धनबाद: बागडिगी कोलियरी जैसी एक्सीडेंट दुबारा न हो, सेफ्टी के साथ करें कोल प्रोडक्शन : CMD
बीसीसीएल बागडिगी कोलियरी माइंस एक्सीडेंट की 21वीं बरसी पर बुधवार को कोलियरी स्थित शहीद स्मारक स्थल पर शहीदों को श्रद्धांजलि दी गई।बीसीसीएल के सीएमडी समीरण दत्ता, लोदना जीएम अरूण कुमार, पीएम डीके भगत, पीओ एमके कुंडू, मैनेजर एनके राणा, श्रमिक नेताओं व शहीद के परिजनों ने नम आंखों से स्मारक पर फूल माला चढ़ाकर श्रद्धांजलि दी।
- बागडिगी कोलियरी माइंस एक्सीडेंट की 21वीं बरसी पर शहीद स्मारक पर श्रद्धांजलि
धनबाद। बीसीसीएल बागडिगी कोलियरी माइंस एक्सीडेंट की 21वीं बरसी पर बुधवार को कोलियरी स्थित शहीद स्मारक स्थल पर शहीदों को श्रद्धांजलि दी गई।बीसीसीएल के सीएमडी समीरण दत्ता, लोदना जीएम अरूण कुमार, पीएम डीके भगत, पीओ एमके कुंडू, मैनेजर एनके राणा, श्रमिक नेताओं व शहीद के परिजनों ने नम आंखों से स्मारक पर फूल माला चढ़ाकर श्रद्धांजलि दी। मौके पर शहीदों की आत्मा की शांति के लिए शांति पाठ भी किया गया।
उल्लेखनीय है कि वर्ष 2001 के दो फरवरी बागडिगी कोलियरी के माइंस में पानी घुसने से 29 श्रमिकों की जल समाधि हो गई थी।सीएमडी ने घटना पर दुख जताते हुए कहा कि ऐसी घटना की पुनरावृति नहीं हो इसके लिए पूरी सेफ्टी के साथ राष्ट्रहित में कोल प्रोडक्शन करना होगा। सीएमडी समिरन दत्ता ने कहा कि यह बहुत ही दुःखद हादसा थी क्योकि इस हादसे में हमने अपने 29 श्रमिको को खोया है .आज भी इस हादसे को याद कर रूह कांप जाती है।उन्होंने कहा कि इस हादसे से अफशरों को बहुत कुछ सीखने को मिला था। सीएमडी ने कहा कि इस घटना के 21 वर्ष बीत जाने के बाद भी घटना को याद कर रूह कांप जाती है।उन्होंने यह भी कहा कि इस घटना से हमलोगों को सिख मिली कि सुरक्षा को नजरअंदाज कर कभी भी माईनस या अन्य स्थल पर कार्य नही करना चाहिए। हमेशा सेफ्टी को पहली प्राथमिकता देनी चाहिए। सीएंमडी ने कहा कि हम कभी भी 29 शहीदों की बलिदान को नही भूलेंगे जिन्होंने कोल माइनिंग के दौरान अपनी जान न्योछावर की।
मौके पर बीजेपी लीडर रागिनी सिंह ने घटना को काफी दुखद बताया। उन्होंने कहा कि ऐसी घटना दोबारा नहीं हो। सेफ्टी के साथ अफसर व मजदूर कोल प्रोडक्शन। धकोकसं के महामंत्री रामधारी ने कहा कि ऐसी घटना दुबारा नहीं हो। इसके लिए अफसरों व मजदूरों को संकल्प लेना चाहिए।मौके पर बीसीकेयू के मानस चटर्जी, सुरेश प्रसाद गुप्ता, सबुर गोराई, सुरेश पासवान, प्रजा पासवान, शिवकुमार सिंह, शिवबालक पासवान, जमसं के संजीत सिंह, ललन पासवान, नंदलाल पासवान, अखिलेश सिंह, छोटू सिंह, शिव पासवान, राजाराम पासवान, हेमंत पासवान, मल्लू सिंह, उमाशंकर शाही, भोला यादव, विद्यासागर पासवान, शिवराम सिंह, अशोक पांडेय, इंटक के ललन चौबे, एके झा, राजीव रंजन चौबे, धर्मेंद्र सिंह, केआइएमपी के एसएस डे, योगेन्द्र यादव, दीनानाथ केवट, मुंद्रिका पासवान, बिहारीलाल चौहान, बिनोद पासवान, मुन्नीलाल राम, रविद्र प्रसाद, अजय निषाद, सुभाष माली, हाजी अली अहमद, स्वरूप भट्टाचार्या आदि ने शहीदों को श्रद्धांजलि दी।
बागडिगी माइंस में 29 मजदूर हो गये थे जलमग्न
बीसीसीएल लोदना एरिया के बागडिगी कोलियरी के 12 नम्बर माइंस में दो फरवरी 2001 को डेम का दीवार अचानक फट गया था। इससे सात 7 नम्बर फेस में कार्य कर रहे 29 श्रमिक फंस गये थे। यह घटना जंगल मे आग की तरह पूरे क्षेत्र में फैल गई।माइंस के बाहर चीख पुकार से क्षेत्र में कोहराम मच गया था।हाजरों लोगो का हुजूम चानक के समीप पहुंच गया था। लोग जल्द रेस्क्यू की मांग कर रहे थे।
घटना की जानकारी मिलते ही बीसीसीएल के अफसर डीसी बिनोद किस्पोट्टा, एसपी अब्दुल गनी मीर व तत्कालीन मिनिस्टर बच्चा सिंह आनन फानन में मौके पर पहुंचे। माइंस में फंसे मजदूरों को निकालने के लिए रेस्क्यू कार्य शुरू करवाया गया। बीसीसीएल की रेस्क्यू टीम ने जब हाथ खड़ा कर दिया तो खदान में फंसे श्रमिको को निकालने के लिए मुंबई से गोताखोरों की टीम को बुलाया गया था। घटना के चार दिन बीत के बाद भी जब गोताखोरों को कुछ हाथ नही लगा तो आक्रोशित परिजनों ने गोताखोरों से बॉडी निकालने की मांग की थी। गोताखोर की टीम कड़ी मशक्कत के बाद पांच फरवरी को उक्त स्थल पहुंची जहाँ श्रमिको के बॉडी थे। रात 12 बजे गोताखोरों की टीम ने बॉडी को जयरामपुर कोलियरी 5 नम्बर माइंस से बाहर निकाला। बॉडी की पहचान कैप लैंप नंबर से की गई थी।हादसे के बाद तत्कालीन कोयला मंत्री रामविलास पासवान भी बागडिगी पहुंचे थे।उन्होंने बीसीसीएल के तत्कालीन सीएमडी से घटना की जानकारी ली थी। घटना के दोषी अफसरों पर कार्रवाई की बात भी कही थी।
सात दिन बाद जिंदा निकला था एक मजदूर सलीम
इस हादसे में सलीम अंसारी नामक मजदूर जिदा बच गये थे। सलमी को गोताखोरों की टीम ने सात दिन बाद रेस्क्यू कर बाहर निकाला था। वह सात दिन तक माइंस का गंदा पानी पीकर मौत से संघर्ष कर रहे थे। माइंस में भरे पानी को निकालने में लगभग छह महीने लगे थे।पानी निकालने का कार्य लगातार किया जा रहा था। माइंस से जिंदा निकले सलीम ने बताया था कि माइंस में पानी भरने लगा को वह किसी तरह भागकर एक कोयले की ढेर पर चढ़ गया था।वहां सात दिनों तक बिना कुछ खाए बैठा था। कई श्रमिकों की मौत पानी मे डूबने से हमारे सामने हुई थी।