सेंट्रल इनर्जी मिनिस्ट्री ने झारखंड गवर्नमेंट के आरबीआइ अकाउंट से काटे 714 करोड़
सेंट्रल इनर्जी मिनिस्ट्री ने झारखंड गवर्नमेंट के आरबीआइ अकाउंट से 714 करोड़ रुपये काट लिये हैं। मिनिस्ट्री ने यह राशि दामोदर घाटी निगम (डीवीसी) की बकाया राशि की दूसरी किश्त के रूप में काटी है।
- झारखंड सरकार ने पैसे नहीं काटने का किया था अनुरोध
- मिनिसिट्री ने यह राशि डीवीसी की बकाया राशि की दूसरी किश्त के रूप में काटी
रांची।सेंट्रल इनर्जी मिनिस्ट्री ने झारखंड गवर्नमेंट के आरबीआइ अकाउंट से 714 करोड़ रुपये काट लिये हैं। मिनिस्ट्री ने यह राशि दामोदर घाटी निगम (डीवीसी) की बकाया राशि की दूसरी किश्त के रूप में काटी है। झारखंड सरकार ने मंगलवार को मिनिस्ट्री से आग्रह कर आरबीआइ अकाउंट से पैसे नहीं काटने का अनुरोध किया था। मिनिस्ट्री ने स्टेट गवर्नमेंट का अनुोरध ठुकरा दिया है।
उल्लेखनीय है कि एक समझौते के तहत बिजली का पेमेंट निर्धारित अवधि में प्राप्त नहीं होने पर आरबीआइ सीधे झारखंड सरकार के हिस्से की राशि काटकर ऊर्जा विभाग को दे देता है। इसके बाद पिछले सप्ताह हुई कैबिनेट की बैठक में सरकार ने यह निर्णय लिया कि वह इस समझौते से अलग हो जायेगी। सरकार ने ऊर्जा मंत्रालय से अनुरोध करते हुए बिजली बिल का बकाया के लिए सीधे आरबीआइ खाते से पैसे नहीं काटने का अनुरोध किया था। केंद्रीय विद्युत मंत्रालय के सचिव संजीव एन. सहाय की ओर से आरबीआइ गर्वनर को डीओ लेटर लिखा गया था। इसमें कहा था कि त्रिपक्षीय समझौते के अंतर्गत झारखंड सरकार के खाते से डीवीसी का बकाया 2114.18 करोड़ वसूलने के लिए 714 करोड़ काटकर केंद्र सरकार के खाते में जमा कर दिये जायें।इस लेटर के बाद आरबीआअ की ओर से कार्रवाई की गयी है।
उल्लेखनीयहै कि समझौते की शर्तों के अंतर्गत पहली किस्त अक्तूबर 2020 में 1417.50 करोड़ रुपये काटी गयी थी। इसके बाद जेबीवीएनएल की ओर से बका। इसमें 20 दिसंबर तक का समय दिया गया था।लेटर में कहा गया है कि डीवीसी की ओर से जेबीवीएनएल को बिजली की आपूर्ति की जाती है। ये आपूर्ति साल 2015 और 2017 में दोनों के बीच बिजली खरीदने के लिए जो समझौता हुआ था, उसके तहत ही की जाती है। लेकिन जेबीवीएनएल ने जो बिजली खरीदी,उसका नियमित रूप से भुगतान नहीं कर रहा है।इ ससे 30 नवंबर 2020 तक जेबीवीएनएल पर डीवीसी का टोटल बकाया 4949.56 करोड़ हो गया है।
त्रिपक्षीय समझौता
भारत सरकार के ऊर्जा मंत्रालय, झारखंड सरकार और आरबीआइ के बीच 27 अप्रैल 2017 को त्रिपक्षीय समझौता हुआ था। ये समझौता खासकर केंद्रीय उपक्रमों जैसे कि बिजली उत्पादन करने वाली कंपनियों को पेंमेंटगारंटी के लिए ही किया गया था। समझौते के तहत शर्त थी कि जो भी बिल होगा, उसकी तारीख से 60 दिन या रिसिप्ट देने के 45 दिन के अंदर भुगतान नहीं हुआ. तो केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय बकाये रकम को वसूलमने के लिए राज्य सरकार के आरबीआई खाते से पैसे काटने के लिए आरबीआइ डीओ लेटर जारी करेगा।
त्रिपक्षीय समझौते को एकतरफा बताकर झारखंड हुआ था बाहर
झारखंड कैबिनेट की छह जनवरी को बैठक हुई थी. बैठक में इस समझौते से झारखंड सरकार की ओर से बाहर निकलने कर फैसला लिया गया था। झारखंड सरकार ने बैठक से बाहर होते हुए कहा था कि अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, महिलाओं, 15वें वित्त आयोग के तहत के अलावा संविधान के तहत जो राशि मिलती है, उससे ही बकाये की वसूली की गयी। इससे राज्य के विकास और जनता पर इसका असर पड़ा है। झारखंड सरकार समझौते को एकतरफा बताते हुए इससे बाहर होने का फैसला लिया था। वहीं केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय ने छह जनवरी को ही बकाये की वसूली के लिए लेटर जारी किया था।