बिहार: बोचहां में RJD के BMY की गूंज, नये समीकरण से टेंशन में BJP

बोचहां विधानसभा उपचुनाव में RJD की जीत बिहार में एक नये समीकरण का संकेत दे रही है। यह समीकरण आगे चल कर बिहार की राजनीति को उलट-पलट सकती है। इस उपचुनाव में BJP का परंपरागत वोट बैंक हिल गया है। RJD भूमिहार समाज में सेंधमारी में काफी हद तक सफल रही है।

बिहार: बोचहां में RJD के BMY की गूंज, नये समीकरण से टेंशन में BJP

पटना। बोचहां विधानसभा उपचुनाव में RJD की जीत बिहार में एक नये समीकरण का संकेत दे रही है। यह समीकरण आगे चल कर बिहार की राजनीति को उलट-पलट सकती है। इस उपचुनाव में BJP का परंपरागत वोट बैंक हिल गया है। RJD भूमिहार समाज में सेंधमारी में काफी हद तक सफल रही है।

बोचहां विधानसभा उपचुनाव: बीजेपी के हार का कारण बने रामसूरत राय ,कोर वोट बैंक भूमिहारों ने छोड़ दिया साथ 

रिजल्ट से स्पष्ट है कि BMY समीकरण यानी भूमिहार, मुस्लिम, यादव का नारा सोशल मीडिया के साथ-साथ बोचहां में वोटिंग बूथ पर भी दिखा है।17 साल बाद RJD ने बोचहां में जीत दर्ज की है। 2005 में आखिरी बार लालटेन चुनाव चिह्न पर रमई राम चुनाव जीते थे। इसके बाद 2010 में चुनाव तो रमई राम ही जीते, लेकिन चुनाव चिह्न तीर (JDU) का था। इसके बाद 2015 में बेबी कुमारी ने निर्दलीय चुनाव जीता। 2020 में VIP के टिकट पर मुसाफिर पासवान चुनाव जीते। उनके निधन के कारण ही उपचुनाव हुआ था। 
आरजेडी के अमर पासवान की जीत के मुख्य कारण

पिता के निधन की सहानुभूति और युवा होने का फायदा

अमर पासवान को उनके दिवंगत मुसाफिर पासवान के निधन से उपजे सहानुभूति का फायदा हुआ।  युवा होना भी उनके पक्ष में गया। कैंपेन के दौरान जोर-शोर से यह बात हो रही थी कि अमर अभी युवा हैं। आगे पूरा कैरियर है। अगर काम नहीं करेंगे तो दो-तीन साल बाद हटा देंगे। तेजस्वी यादव ने भी प्रचार के दौरान कहा था, 'आपने मुसाफिर पासवान को 5 साल के लिए चुना था। उसी कार्यकाल में से उनके बेटे को दे दीजिए। दो-ढाई साल काम का मौका दीजिए, काम नहीं करेंगे तो आगे हरा दीजियेगा।' संभवत: इस बात पर वोटरों ने ज्यादा भरोसा किया।

तेजस्वी यादव की भूमिहार नेताओं के साथ मजबूत कैंपेनिंग

तेजस्वी यादव ने पूरे उपचुनाव के दौरान जोरदार तरीके से कैंपेनिंग की। अपने नेताओं को एकजुट करने के साथ-साथ भूमिहार नेताओं को मैदान में उतार दिया। तेजस्वी ने अपने अंदाज में वोट मांगा। बीजेपी कैंडिडेट बेबी कुमारी के बारे में भी बताते रहे। कभी युवा होने का हवाला दिया तो कभी नया बिहार बनाने की बातें कही। वहीं, अपनी शादी और अमर की शादी की बात कर सभी धर्मों के सम्मान की बातें भी कही। A टू Z पॉलिटिक्स को पुरजोर तरीके से रखा।

भूमिहार वोटरों के गुस्सा का आरजेडी को मिला फायदा

कहा जा रहा है कि वर्तमान में बीजेपी से उसका परंपरागत वोटर भूमिहार समाज काफी नाराज चल रहा है। समाज में RJD की सेंध का असर एमएलसी चुनाव में भी दिखा था। आरजेडी ने ब्रह्मर्षि समाज के पांच नेताओं को कैंडिडेट बनाया, इसमें से तीन चुनाव जीते गये। आरजेडी के छह कैंडिडेट जीते जिसमें आधे भूमिहार समाज के हैं। बोचहां उपचुनाव में तीनों एमएलसी के साथ-साथ दो पराजित कैंडिडेट ने खूब कैंपैनिंग की। समाज के नेता आशुतोष कुमार भी इनलोगों के साथ रहे। भूमिहार ब्राहमण सामाजित फ्रंट ने आरजेडी को समर्थन देने का एलान कर दिया। समाज के युवा पीला गमछा पहनकर पहली बार RJD को वोट देते देखे गये।

बीजेपी के खिलाफ भूमिहार समाज में आक्रोश

बोचहां में भूमिहार समाज की संख्या अच्छी-खासी है। इनका वोट निर्णायक है।  हाल के दिनों में यह समाज BJP से काफी नाराज है। वह पार्टी पर उचित हिस्सेदारी नहीं देने का आरोप लग रहा है। एमएलसी के अंतिम समय में सारण से सच्चिदानंद राय का टिकट काटने से समाज में BJP के प्रति और गलत मैसेज गया। इसका असर भी बोचहां में दिखा। हालांकि, बीजेपी लीडरशीप इस गुस्से को भांप चुका था और मनाने की कोशिश भी की थी, लेकिन रिजल्ट बता रहा है कि वो कोशिश सफल नहीं रही। एमएलसी चुनाव में टिकट में भूमिहारों की उपेक्षा, बीजेपी संगठन में भूमिहारों की प्रतिनिधित्व कती अनदेखी, बिहार विधान परिषद में दो साल पहले उपनेता पद से रजनीश कुमार को हटाकर आरजेडी से पार्टी में आये नवल किशोर यादव को बैठाने आदि कई कारण है।