धनबाद: Coal King Suresh Singh मर्डर के नौ साल, पांच SP व पांच SSP भी मुख्य आरोपी शशि सिंह को नहीं पकड़ पाये
कोल किंग के नाम से फेमस धनबाद जिला कांग्रेस के कैशियर सुरेश सिंह की मर्डर के नौ साल बाद भी धनबाद पुलिस मुख्य आरोपी शशि सिंह को नहीं पकड़ पायी है। नौ साल में जिले में पांच एसपी व पांच एसएसपी आये लेकिन मर्डर के मुख्य आरोपी शशि सिंह को नहीं खोज सके। पुलिस शशि सिंह पर 50 हजार का इनाम घोषित कर रखी है।
- 10-10 पुलिस कप्तान 50 हजार के इनामी को नहीं खोज सके
- तीन-तीन सिटी एसपी, पांच डीएसपी व आधा दर्जन इंस्पेक्टर की नजर से भी दूर है शशि
धनबाद। कोल किंग के नाम से फेमस धनबाद जिला कांग्रेस के कैशियर सुरेश सिंह की मर्डर के नौ साल बाद भी धनबाद पुलिस मुख्य आरोपी शशि सिंह को नहीं पकड़ पायी है। नौ साल में जिले में पांच एसपी व पांच एसएसपी आये लेकिन मर्डर के मुख्य आरोपी शशि सिंह को नहीं खोज सके। पुलिस शशि सिंह पर 50 हजार का इनाम घोषित कर रखी है।
धनबाद क्लब में नुनु सिंह के बेटे के शादी की रिशेप्शन में वर्ष 2011 की सात दिसंबर की रात सुरेश सिंह को गोलियों से भून दिया था। मौके पर मौजूद उनके दर्जन भर बॉडीगार्ड भी उनके साथ थे।आनन-फानन में सुरेश सिंह को सेंट्रल हॉस्पीटल ले जाया गया जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। बताया जाता है कि सुरेश और शशि दोनों कुछ दूरी पर ही बैठे थे। इस दौरान सुरेश ने कुछ घोर आपत्तिजनक टिप्पणी की। यह शशि को इतना नागवार गुजरा कि फिल्मी स्टाइल में सुरेश को जमीन पर पटकनी दी। फिर सीने पर पैर रखा। और अपने कमर से पिस्टल निकाल सुरेश के शरीर में गोली उतार दी। इस दौरान मौके पर मौजूद सैकड़ों लोग मूकदर्शक बने रहे। शशि आराम से अपने लोगों के साथ चलता बना।
रामधीर, संजीव व शशि के खिलाफ दर्ज हुई थी एफआआर
तेजनारायण सिंह रामधीर सिंह, संजीव सिंह व शशि सिंह (सिेंह मैंशन) के खिलाफ अपने बेटे की मर्डर करने की एफआइआर दर्ज करायी थी। पुलिस अनुसंधान में शशि के अलावा उसके करीबी मोनू सिंह, आलोक वर्मा, प्रमोद लाला समेत चार लोगों की संलिप्ता सामने आयी।एक अन्य मनोज सिंह का अभी तक पता सत्यापन नहीं हो पाया है। पुलिस अनुसंधान में संजीव रामधीर के खिलाफ एडीडेंस नहीं मिला था। लगभग पांच माह के अनुसंधान के बाद वर्ष 2012 की 20 मई को पुलिस ने शशि सिंह, प्रमोद लाला, मोनू सिंह, आलोक वर्मा को फरार दिखाते हुए कोर्ट में चार्जशीट दायर कर दिया था।
पुलिस ने की थी चारों आरोपियों की कुर्की
चारों की कर्की-जब्ती की गयी थी। बारी-बारी से मोनू सिंह, आलोक वर्मा, प्रमोद लाला कोर्ट में सरेंडर कर बेल पर है। नौ साल में पुलिस शशि को पकड़ नहीं पाई है। इस दौरान शशि ने शादी रचाई। दो-दो बच्चे का पिता बना। पत्नी को यूपी के बलिया जिले के दोआबा विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ाया। बावजूद शशि को पुलिस नहीं पकड़ पायी
फरारी में ही हुई शशि की शादी, दो-दो बच्चे का पिता बना
फरारी में ही शशि सिंह ने शादी की। शशि अभी दो-दो बच्चे का पिता भी बन चुका है। धनबाद पुलिस शशि को अभी तक खोज नहीं पायी है। शशि अपनी पत्नी को दोआबा विधानसभा से चुना व भी लड़वा चुका है। बावजूद पुलिस उसे नहीं खोज सकी।
10-10 पुलिस कप्तान बदल गये
सुरेश सिंह की मर्डर के समय रविकांत धान धनबाद एसपी थे। श्री धान के बाद जतिन नरवाल, अनूप टी मैथ्यू, हेमंत टोप्पो व राकेश बसंल जिले के एसपी बने। इसके बाद धनबाद जिला को अपग्रेड कर एसएसपी, सिटी एसपी व रुरल एसपी का पोस्ट स्वीकृत किया गया। सुरेंद्र कुमार झा एसएसपी बने, उनके बाद मनोज रतन चोथे, किशोर कौशल, अखिलेश बी वारियर व अभी अशीम विक्रांत मिंज धनबाद से एसपी बने लेकिन शशि का पता नहीं चल पाया। केस के आधा दर्जन आइओ भी बदल चुके हैं।
मोस्ट वांटेड शशि सिंह
कोयला राजधानी धनबाद और यूपी के बलिया में शशि किसी परिचय का मोहताज नहीं है।शशि दिवंगत झरिया के चर्चित सूरजदेव सिंह के भतीजे हैं। शशि के पिता रामधीर सिंह भी यूपी के बलिया जिला परिषद के चेयरमैन रह चुके हैं। फिलहाल धनबाद के विनोद सिंह मर्डर केस में उम्र कैद की सजा के बाद रांची के होटवार जेल में बंद हैं। शशि की मां इंदु देवी धनबाद नगर निगम की मेयर रह चुकी हैं। राजनीतिक रूप से शशि का फैमिली काफी मजबूत है। शशि की चाची सह मौसी दो-दो बार झरिया की एमएलए रह चुकी हैं। शशि के चचेरे भाई संजीव सिंह भी झरिया एमएलए रह चुके हैं। संजीव अभी अपने चचेरे भाई एक्स डिप्टी मेयर नीरज मर्डर केस में 43 माह से धनबाद जेल में हैं।
दो-दो बार झरिया विधानसभा कांग्रेस के टिकट पर लड़ा चुनाव लड़े थे सुरेश
कोल बिजनस में कोयला राजधानी धनबाद ही नहीं कोलकाता से लेकर वाराणसी की कोयला मंडियों में कोल किंह सुरेश सिंह का सिक्का चलता था। धनबाद जिला कांग्रेस के कैशियर रहे सुरेश सिंह 2005 और 2009 में झरिया विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा। 2009 में तीन हजार कुछ वोटों के अंतर से वह चुनाव हार गये थे। दोनों चुनाव में कुंती देवी ने उन्हें पराजित किया था।