- हेमंत सरकार ने लगभग डेढ़ साल से लगी सरकारी कर्मचारियों के प्रोमोशन पर रोक को वापस लिया
रांची। झारखंड गवर्नमेंट ने लगभग डेढ़ साल से लगी प्रोमोशन पर रोक को वापस ले लिया है। सीएम हेमंत सोरेन के निर्देश पर कार्मिक विभाग ने कुछ शर्तो के साथ प्रोमोशन पर लगी रोक को हटाने संबंधित आदेश जारी किया है।
कार्मिक विभाग ने आदेश की प्रति सभी विभागों को भेज दी है ताकि कर्मचारियों को प्रोमोशन का लाभ दिया जा सके।डेढ़ साल के दौरान लगभग तीन हजार कर्मचारी रिटायर हो गये। इनमें से आधे से अधिक ऐसे कर्मचारी थे जिन्हें प्रोमोशन का लाभ नहीं मिल सका। उनकी वेतन वृद्धि और पेंशन निर्धारण में इसका नुकसान हुआ।
इस शर्त के साथ हटाई गई है रोक
वरीयता सह पात्रता के प्रविधान के अंतर्गत प्रोन्नति प्रदान करने अथवा विचार करते समय, मूल कोटि की बड़ी का सूची में वरीयता क्रम में सामान्य वर्ग से ऊपर रहने वाले अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति के सरकारी सेवकों को अनारक्षित रोस्टर बिंदु पर प्रोन्नति अनुमान्य होगी। इस क्रम में अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति के वरिष्ठ सरकारी सेवकों को अनारक्षित बिंदु पर प्रमोशन करते समय यह देखा जाना आवश्यक नहीं है कि उनकी नियुक्ति मेधा के आधार पर हुई है अथवा आरक्षण के आधार पर।
वरीयता सह पात्रता के प्रविधान के अंतर्गत प्रोमोशन का उदाहरण
कार्मिक विभाग ने अपने पत्र में स्पष्ट रूप से इसका वर्णन किया है, और बताया है कि मान लिया जाए कि झारखंड प्रशासनिक सेवा की मूल कोटि से अनुमंडल पदाधिकारी एवं समकक्ष कोटि में यदि प्रोन्नति के विचारण सूची में 50 पदों पर प्रोमोशन दी जाती है तो कमांड 1 से 50 अंक के पदाधिकारियों को प्रशासनिक सुधार तथा राजभाषा विभाग के संकल्प के आधार पर निम्न प्रकार से प्रोन्नति अनुमान्य होगी।
अनारक्षित:1,3,4,5,7,9,11,12,13,15,17,19,20,21,23,25,27,29,31,32,33, 35,37,39,40,41,43,45,47,49 = कुल 32
अनुसूचित जाति: 6, 16, 24, 36, 46 = कुल 5
अनुसूचित जनजाति: 2, 8, 10, 14, 18, 22, 26, 30, 34, 38, 42, 44, 50 = कुल 13
इसका मतलब यह हुआ कि कुल 32 सामान्य श्रेणी के पद धारकों को पदोन्नति प्रदान की जायेगी। इस क्रम में प्रावधानित है कि वरीयता सूची में 1 से 32 कोटि क्रमांक तक के सभी पदधारकों को अनारक्षित बिंदुओं की रिक्ति के अनुसार संबंधित किया जायेगा। कोटि क्रमांक 1 से 32 के मध्य अनुसूचित जनजाति एवं अनुसूचित जाति के पदधारकों को भी अनारक्षित रोस्टर बिंदु के विरुद्ध ही प्रमोशन दी जायेगी। इस क्रम में यह देखने की आवश्यकता नहीं होगी कि संबंधित कर्मी मेधा पर चयनित है अथवा आरक्षण के आधार पर।इसके बाद कोटि क्रमांक 32 से नीचे के अनुसूचित जनजाति एवं अनुसूचित जाति के सरकारी सेवकों को उनके लिए निर्धारित आरक्षित कोटा के विरुद्ध प्रमोशन किया जायेगा। इसका मतलब यह हुआ कि कोटि क्रमांक 32 से नीचे प्रथम 5 अनुसूचित जाति के पद धारकों को अनुसूचित जाति के लिए चयनित रोस्टर बिंदु के विरुद्ध तथा कोटि क्रमांक 32 से नीचे प्रथम 13 अनुसूचित जनजाति के पद धारकों को अनुसूचित जनजाति के लिए चिह्नित रोस्टर बिंदुओं के विरुद्ध प्रमोशन दी जायेगी।
प्रोमोशन में रिजर्वेशन को लेकर एससी और एसटी की अनदेखी के आरोपों के बाद सीएम हेमंत सोरेन के आदेश से सभी कर्मियों की प्रोन्नति पर रोक लगा दी गई थी। मामले की जांच के लिए विधानसभा की एक विशेष समिति का गठन किया गया था। इसकी अनुशंसाओं को भी लागू करने की बात कही गई थी। अब इस फैसले के साथ ही अब 57 हजार से अधिक पदों पर सरकारी कर्मचारियों की प्रोमोशन का रास्ता खुल गया है।
उल्लेखनीय कि झारखंड विधानसभा में उठे एक प्रश्न के आलोक में विधानसभा द्वारा एक विशेष समिति का गठन किया गया था। इस मामले की जांच की गयी थी। इसी क्रम में राज्य सरकार ने 24 दिसंबर 2020 को जारी पत्र के माध्यम से तत्काल प्रभाव से प्रोमोशन की प्रक्रिया को रोकने का निर्देश दिया था। इसके पूर्व प्रोजेक्ट भवन सचिवालय में कुछ कर्मचारियों ने आरोप लगाया था कि राज्य कर्मियों की प्रोमोशन में अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति के वरीय सरकारी सेवकों को प्रमोशन के लाभ से वंचित कर सामान्य वर्ग के कनीय कर्मियों को भी प्रोन्नति दी गयी है। इसी के बाद विभाग ने जांच करायी थी। लगभग डेढ़ साल से राज्य में प्रोमोशन बाधित थी।