रघुवर दास की होगी BJP की राजनीति में वापसी, राष्ट्रीय अध्यक्ष या प्रदेश अध्यक्ष बनाये जाने की अटकलें तेज
झारखंड के एक्स सीएम रघुवर दास एक बार फिर बीजेपी की पॉलिटिक्स में सक्रिय होंगे। उन्होंने मंगलवार की देर शाम ओडिशा के गवर्नर पद से इस्तीफा दे दिया। रघुवर दास को 18 अक्टूबर 2023 को ओडिशा का गवर्नर नियुक्त किया गया था।
- झारखंड विधानसभा चुनाव से पहले ही BJP में लौटना चाहते थे रघुवर
- फिर से शामिल होंगे पार्टी में
- गवर्नर बनने के बाद दे दिया था त्यागपत्र
नई दिल्ली। झारखंड के एक्स सीएम रघुवर दास एक बार फिर बीजेपी की पॉलिटिक्स में सक्रिय होंगे। उन्होंने मंगलवार की देर शाम ओडिशा के गवर्नर पद से इस्तीफा दे दिया। रघुवर दास को 18 अक्टूबर 2023 को ओडिशा का गवर्नर नियुक्त किया गया था।
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रघुवर दास ने 31 अक्टूबर, 2023 को पद की शपथ ली थी। इस दौरान ओडिशा विधानसभा का चुनाव हुआ, जिसमें भाजपा को नवीन पटनायक सरकार को अपदस्थ करने का मौका मिला। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने उनका त्यागपत्र स्वीकार करते हुए ओडिशा में नये गवर्नर की भी नियुक्ति कर दी है। इस राजनीतिक घटनाक्रम के बाद प्रबल संभावना है कि रघुवर दास की बीजेपी की राजनीति में वापसी होगी। रघुवर को बीजेपी का नेशनल प्रसिडेंट या झारखंड भाजपा अध्यक्ष बनाये जाने की अकटलें तेज हो गयी है। हालांकि इसको लेकर सस्पेंस बरकरार है।
वर्तमान में बीजेपी के नेशनल प्रसिडेंट जेपी नड्डा हैं. उनका का कार्यकाल पूरा हो चुका है। कार्यकाल खत्म होने के बाद उन्हें एक्सटेंशन दिया गया है। अवह वह मोदी कैबिनेट का हिस्सा भी हैं। बीजेपी की यह नीति है कि कोई भी नेता, सत्ता या संगठन में से एक पद पा सकता है। लिहाजा, नड्डा की जगह ने अध्यक्ष की नियुक्ति होनी है। 15 जनवरी के बाद भाजपा को नया राष्ट्रीय अध्यक्ष मिलेगा. इसके लिए धर्मेंद्र प्रधान, शिवराज सिंह चौहान, मनोहर लाल खट्टर और वसुंधरा राजे का नाम चर्चा में है। सूत्रों के हवाले से अटकलों में दलित चेहरा के रुप में बीजेपी प्रसिडेंट के लिए केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल, पार्टी महासचिव दुष्यंत गौतम और उत्तर प्रदेश की मंत्री बेबी रानी मौर्य का नाम चल रहा है।
रघुवर को झारखंड बीजेपी का कमान दिये जाने की चर्चा
झारखंड में हाल ही में संपन्न विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद भाजपा को एक सशक्त नेतृत्व की तलाश है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी विधायक दल के नेता बनाये जा सकते हैं। ऐसे में भाजपा को रघुवर दास का साथ संबल दे सकता है। रघुवर दास के बहाने भाजपा प्रभावशाली ओबीसी वोट बैंक को भी साध सकती है। रघुवर दास पूर्व में भी प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं। बताया जाता है कि विधानसभा चुनाव से पहले वे राज्य की राजनीति में आने को इच्छुक थे। तात्कालिक कारणों से भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने इसकी अनुमति नहीं दी। हालांकि रघुवर दास की भावना का सम्मान करते हुए उनकी परंपरागत सीट जमशेदपुर पूर्वी पर उनकी बहू पूर्णिमा दास साहू को पार्टी ने चुनाव मैदान में उतारा था। यह निर्णय सही रहा।
रघुवर दास लगातार पांच टर्म जमशेदपुर पूर्वी से एमएलए रहे
रघुवर दास की बहू अच्छे अंतर से विजयी होने में कामयाब रहीं। रघुवर दास ने निचले स्तर से भाजपा में कार्य किया है। उन्हें पहली बार पूरे कार्यकाल तक राज्य का मुख्यमंत्री बनने का भी गौरव हासिल हुआ। रघुवर दास लगातार पांच टर्म जमशेदपुर पूर्वी से एमएलए रहे हैं।
विधानसभा चुनाव के पहले ही बीजेपी में वापस लौटना चाहते थे रघुवर
रघुवर दास झारखंड विधानसभा चुनाव के पहले ही भाजपा में वापस लौटना चाहते थे। तब उन्होंने दिल्ली जाकर अपनी इच्छा से दल के वरिष्ठ नेताओं को अवगत कराया था। तात्कालिक वजहों से उन्हें इसकी सहमति नहीं मिली। ऐसे में दल में वापसी का मामला उस वक्त टल गया था। गवर्नर का पद छोड़कर वे अपनी परंपरागत जमशेदपुर पूर्वी सीट से विधानसभा चुनाव लड़ना चाहते थे।
अंदरूनी विवाद की संभावना को देखते हुए उन्हें दूर रखा गया था। हालांकि, उनकी बहू को विधानसभा चुनाव में टिकट देकर भाजपा ने संकेत दिया था कि रघुवर दास की भी राजनीति में किसी भी वक्त वापसी हो सकती है।चुनाव में उनकी बहू ने जीत हासिल की। नई परिस्थितियों में उनकी पार्टी में वापसी के लिए दल की सदस्यता ग्रहण कराई जाएगी। राज्यपाल बनाए जाने के बाद उन्होंने संवैधानिक बाध्यता की वजह से दल की सदस्यता छोड़ दी थी। झारखंड भाजपा के नेताओं को उम्मीद है कि जल्द ही रघुवर दास को लेकर स्थिति स्पष्ट हो जायेगी।
तात्कालिक वजहों से जाना पड़ा था राज्य की राजनीति से दूर
रघुवर दास को लगभग 14 माह पूर्व तात्कालिक वजहों से राज्य की राजनीति से दूर जाना पड़ा था। ऐसा बाबूलाल मरांडी को फ्री हैंड देने के उद्देश्य से किया गया था। भाजपा के शीर्ष नेतृत्व को उम्मीद थी कि बाबूलाल मरांडी के नेतृत्व में पार्टी राज्य की सत्ता में वापसी कर सकती है, लेकिन विधानसभा चुनाव में अपेक्षित सफलता नहीं मिलने के कारण भाजपा की चुनौतियां बढ़ गई है। ऐसे में रघुवर दास बतौर प्रदेश अध्यक्ष बेहतर विकल्प साबित हो सकते हैं।