सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला- पिता के साथ संबंध नहीं रखने वाली बेटी का उसकी संपत्ति पर अधिकार नहीं
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि जो भी बेटी अपने पिता के साथ किसी भी प्रकार का रिश्ता नहीं रखना चाहती है तो वह शिक्षा या शादी के लिए उनसे किसी भी रकम की हकदार नहीं है। ऐसी बेटी को उसके पिता की संपत्ति पर कोई अधिकार नहीं है।
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि जो भी बेटी अपने पिता के साथ किसी भी प्रकार का रिश्ता नहीं रखना चाहती है तो वह शिक्षा या शादी के लिए उनसे किसी भी रकम की हकदार नहीं है। ऐसी बेटी को उसके पिता की संपत्ति पर कोई अधिकार नहीं है।
झारखंड: विशिष्ट गणमान्य, लोगों को बॉडीगार्ड की प्रतिनियुक्ति के लिए नये सिरे से बनी स्टेट लेवल कमेटी
जस्टिस एमएम सुंदरेश और जस्टिस संजय किशन कौल की बेंच ने डाइवोर्स के एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि यदि बेटी की उम्र लगभग 20 वर्ष है। वह अपने पिता के साथ कोई संबंध नहीं रखना चाहती तो उसको अपनी शिक्षा और विवाह में होने वाले खर्च के लिए पिता से रकम की मांग करने का कोई अधिकार नहीं है।
इस मामले में याचिकाकर्ता ने अपनी वाइफ से अलग होने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। सुप्रीम कोर्ट ने डाइवोर्स की अर्जी मंजूर कर ली। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दलीलों से पता चलता है कि वाइफ अपने भाई के साथ रहती है। हसबैंड उसकी और बेटी की शिक्षा का खर्च वहन कर रहा है। हसबैंड की ओर से पत्नी को अंतरिम गुजारा भत्ता के तौर पर आठ हजार रुपये प्रतिमाह दिये जा रहे हैं।
कोर्ट ने कहा कि हसबैंड सभी दावों के रूप में वाइफ को एकमुश्त 10 लाख रुपये भी दे सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में यह भी कहा कि यदि मां अपनी बेटी की मदद करती है तो उक्त रकम उसके पास रहेगी। हसबैंड ने डिस्ट्रिक कोर्ट में डाइवोर्स की अर्जी दी थी जिसको मंजूर कर लिया गया था। वाइफ की ओर से डिस्ट्रिक कोर्ट के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी।बाद में हाईकोर्ट ने डिस्ट्रिक कोर्ट के फैसले को खारिज कर दिया था। इसके बाद हसबैंड ने सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगाई थी। सुप्रीम कोर्ट की ओर से मध्यस्थता केंद्र ने हसबैंड-वाइफ में सुलह कराने की कोशिश की थी लेकिन यह प्रयास सफल नहीं हो सका।