत निर्वाचन आयोग से मंतव्य मांगे जाने के बाद अब सबकी नजरें चुनाव आयोग पर टिक गई हैं।
अब भारत निर्वाचन आयोग सुनेगा सीएम हेमंत सोरेन का पक्ष
सीएम हेमंत सोरेन से संबंधित स्टोन माइंस लीज मामले में मुख्य सचिव की ओर से भारत निर्वाचन आयोग को सारे दस्तावेज उपलब्ध करा दिये गये हैं। अब निर्वाचन आयोग सीएम का पक्ष सुनेगा। फिर ये फैसला करेगा कि हेमंत सोरेन पर लगे आरोप लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 9ए के तहत विधानसभा से उनकी सदस्यता समाप्त करने के लिए पर्याप्त है या नहीं।
दस्तावेजों का हो चुका है सत्यापन
सीएम हेमंत सोरेन और उनके छोटे भाई दुमका एमएलए बसंत सोरेन को लेकर भाजपा द्वारा सौंपे गए कागजात का सत्यापन कर भारतीय निर्वाचन आयोग को भेजा गया है। हेमंत सोरेन पर पत्थर खनन के लिए रांची के अनगड़ा में खदान आवंटन का आरोप है, जबकि बसंत सोरेन पर खनन कंपनी ग्रैंड माइनिंग में पार्टनर होने का आरोप है। बीजेपी नेताओं ने सोरेन बंधुओं पर सरकार से दोहरा लाभ लेने का आरोप लगाते हुए इनकी विधानसभा की सदस्यता खत्म करने की मांग की थी।तर्क दिया गया था कि यह कार्य गृह मंत्रालय, भारत सरकार की ओर से मंत्रियों के लिए जारी आचार संहिता का उल्लंघन है। साथ ही भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 13(1)(डी) के तहत आपराधिक कृत्य है। भाजपा नेताओं ने राज्यपाल से विधानसभा के सदस्यों की निरर्हता से संबंधित संविधान के अनुच्छेद 192 के तहत निर्वाचन आयोग की राय लेकर निर्णय लेने का भी आग्रह किया था।
चुनाव आयोग के मंतव्य पर राज्यपाल लेंगे निर्णय
संविधान के अनुच्छेद 192 (2) में राज्यपाल चुनाव आयोग से मंतव्य मांगने का अधिकार है। अनुच्छेद 102 के तहत चुनाव आयोग राज्यपाल को अपना मंतव्य देगा। चुनाव आयोग के मंतव्य के आधार पर ही राज्यपाल इस मामले में अपना निर्णय लेंगे। इसके अलावा लीज लेने के प्रकरण में हेमंत सोरेन ने जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 8 ए और 9 और 9 ए काउल्लंघन किया है।हालांकि, उनकी ओर से 9 ए लागू नहीं की बात कही जा रही है।लेकिन 9 ए भी इस मामले में लागू होगा, क्योंकि सीएम ने अपनी स्वेच्छा से लीज सरेंडर नहीं किया है, बल्कि जब मामला लोगों के संज्ञान में आया है, तो उन्होंने लीज सरेंडर किया है। सीएम के साथ-साथ हेमंत सोरेन खनन विभाग के मंत्री के पद पर रहते हुए ही लीज लेने की सारी प्रक्रिया पूरी की है। इसलिए यह मामला 9 ए के तहत भी आएगा। जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 8ए, 9 और 9 ए के तहत लाभ के पद पर रहते हुए भ्रष्ट आचरण अपनाने पर सदस्यता समाप्त किए जाने की बात कही गई है।