बिहार: मुकेश सहनी चुप लगा देते तो यह नौबत नहीं आती, VIP चीफ बोलते थे आधारहीन बातें :मांझी
वीआइपी के तीनों एमएलए को बीजेपी में शामिल होने व मुकेश साहनी को कैबिनेट से डिसमिस कर एनडीए ने आउट किये जाने से हम सुप्रीमो जीतराम मांझी भी सहमे हुए हैं। मांझी को अपनी पार्टी में टूट का भय सता रहा है। एक्स सीएम व हम सुप्रीमो जीतनराम मांझी ने अगर मुकेश सहनी चुप लगा देते तो संभव है, उन्हें कैबिनेट से डिसमिसल की नौबत नहीं आती।
पटना। वीआइपी के तीनों एमएलए को बीजेपी में शामिल होने व मुकेश साहनी को कैबिनेट से डिसमिस कर एनडीए ने आउट किये जाने से हम सुप्रीमो जीतराम मांझी भी सहमे हुए हैं। मांझी को अपनी पार्टी में टूट का भय सता रहा है। एक्स सीएम व हम सुप्रीमो जीतनराम मांझी ने अगर मुकेश सहनी चुप लगा देते तो संभव है, उन्हें कैबिनेट से डिसमिसल की नौबत नहीं आती।
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मांझी ने मंगलवार को पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि मुकेश सहनी मित्र की तरह थे। मुलाकात होती रहती थी, लेकिन जितनी सारी बात वह बोलते थे, उसका कोई आधार नहीं था। हम सु्प्रीमो ने कहा कि साहनी यूपी विधानसभा चुनाव में 165 सीट पर यूपी में लड़ गये। फिर लोगों से कहा कि हम किसी के सहारे नहीं है। आरजेडी से बात चल रही है कि आधा-आधा टाइम सीएम हो। इस तरह की बातें राजनीति में नहीं होनी चाहिए।
सहनी ने तोड़ा गठबंधन धर्म
जीतनराम मांझी ने कहा कि सहनी ने गठबंधन धर्म को तोड़ने का काम किया। हम भी कहते हैं कि बोचहां में उनके आदमी को टिकट मिलना चाहिए था। यह परंपरा है कि जिस दल की सीट खाली होती है, उसी दल को टिकट मिलता है। हो सकता है, बीजेपी को उत्तर प्रदेश का खीझ हो, जिस कारण बोचहां से टिकट नहीं दिया। अगर बीजेपी ने ऐसा कोई कदम उठाया तो सहनी को चुप लगा देना चाहिए था।
बीजेपी को भी इतना हार्ड एक्शन नहीं लेना चाहिए
जीतनराम मांझी ने कहा कि राजनीति में आगे बहुत मौका मिलता है। कल एमएलसी का मामला है, परसों राज्यसभा का मामला होगा। सहनी तो गलती कर ही गये, लेकिन एनडीए के साथी के नाते बीजेपी को भी इतना हार्ड एक्शन नहीं लेना चाहिए था। मांझी ने कहा कि मुकेश सहनी गठबंधन में बीजेपी कोटे से मिनिस्टर थे जब बीजेपी ने ही उन्हें हटा दिया तो नीतीश कुमारजी के पास कोई चारा नहीं था। यह गैर-संवैधानिक नहीं है, उचित था।