एलजेपी का नेशनल प्रसिडेंट मैं, किसी बागी एमपी को मिनिस्टर को बनाया मंत्री तो जायेंगे कोर्ट: चिराग

चिराग पासवान ने कहा है कि वह एलजेपी के नेशनल प्रसिडेंट हैं। यदि मेरे चाचा पशुपति कुमार पारस को एलजेपी एमपी के तौर पर मिनिस्टर बनाया जाता है तो वे कोर्ट जायेंगे। हालांकि उन्हें नहीं लगता कि पीएम ऐसा करेंगे। लेकिन अगर ऐसा हुआ तो मैं राजनीतिक और कानूनी स्तर पर लड़ाई लड़ने को तैयार हूं।

एलजेपी का नेशनल प्रसिडेंट मैं, किसी बागी एमपी को मिनिस्टर को बनाया मंत्री तो जायेंगे कोर्ट: चिराग

पटना। चिराग पासवान ने कहा है कि वह एलजेपी के नेशनल प्रसिडेंट हैं। यदि मेरे चाचा पशुपति कुमार पारस को एलजेपी एमपी के तौर पर मिनिस्टर बनाया जाता है तो वे कोर्ट जायेंगे। हालांकि उन्हें नहीं लगता कि पीएम ऐसा करेंगे। लेकिन अगर ऐसा हुआ तो मैं राजनीतिक और कानूनी स्तर पर लड़ाई लड़ने को तैयार हूं। चिराग मंगलवार को पटना में प्रेस कांफ्रेस में बोल रहे थे। 

उन्होंने अपने चाचा पशुपति कुमार पारस के केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल होने को लेकर शुभकामनाएं दी और कहा कि वे स्वतंत्र रूप से या किसी पार्टी में सदस्यता ग्रहण कर मंत्रिमंडल में शामिल होते हैं तो उन्हें कोई आपत्ति नहीं है।चिराग ने कहा कि पार्टी पशुपति कुमार पारस सहित एमपी की प्राथमिक सदस्यता रद्द कर चुकी है। पार्टी संविधान के तहत राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में लिये गये  निर्णय में उन्हें पार्टी से बर्खास्त किया गया है। इसकी सूचना भारत निर्वाचन आयोग को दी गयी है। चुनाव आयोग में आज भी लोजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में मेरा नाम है और पार्टी का एकमात्र सांसद मैं हूं। चिराग पासवान मंगलवार को पटना के श्रीकृष्णापुरी आवास पर प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित कर रहे थे। चिराग पासवान ने कहा कि पीएम को पत्र लिखकर एनडीए के घटक के रूप में पार्टी की स्थिति से अवगत भी कराया गया है।

नेशनल प्रसिडेंट हूं, मेरी पार्टी है, समर्थन मेरे पास 

उन्होंने दावा किया कि पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के 90 फीसदी सदस्य हमारे साथ हैं। 35 प्रदेश व केंद्र शासित क्षेत्र के अध्यक्षों में 33 व पार्टी के 137 प्रत्याशियों में 130 हमारे साथ हैं। अपने चाचा पशुपति कुमार पारस पर जनता के बीच भ्रम फैलाने, पार्टी व परिवार को तोड़ने व रामविलास पासवान के विचारों को रौंदने का आरोप लगाया। कहा, मेरी मां को, परिवार को व पार्टी को सबसे ज्यादा जरूरत चाचा के अभिभावक रूप में थी लेकिन उन्होंने सभी के साथ विश्वासघात किया और ऐसे लोग के साथ बैठ गये, जिन्होंने रामविलास पासवान के कद को उनके जीवन काल में ही कम करने के प्रयास किए और मरने के बाद उन्हें याद तक नहीं किया। आरजेडी के समर्थन पर उन्होंने कहा कि लोजपा चुनाव के दौरान राज्य में गठबंधन पर विचार करेगी, अभी वो वक्त नहीं है।

उन्होंने कहा कि रामविलास पासवान के विचारों को कुचलते हुए अलग गुट बनाया। तब तुरंत उन्हें निष्काषित किया गया। उनकी प्राथमिक सदस्यता खत्म की गई। इस बात को आयोग से बताया। मैं इस बात पर चुनौती दे सकता हूं। उन्होंने कहा कि वे लोग जनता को दिग्भ्रमित करते हैं । पार्टी के नाम पर उन्होंने आयोग में कोई क्लेम नहीं किया, खुद को राष्ट्रीय अध्यक्ष नहीं बताया। राष्ट्रीय कार्यकारिणी में कौन लोग थे? 75 मेम्बर्स की हमारी राष्ट्रीय कार्यकारिणी है। इसमें 66 लोग हमारे साथ थे। सचिव भी हमारे साथ हैं। प्रदेश अध्यक्ष भी हमारे साथ। सभी के एफिडेविट हमारे पास है। कोई आयोग या कोर्ट में चुनौती देगा तो जवाब मिलेगा।

रामविलास पासवान का था अकेले चुनाव लड़ने का फैसला

चिराग ने कहा कि हमारे पिता बीमार होने के कारण राष्ट्रीय अध्यक्ष पद छोड़ा था। मेरा चुनाव लोकतांत्रिक तरीके से हुआ था। राष्ट्रीय अध्यक्ष रामविलास जी ने ही पारस को हटाया और प्रिंस को जिम्मेदारी दी थी। अब चाचा हम पर आरोप लगा रहे हैं। पिता जी ही चाहते थे कि पार्टी अकेले चुनाव लड़े। उनको गये अभी नौ महीने भी नहीं हुए की अपनी महत्वाकांक्षा के लिए चाचा उस नीतीश जी के साथ खड़े हो गए, जिन्होंने हमारी पार्टी को कई बार तोड़ा, पिता जी को आगे बढ़ने नहीं दिया। हमारे नेता की राजनीतिक हत्या की कोशिश वे करते रहे। अब चाचा उन्हीं की गोद मे जाकर बैठ गये। सहानुभूति और दिखावे के लिए अपने भाई को याद कर रहे हैं। जब हॉस्पिटल में पिता एडमिट थे तो प्रसिडेंट से लेकर देश के बड़े नेताओं ने उनका हाल-चाल पूछा तब नीतीश जी ने तंज कसा था। कई बार उन्होंने मेरे पिता का अपमान किया। 
चिराग ने कहा कि जयंती पर कल पीएम और अमित शाह ने पिताजी को याद किया, लेकिन एक मात्र नीतीश और उनके दल ने याद नहीं किया। इस तरह का काम वो हमेशा करते रहे हैं।जन्मदिन पर भी उन्होंने विश नहीं किया। मरने के बाद भी श्रद्धांजलि तक नहीं दी। क्या ऐसे में बिहार के दलित, शोषित, वंचित लोग उन्हें माफ कर पायेंगे।

मिनिस्टर की लालसा नहीं, लड़ रहा 12 करोड़ बिहारियों की लड़ाई

उन्होंने कहा कि हाजीपुर की जनता चाचा को जवाब देगी। जब जिंदा रहते मेरे पिता ने कोई समझौता नहीं किया तो उन्मके मरने के बाद भी मैं किसी भी परिस्थिति में समझौता नहीं करूंगा। जिस दिन हम 243 पर चुनाव लड़ेंगे तो वोट प्रतिशत 12- 15 प्रतिशत होगा। नीतीश जी को हर उस व्यक्ति से तकलीफ है जो आगे बढ़ना चाहता है। भीमराव अंबेडकर पर प्रतिमा माला चढ़ना से रोका गया, एक ही आदमी को जाने देते। दलितों के आगे बढ़ने से नीतीश जी को दिक्कत है। मैं धारा के विपरीत चल रहा हूं। मुझे 15 सीट दे रहे थे। इस 15 में वीणा देवी, पारस, प्रिंस के लोग जीत कर नहीं आ पाते। मंत्री बनने की लालसा में पार्टी को धोखा दिया, परिवार और पार्टी को धोखा दिया। मेरे लिए मंत्री पद मायने नहीं रखता है। मेरी लड़ाई बिहारी अस्मिता की है। 12 करोड़ बिहारियों के लिए है। यहां एक अस्पताल नही है जो वहां अपना इलाज नहीं कर सकते, कैसा विकास किया कि उन्हें चार्टर्ड प्लेन से दिल्ली जाना पड़ता है। आप रोजगार, IT के मुद्दे पर बात नहीं करता है।