गोरखपुर। उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में बिना मान्यता के चल रहे राज नर्सिंग कालेज में स्टूडेंट्स के एडमिशन लेकर जालसाजी करने वाले संचालक डा. अभिषेक यादव चार डाक्टरों व उनके तीन सहगोगियों पर शिकंजा कस गया है। डीएम कृष्णा करुणेश की अनुमति मिलने के बाद कोतवाली पुलिस ने सातों के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट में मुकदमा दर्ज किया है। पुलिस ने डा. अभिषेक की पत्नी समेत चार आरोपितों को अरेस्ट कर शनिवार को जेल भेज दिया गया।
यह है मामला
एसपी सिटी कृष्ण कुमार विश्नोई ने बताया कि राज नर्सिंग एंड पैरामेडिकल कालेज के संचालक डा. अभिषेक यादव ने कूटरचित दस्तावेज कर शासन से मान्यता मिलने की जानकारी देकर नर्सिंग कालेज में स्टूडेंट्स का एडमिशन ले लिया। कंपलेन पर शासन के अनु सचिव ने जांच की तो पता चला कि शासना के जिस आदेश का हवाला देकर डा. अभिषेक व उनके सहयोगियों ने एडमिशन लिया है वह फर्जी है।अनु सचिव ने कोतवाली पुलिस स्टेशन में राज नर्सिंग कालेज के संचालक पर कूटरचित दस्तावेज तैयार कर जालसाजी करने का मामला दर्ज कराया था।
जालसाजी कर बिना मान्यता के राज नर्सिंग कालेज में एडमिशन
जालसाजी की जानकारी होने पर ठगी के शिकार स्टूडेंट्स के परिजन ने भी कंपलेन दी थी। कालेज पर ताला लगाने के साथ ही अफसरों ने आरोपितों के खिलाफ पिपराइच पुलिस स्टेशन में भी FIR दर्ज कराया। छानबीन करने पर पता चला कि कोतवाली दुर्गाबाडी निवासी डा. अभिषेक यादव उसकी वाइफ डा. मनीषा यादव, शाहपुर के बशारतपुर में रहने वाली बहन डा. पूनम यादव, अपने साथी शक्तिनगर निवासी डा. सी प्रसाद उर्फ चौथी, बस्ती जिले के लालगंज, खोरिया निवासी शोभितानंद यादव, गुलरिहा पुलिस स्टेशन के करमहा निवासी श्यामनरायण मौर्य व मोगलहा निवासी विशाल त्रिपाठी के साथ मिलकर यह गैंगचला रहे हैं।
प्रभारी निरीक्षक कोतवाली अजय कुमार मौर्य ने शुक्रवार की रात आरोपितों के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट का मुकदमा दर्ज किया। साथ ही डा. मनीषा यादव, डा. पूनम यादव, श्यामनारायण मौर्य व शोभितानंद को अरेस्ट कर लिया। मुख्य आरोपित डा. अभिषेक यादव लखनऊ कारागार में पहले से निरुद्ध है।अन्य आरोपितों की खोजबीन की जा रही है।
आरोपितों पर 14-14 मामले हैं दर्ज, जब्त होगी संपत्ति
पुलिस गिरफ्त में आये आरोपितों के खिलाफ कोतवाली थाने में कूटरचित दस्तावेज तैयार कर जालसाजी करने और धमकी देने के 14-14 मुकदमें दर्ज हैं। सभी मुकदमें वर्ष 2015 में दर्ज हुए थे। इसमें पुलिस ने एफआर (अंतिम रिपोर्ट) लगा दिया था। डा. अभिषेक यादव के खिलाफ कोतवाली व पिपराइच पुलिस स्टेशन के अलावा लखनऊ में मामला दर्ज होने के बाद सभी केस की छानबीन शुरू हुई तो पुलिस ने वर्ष 2015 में दर्ज हुए केस की फाइल भी खोल दी। जांच में आरोप की पुष्टि होने पर कोर्ट में अंतिम रिपोर्ट भेजने के साथ ही गैंगस्टर एक्ट का मुकदमा दर्ज करा दिया।