Jharkhand : IAS अफसर विनय कुमार चौबे व संयुक्त आयुक्त उत्पाद गजेंद्र सिंह सस्पेंड
झारखंड में भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत जेल भेजे गए आईएएस विनय कुमार चौबे व संयुक्त आयुक्त उत्पाद गजेंद्र सिंह सहित चारों ही अफसरों को सस्पेंड कर दिया गया है। जेल भेजे जाने के नौवें दिन विभाग ने यह कार्रवाई की है। सभी को 20 मई से सस्पेंड किया गया है।

- भ्रष्टाचार के आरोप में कार्रवाई
- 38 करोड़ का सरकारी नुकसान
- हाई कोर्ट पहुंचे विनय कुमार चौबे
रांची। झारखंड में भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत जेल भेजे गए आईएएस विनय कुमार चौबे व संयुक्त आयुक्त उत्पाद गजेंद्र सिंह सहित चारों ही अफसरों को सस्पेंड कर दिया गया है। जेल भेजे जाने के नौवें दिन विभाग ने यह कार्रवाई की है। सभी को 20 मई से सस्पेंड किया गया है।
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उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग के पूर्व प्रधान सचिव सह झारखंड राज्य बिवरेजेज कॉरपोरेशन लिमिटेड के पूर्व महाप्रबंधक विनय कुमार चौबे, संयुक्त आयुक्त उत्पाद गजेंद्र सिंह, महाप्रबंधक वित्त सुधीर कुमार दास, पूर्व महाप्रबंधक वित्त सह अभियान सुधीर कुमार को सस्पेंड किया गया है। चारों ही आरोपितों को एसीबी ने 20 व 21 मई को पूछताछ के बाद अरेस्ट किया था। इसके बाद उन्हें एसीबी की रांची स्थित स्पेशल कोर्ट में प्रस्तुत किया गया था, जहां से वे न्यायिक हिरासत में भेजे गये थे। गिरफ्तारी के समय आईएएस विनय कुमार चौबे पंचायती राज विभाग के प्रधान सचिव थे।
रिमांड के खिलाफ विनय चौबे पहुंचे हाई कोर्ट
शराब घोटाला मामले में आरोपित आईएएस अफसर विनय कुमार चौबे ने एसीबी कोर्ट के दो दिनों के रिमांड पर दिए जाने के खिलाफ झारखंड हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की है। उनकी ओर से रिमांड पर दिए जाने के आदेश को चुनौती दी गयी है।याचिका में कहा गया है कि एसीबी ने जिस दिन प्राथमिकी दर्ज की, उसी दिन उनसे पूछताछ के बाद गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया। इसके बाद एसीबी ने कोर्ट में रिमांड में लेने क आवेदन दिया। एसीबी के इस आवेदन का विरोध किया गया।
एसीबी ने पूछताछ के बाद ही उन्हें गिरफ्तार किया था इसके बाद उन्हें रिमांड पर लेने की जरूरत नहीं थी। प्राथमिकी दर्ज करने के दिन ही कोर्ट में पेश किए जाने से यह प्रतीत होता है कि एसीबी की पूछताछ पूरी हो गयी थी। ऐसे में उन्हें रिमांड पर लेने का आदेश देना उचित नहीं है।
यह है मामला
एसीबी ने 20 मई को आईएएस विनय कुमार चौबे व संयुक्त आयुक्त उत्पाद गजेंद्र सिंह को अरेस्ट किया था। बाद में उन्हें न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया था। इस मामले में दोनों अफसरों पर पद का दुरुपयोग करने और सरकारी खजाने को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाया गया है।
यह है पूरा मामला
वर्ष 2021 के अंतिम दिनों में राज्य के शराब बिजनसमैन के बीच यह चर्चा शुरू हुई कि 2022-23 से नयी शराब नीति आने वाली है। इसमें छत्तीसगढ़ शराब सिंडिकेट का दबदबा रहेगा। इन्हीं चर्चाओं के बीच उत्पाद विभाग ने छत्तीसगढ़ स्टेट मार्केटिंग लिमिटेड (सीएसएमएल) को झारखंड में शराब के राजस्व बढ़ाने के लिए सलाहकार नियुक्त किया गया। उत्पाद नीति बनाने में सलाह देने के लिए सरकार ने अरूणपति त्रिपाठी की फीस 1.25 करोड़ रुपये निर्धारित किया। नयी उत्पाद नीति बनाने के बाद उसे राजस्व पर्षद सदस्य के पास सहमति के लिए भेजी गयी। उस समय अमरेंद्र प्रसाद सिंह राजस्व पर्षद सदस्य थे।
उन्होंने उत्पाद नीति पर अपनी असहमति जताते हुए कई मामलों में बदलाव लाने का सुझाव दिया। साथ ही यह टिप्पणी भी कि जिस कंपनी को राजस्व बढ़ाने के लिए सलाहकार नियुक्त किया गया, वह अपने राज्य में शराब का राजस्व नहीं बढ़ा पा रही है। झारखंड में शराब के राजस्व का ग्रोथ, छत्तीसगढ़ से ज्यादा है. ऐसे में वह कंपनी झारखंड में राजस्व बढ़ाने के लिए क्या सलाह देगी, ये समझ से परे है। राजस्व पर्षद सदस्य द्वारा दिये गये सुझाव को आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए राज्य सरकार ने नयी उत्पाद नीति की घोषणा की। नयी नीति के घोषणा के साथ ही छत्तीसगढ़ शराब सिंडिकेट का झारखंड में शराब के व्यापार पर कब्जा हो गया। टेंडर में लगायी गयी शर्तों के मद्देनजर थोक व्यापार इशिता और ओमसाई नाम की कंपनियों के हाथों चला गया।
शराब के राजस्व पर नियंत्रण बनाये रखने के लिए बोतलों को लगाया जाने वाले होलोग्राम बनाने का काम भी छत्तीसगढ़ सिंडिकेट में शामिल प्रिज्म नाम की कंपनी को दे दिया गया। सरकार द्वारा चलायी जाने वाली खुदरा शराब दुकानों में मैनपावर सप्लाई का काम भी छत्तीसगढ़ की कंपनियों को मिला। नयी उत्पाद नीति की वजह से सबसे पहले देशी शराब बनाने वाली कंपनियां प्रभावित हुईं। 2022-23 से पहले झारखंड में देशी शराब प्लास्टिक के बोतल में बेचने का नियम था। लेकिन छत्तीसगढ़ सिंडिकेट ने प्लास्टिक के बदले शीशे की बोतल में देसी शराब बेचने का नियम लागू करवा दिया।
इससे झारखंड में देसी शराब के बॉलिंग प्लांट बंद हो गये। इसके बाद छत्तीसगढ़ शराब सिंडिकेट ने छत्तीसगढ़ में पड़े देसी शराब के स्टॉक को झारखंड में बेचा। इसके बाद झारखंड के देसी शराब बनाने वाली कंपनियों से मिल कर पार्टनशिप करने की कोशिश की। लेकिन झारखंड की ज्यादातर कंपनियां इसके लिए तैयार नहीं हुई। इन कंपनियों को उत्पाद विभाग के अधिकारियों से मिल कर किसी ना किसी तरह परेशान किया जाता है। इस बीच छत्तीसगढ़ ईडी द्वारा छत्तीसगढ़ शराब घोटाले में अरूण पति त्रिपाठी व अन्य को अभियुक्त बनाये जाने के बाद शराब सिंडिकेट के कुछ लोग झारखंड से चले गये। जबकि सिंडिकेट की कुछ कंपनियों के साथ किये गये एकरारनामे को सरकार ने रद्द कर दिया।
संबंधित विभाग ने गिरफ्तारी की तिथि से ही चारों ही आरोपितों को सस्पेंड किया है। सभी आरोपितों पर पद का दुरुपयोग कर नियमों को ताक पर रखकर अपने पसंदीदा प्लेसमेंट एजेंसियों को फर्जी बैंक गारंटी देने के बावजूद ठेका देने का आरोप है। इससे राज्य सरकार को 38 करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचा है।