सुप्रीम कोर्ट ने मोदी गवर्नमेंट को दी क्लीन चिट,नोटबंदी का फैसला सही था, गवर्नमेंट ने ली थी RBI से सलाह 

सुप्रीम कोर्ट ने  सेंट्रल की मोदी गवर्नमेंट की ओर से 2016 में लिये गये नोटबंदी के फैसले को सही ठहराया है। पांच जजों की बेंच ने इस मामले में सेंट्रल गवर्नमेंट को क्लीन चिट दी है। 

सुप्रीम कोर्ट ने मोदी गवर्नमेंट को दी क्लीन चिट,नोटबंदी का फैसला सही था, गवर्नमेंट ने ली थी RBI से सलाह 

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने  सेंट्रल की मोदी गवर्नमेंट की ओर से 2016 में लिये गये नोटबंदी के फैसले को सही ठहराया है। पांच जजों की बेंच ने इस मामले में सेंट्रल गवर्नमेंट को क्लीन चिट दी है। 

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सुप्रीम कोर्ट ने नोटबंदी के खिलाफ दायर 58 याचिकाओं को खारिज करते हुए कहा कि रिकॉर्ड से यह बात साफ है कि गवर्नमेंट ने इस मामले में RBI से समुचित विचार विमर्श किया था। छह महीने तक दोनों के बीच विचार हुआ था। इसके बाद ही यह फैसला लिया गया था। ऐसे में सरकार के इस फैसले को सही माना जाता है। कोर्ट ने कहा कि आरबीआई क्ट के तहत नोटबंदी का अधिकार सरकार के पास है। उसे इससे रोका नहीं जा सकता। इससे पहले भी देश में इसी नियम के तहत दो बार नोटबंदी की जा चुकी है, यह तीसरा मौका था।

हालांकि पांच जजों की बेंच में से जस्टिस बीवी नागरत्ना का मत अलग था। उन्होंने इस पर कुछ सवाल उठाए। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले केसाथ ही नोटबंदी को चुनौती देनेवाली सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया है। इस बेंच की अगुवाई कर रहे जस्टिस अब्दुल नजीर चार जनवरी को रिटायर होनेवाले हैं। इस तरह अपनी रिटायरमेंट से ठीक दो दिन पहले उन्होंने अहम फैसला सुनाया है।
उल्लेखनीय है कि कांग्रेस लीडरपी चिदंबरम समेत कई लोगों ने याचिका डालकर कहा था कि नोटबंदी गलत और त्रुटिपूर्ण फैसला है। नोटबंदी के खिलाफ दायर याचिकाओं मेंकहा गया था कि इससे अर्थव्यवस्था पर असर हुआ। तमाम लोगोंं को इससे परेशानी उठानी पड़ी। सरकार ने कोर्ट में सुनवाई के दौरान अपना रिकॉर्ड भी पेश किया। इसके मुताबिक सरकार और आरबीआई के बीच फरवरी से ही नोटबंदी को लेकर बात चल रही थी।
नोटबंदी के खिलाफ दायर याचिकाओं में मांग की गई थी कि यह प्रक्रिया असंवैधानिक थी। इसलिए इस फैसले को खारिज कर दिया जाए। हालांकि कोर्ट में लंबी चली बहस के बाद जजों नेयह माना कि सरकार नेइस फैसले में किसी नियम का उल्लंघन नहीं किया।  कोर्ट कहा कि इस मामले में फैसला लेने से पहले सरकार और आरबीआई के बीच लगातार छह महीने तक विचार विमर्श हुआ था। इसके बाद ही इस पर फैसला हुआ था। कोर्ट ने साफ कहा कि नोटबंदी पर अकेले आरबीआई या फिर सरकार फैसला नहीं ले सकते हैं। ऐसेमेंजब दोनों के बीच विमर्श हुआ था तो फिर यह फैसला गलत नहीं था।