Jharkhand Tender Commission Scam : टेंडर कमीशन घोटाले में अब IAS मनीष रंजन को ED का समन
झारखंड में टेंडर कमीशन घोटाले में मनी लाॅन्ड्रिंग के तहत इन्विस्टीगेशन कर रही ईडी ने अब ग्रामीण विकास विभाग के एक्स आइएएस मनीष रंजन को समन किया है। मनीष रंजन वर्तमान में भू-राजस्व, सड़क व भवन निर्माण विभाग में सचिव हैं। ईडी ने उन्हें 24 मई को ईडी के रांची एयरपोर्ट रोड स्थित जोनल ऑफिस में बुलाया है।
- ईडी ने ग्रामीण विकास विभाग के एक्स सचिव को 24 मई को पूछताछ के लिए बुलाया
रांची। झारखंड में टेंडर कमीशन घोटाले में मनी लाॅन्ड्रिंग के तहत इन्विस्टीगेशन कर रही ईडी ने अब ग्रामीण विकास विभाग के एक्स आइएएस मनीष रंजन को समन किया है। मनीष रंजन वर्तमान में भू-राजस्व, सड़क व भवन निर्माण विभाग में सचिव हैं। ईडी ने उन्हें 24 मई को ईडी के रांची एयरपोर्ट रोड स्थित जोनल ऑफिस में बुलाया है।
यह भी पढ़ेंःछठी राष्ट्रीय रैंकिंग रॉलर स्केटिंग चैंपियनशिप में धनबाद को पहला Silver Medal
ग्रामीण विकास विभाग में टेंडर कमीशन में शामिल बड़े गैंग के खुलासे के क्रम में ही मनीष रंजन का नाम सामने आया है। ईडी ने ग्रामीण विकास विभाग के मंत्री आलमगीर आलम, उनके निजी सचिव संजीव लाल व संजीव लाल के नौकर जहांगीर आलम को अरेस्ट किया है। इन सबसे जुड़े ठिकानों से ईडी ने करीब 37.5 करोड़ रुपये कैश के अलावा भारी मात्रा में लेन-देन से संबंधित दस्तावेज, डिजिटल उपकरण आदि बरामद किया था। इन सभी दस्तावेजों की छानबीन, रुपयों के बारे में आरोपितों से पूछताछ में यह बात सामने आई है कि इस कमीशन गैंग में मनीष रंजन भी शामिल थे, जिनके निर्देश पर भी टेंडर में कमीशन की वसूली हुई है।
एम का मतलब मनीष, ये IAS मनीष रंजन तो नहीं
ईडी ने मंगलवार को कोर्ट में संजीव लाल व उनके नौकर जहांगीर आलम को प्रस्तुत किया था। ईडी ने कोर्ट में पेशी के वक्त जो पेपर कोर्ट में सौंपा था, उसमें ग्रामीण विकास विभाग में कमीशन के लेन-देन से संबंधित पेपर भी था। इसमें कोड में भी कुछ नाम लिखे गये थे। इनमें एक नाम एम से है, जिसके बारे में दावा किया गया है कि एम का मतलब मनीष। अब मनीष कौन, कहीं मनीष रंजन तो नहीं, इसकी भी ईडी छानबीन कर रही है। इस एम नाम के व्यक्ति को टेंडर कमीशन में 4.22 करोड़ रुपये का कमीशन गया है। अगर ये वही मनीष हैं तो भविष्य में इनकी परेशानियां बढ़ सकती है।
ईडी रिमांड पूरी, सजीव लाल व जहांगीर आलम जेल भेजे गये
ईडी ने मंगलवार को ही आलमगीर आलम के निजी सचिव संजीव लाल व संजीव लाल के नौकर जहांगीर आलम को 14 दिनों तक रिमांड पर पूछताछ के बाद जेल भेजा है। दोनों मंगलवार को पीएमएलए की स्पेसल कोर्ट में प्रस्तुत किये गये थे, जहां से उन्हें कोर्ट के आदेश पर ज्यूडिशियल कस्टडी में रांची के होटवार स्थित बिरसा मुंडा सेंट्रल जेल भेजा गया है।
92 करोड़ के 25 टेंडर में मिनिस्टर आलमगीर को कमीशन में मिले 1.23 करोड़
ईडी ने कोर्ट को बताया है कि ग्रामीण विकास विभाग में टेंडर कमीशन घोटाले में इंजीनियर, अफसर व मिनिस्टर का एक संगठित गैंग सक्रिय था। ईडी ने नमूने के तौर पर जनवरी महीने में पारित 92 करोड़ के 25 टेंडर के ब्यौरे से संबंधित एक पेपर भी कोर्ट में जमा किया है, जिसमें यह स्पष्ट लिखा हुआ है कि मंत्री आलमगीर आलम ने उक्त सभी 25 टेंडर में कमीशन के रूप में 1.23 करोड़ रुपये लिया था। इसी पेपर में किसी उमेश नाम के व्यक्ति को 1.75 करोड़ एवं ऑफिस के लिए 3.46 करोड़ रुपये भुगतान होने का जिक्र है।
ईडी की रेड में बरामद हुए थे 37.5 करोड़ रुपये
ईडी की छह, सात व आठ मई को रेड में लगभग 37.5 करोड़ रुपये जब्त हुए थे। इनमें 32.20 करोड़ रुपये जहांगीर आलम के हरमू रोड स्थित सर सैय्यद अपार्टमेंट से बरामद हुए थे। ये रुपये मिनिस्टर आलमगीर आलम के थे। जहांगीर आलम संजीव लाल का नौकर है। संजीव लाल के निर्देश पर ही वह रुपये वसूलता था। उस फ्लैट से बहुत से दस्तावेज भी बरामद हुए थे। उनमें कुछ कागजात टेंडर कमीशन से संबंधित भी थे।
मिनिस्टर के लिए एम व आनरेबल मिनिस्टर के लिए एच था कोड वर्ड
ईडी की इन्विस्टीगेशन के दौरान यह तथ्य भी सामने आया कि रुपयों का हिसाब रखने के लिए संजीव लाल रिकाॅर्ड रखते थे। इसमें मंत्री के लिए एम व ऑनरेबल मिनिस्टर के लिए एच शब्द का कोड वर्ड में इस्तेमाल करते थे।इसमें कुछ कागजात ईडी ने नमूने के तौर पर कोर्ट में प्रस्तुत भी किया है। इस वर्ष जनवरी महीने में पास हुए 25 टेंडर में मंत्री आलमगीर आलम को कमीशन में मिले थे एक करोड़ 23 लाख रुपये।