झारखंड : IAS विनय कुमार चौबे समेत सात पर आपराधिक साजिश–धोखाधड़ी का FIR

IAS विनय कुमार चौबे समेत 7 लोगों पर जालसाजी, धोखाधड़ी और आपराधिक साजिश का केस दर्ज। 20 साल पुराने विवाद में करोड़ों की हेराफेरी, फर्जी हस्ताक्षर और धमकी के आरोप। पुलिस ने जांच शुरू की।

झारखंड : IAS विनय कुमार चौबे समेत सात पर आपराधिक साजिश–धोखाधड़ी का FIR
विनय कुमार चौबे (फािल फोटो)।
  • रांची में जगरनाथपुर थाना में प्राथमिकी दर्ज
  • करोड़ों के हेरफेर, जालसाजी, फर्जी हस्ताक्षर और धमकी देकर कंपनी पर कब्जा करने के आरोप
  • शिकायतकर्ता ने खोली 20 साल पुराने विवाद की परतें

रांची। झारखंड में एक बार फिर उच्च स्तर के भ्रष्टाचार और आपराधिक साजिश का मामला सुर्खियों में है। IAS अधिकारी विनय कुमार चौबे समेत सात लोगों पर धोखाधड़ी, जालसाजी, फर्जी हस्ताक्षर और आपराधिक साजिश के गंभीर आरोपों के आधार पर जगरनाथपुर थाना में मामला दर्ज किया गया है। इस प्राथमिकी ने प्रदेश की ब्यूरोक्रेसी में हलचल मचा दी है।

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नामित आरोपियों में शामिल हैं—
IAS विनय कुमार चौबे,
विनय कुमार सिंह,
स्निग्धा सिंह,
बैंक मैनेजर अरविंद वर्मा,
विशाल सिंह,
राजेश कुमार सिन्हा,
राजीव कुमार झा।

प्राथमिकी दीपक कुमार नामक व्यवसायी द्वारा दर्ज करायी गई है। उन्होंने लगभग 20 साल पुराने विवाद का पूरा सिलसिला सामने रखा है।

20 साल पुराना विवाद: कंपनी बनाने से विवाद की जड़

दीपक कुमार ने शिकायत में कहा कि वर्ष 2000 में उनकी दोस्ती विनय कुमार सिंह से हुई। इसके बाद दिसंबर 2002 में दोनों ने Nexgen Solution Technology Pvt. Ltd. नामक कंपनी की स्थापना की। व्यापार बढ़ने पर विनय कुमार सिंह ने उनका परिचय IAS विनय कुमार चौबे से कराया।दीपक ने आरोप लगाया कि कंपनी की बढ़ती आय और विस्तार को देखकर IAS चौबे ने कथित तौर पर कंपनी पर कब्जा करने की योजना बनाई।

IAS चौबे पर भाई को लाभ पहुंचाने का आरोप

शिकायत में यह भी कहा गया है कि IAS चौबे ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए अपने भाई (अब दिवंगत) मनोज कुमार चौबे को दीपक की दूसरी कंपनी—Font Systems Pvt. Ltd. में पदस्थापित कराया। साल 2006 में कंपनी को पलामू और अन्य जिलों के अस्पतालों को मशीनों और उपकरणों की भारी सप्लाई का ऑर्डर मिला। इस दौरान कंपनी की संभावित आमदनी देखकर आरोपियों ने साजिश रचनी शुरू की।

फर्जी दस्तावेज, जाली हस्ताक्षर और अवैध निकासी का आरोप

दीपक के अनुसार— उनके शेयर विनय कुमार सिंह द्वारा बिना अनुमति ट्रांसफर किये गये। बैंक में उनका सिग्नेचर पैटर्न बदलवाने की कोशिश की गई, जिसे उन्होंने रोक लिया। 2006 में उनके जाली हस्ताक्षर बनाकर विनय कुमार सिंह की पत्नी स्निग्धा सिंह को कंपनी का डायरेक्टर बनाया गया। इसके बाद बैंक खाते से अवैध निकासी शुरू हुई। दीपक का दावा है कि 6 नवंबर 2006 को उनके नाम से फर्जी पत्र बैंक और अन्य साझेदारों को भेजे गए, जिससे उन्हें कई करोड़ रुपये की वित्तीय क्षति हुई।

धमकाकर साइन कराये गये एमओयू का आरोप

दीपक का कहना है कि आरोपियों ने उन्हें धमकाया और 15 लाख रुपये भुगतान करने की बात कहकर एक एमओयू पर हस्ताक्षर करवाए, लेकिन एक भी पैसा नहीं दिया गया। इसी दौरान 44 लाख रुपये के तीन लेन–देन दिखाकर उन्हें कंपनी खाते में पैसा डालने को मजबूर किया गया। बाद में आरोपियों ने उनके शेयरों पर कब्जा कर उन्हें कंपनी से बाहर कर दिया।

IAS चौबे पर प्रभाव का दुरुपयोग कर झूठे केस लगाने का आरोप

दीपक कुमार ने यह भी दावा किया कि विरोध करने पर IAS चौबे ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर उन पर झूठे मुकदमे दर्ज कराए, उन्हें गिरफ्तार करवाया औरकई महीनों तक परेशान किया गया।

क्यों अब आई शिकायत?

दीपक के अनुसार, हाल ही में IAS चौबे और विनय सिंह के अन्य मामलों में हुई गिरफ्तारी और जांच से उन्हें हिम्मत मिली और उन्होंने पूरी घटना पुलिस को बताई। फिलहाल पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। अधिकारी जल्द ही आरोपियों से पूछताछ कर सकते हैं। जांच के बाद ही इन गंभीर आरोपों की सच्चाई सामने आएगी।