Bihar : मुर्रा नस्ल के भैंसा की कीमत 10 करोड़ रुपये, बिहार डेरी एंड कैटल एक्स्पो में बना आकर्षण का केंद्र
हरियाणा के पानीपत स्थित दिदवारी के साढ़े पांच फीट ऊंचा और 14 फीट (पूंछ सहित) लंबा घोलू नामक मुर्रा प्रजाति का भैंसा बिहार डेरी एंड कैटल एक्स्पो में आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। मेले में आने वाले सभी व्यक्ति घोलू की एक झलक पाने का प्रयास करते रहे। 16 क्विंटल भारी भरकम भैंसे की चमक सभी का ध्यान आकृष्ट कर रही है।
- पद्मश्री से सम्मानित किसान नरेंद्र सिंह तीन दिवसीय एक्स्पो में मुर्रा नस्ल के भैंसे को लेकर आये
- वेटनरी कालेज मैदान में 23 दिसंबर तक चलेगा एक्स्पो
- 10 करोड़ का भैंसे की कीमत प्रतिदिन पीता है 10 किलो दूध
पटना। हरियाणा के पानीपत स्थित दिदवारी के साढ़े पांच फीट ऊंचा और 14 फीट (पूंछ सहित) लंबा घोलू नामक मुर्रा प्रजाति का भैंसा बिहार डेरी एंड कैटल एक्स्पो में आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। मेले में आने वाले सभी व्यक्ति घोलू की एक झलक पाने का प्रयास करते रहे। 16 क्विंटल भारी भरकम भैंसे की चमक सभी का ध्यान आकृष्ट कर रही है।
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वर्ल्ड में नहीं ऐसा भैंसा
वर्ष 2019 में पद्मश्री से सम्मानित किसान नरेंद्र सिंह तीन दिवसीय एक्स्पो में उसे लेकर पटना आये हैं। 23 दिसंबर तक एक्स्पो वेटनरी कालेज मैदान में चलेगा। नरेंद्र सिंह ने बताया कि घोलू की कीमत 10 करोड़ है। इसके जैसा मुर्रा प्रजाति का भैंसा विश्व में नहीं है। यह प्रतिदिन सुबह-शाम पांच-पांच किलो दूध पीता है। 30 किलो हरा चारा के साथ के अतिरिक्त मिश्रित भोजन लेता है। गर्मी में इसके भोजन में सरसों तेल तथा ठंड में घी मिलाकर दिया जाता है। इसकी मालिश भी की जाती है। इस पर प्रतिदिन दो हजार रुपये खर्च आते हैं।
घोलू का चार युवा बच्चे
घोलू के चार युवा बच्चे हैं। यह तीन भाई हैं। सबके सब काफी ऊर्जावान हैं, लेकिन घोलू जैसा अभी कोई नहीं है। उन्होंने बताया कि बिहार के किसान पशुपालन में कमजोर हैं। भारतीय नस्ल मुर्रा प्रजाति का हमारा भैंसा उन्नत है। एक अनुमान के मुताबिक, यह अब तक करीब 30 बच्चों का बाप बन चुका है। इसके सीमेन से पैदा होने वाली भैंस 20 किलो से कम दूध नहीं देगी। इस भैंसे का सीमेन 300 रुपये में उपलब्ध है। ऐसे भैंसे की नस्ल के सीमन से दूध उत्पादन दो-तीन गुना बढ़ जाएगा। इसका सीमेन उच्च गुणवत्ता का होगा। इसके बच्चे काफी दुधारू होंगे।
26 किलो दूध देती थी घोलू की मां
घोलू टू की मां रानी 26 किलो दूध देती थी। बिहार डेरी एंड कैटल एक्स्पो में नौबतपुर के चिरौरा से आये अधिवक्ता शशि के ठाकुर किसानों को साहिवाल गाय और सांड़ दिखाते हुए इसकी विशेषता के बारे में जानकारी दी। शशि के अनुसार, साहिवाल गाय का दूध काफी गुणवत्ता वाला होता है। नेऊरा के गांधी हाट के अंशु कुमार सिंह देसी गंगा तीरी नस्ल की गाय और सांड़ लेकर आए थे। वे कह रहे थे कि यह नस्ल विलुप्त हो रही है। इसे बचाना है। यह उत्तर प्रदेश और बिहार की नस्ल है। जफरावादी सहित कई प्रजाति के पशु को यहां प्रदर्शित किया गया है। इसके साथ मुर्गी, बत्तख और बटेर पालन को बढ़ावा देने के लिए प्रदर्शनी लगाई गई थी।