Jharkhand: NGT ने CCL पर लगाया एक करोड़ फाइन,ओवर बर्डन डालकर पर्यावरण को नुकसान पहुंचाया
एनजीटी ने पर्यावरण क्षतिपूर्ति के लिए सेंट्रल कोलफील्ड्स लिमिटेड (सीसीएल) ढोरी एरिया पर एक करोड़ का फाइन लगाया है।
- PMO में की गयी थी कंपलेन
- माइनिंग के लिए हजारों पेड़ काटने तथा ओबी गिराने से दामोदर नदी को नुकसान पहुंचाने का आरोप
- 20 वर्ष पहले पहुंचाया पर्यावरण को नुकसान
- अभी बंद है माइनिंग, अब लगाया गया फाइन
रांची। एनजीटी ने पर्यावरण क्षतिपूर्ति के लिए सेंट्रल कोलफील्ड्स लिमिटेड (सीसीएल) ढोरी एरिया पर एक करोड़ का फाइन लगाया है। एनजीटी ने कंपनी को डेढ़ महीने के अंदर फाइन जमा करने का निर्देश दिया है। एक कंपलेन के आवेदन पर केंद्रीय और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की जांच के बाद एनजीटी ने यह कार्रवाई की है।
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तय समय में फाइन नहीं भरने पर और दंड लगाने की चेतावनी दी। इस संबंध में ढोरी एरिया के जीएम रंजय सिन्हा ने कहा कि फिलहाल इस आदेश की जानकारी मुझे नहीं है।आशीष पाल ने पांच साल पहले राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में सीसीएलके खिलाफ कंपलेन किया था। आशीष ने पीएमओ से लेकर कई जगह कंपलेन की थी।
2019 में की गयी थी कंपलेन
आशीष ने वर्ष 2019 में राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में कंपलेन की थी। तीन-चार बार कंपलेन के बाद जांच हुई। सीसीएल पर फाइन भी लगाया गया, लेकिन मैनेजमेंट ने फाइन नहीं भरा। इसके बाद एनजीटी तक कंपलेन पहुंची। तब एनजीटी ने संज्ञान लिया। वन पर्यावरण मंत्रालय, झारखंड सरकार, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी), झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (जेएसपीसीबी) और जिला मजिस्ट्रेट, बोकारो की संयुक्त समिति का गठन कर जांच करायी गयी। समिति ने विस्तृत जांच रिपोर्ट सीपीसीबी को सौंपी, जिसमें सीसीएल पर लगाये गये आरोप सही पायेगये। समिति ने पाया कि सीसीएल मैनेजमेंट की लापरवाही से जहां जल, जंगल और जमीन को नुकसान पहुंचा। वहीं लोगों के स्वास्थ्य पर भी बुरा असर पड़ा। हालांकि लंबे समय से पिछरी माइंस बंद है।
पर्यावरण को पहुंचाया गया नुकसान
संयुक्त जांच समिति ने अपनी सिफारिश में कहा कि सीसीएल द्वारा माइनिंगकार्यों के दौरान दामोदर नदी के तल पर ओवर बर्डन डाला गया। पर्यावरण को भी भारी क्षति पहुंचाई गयी। समिति ने अपनी रिपोर्ट में माइनिंग एरिया का दौरा करने के क्रम में ली गयीफोटो को भी शामिल किया। बताया गया कि ओवर बर्डन को नदी किनारे ही डंप कर देने से नदी एरिया में 25-30 मीटर तक अतिक्रमण हो गया। हालांकि, कहा गया कि यह नुकसान 20 साल पहले किया गया। फिलहाल यहां माइनिंग कार्य बंद है।
एनजीटी की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि सीसीएल मैनेजमेंट का दावा है कि 1972 में राष्ट्रीयकरण के पहले श्री राम सिंह एंड कंपनी द्वारा नदी के तल में ओवर वर्डन डंप किया गया था। परिवादी ने बताया था कि सीसीएल द्वारा परिवादी के गांव पेटरवार ब्लॉक के पिछरी दक्षिण में दामोदर नदी क्षेत्र में माइनिंग किया गया। नदी से सटी गैर मजरूआ जमीन खाता संख्या 237, प्लाट संख्या 2099, जो सर्वे खतियान में जंगल-झाड़ी के रूप में दर्ज है, वहां अवैध रूप से लाखों टन कोयला माइनिंग किया गया। माइनिंग के लिए सखुआ, आम, बबूल, पीपल, कदम, अर्जुन, केंद और महुआ के हजारों पेड़ काट दिये गये। यहां से निकलने वाले पत्थर, मलबा, ओवर बर्डन (ओबी) जैसे अपशिष्टों को नदी में डाल दिया गया। इससे नदी के बहाव क्षेत्र में भी परिवर्तन हो गया। इससे पर्यावरण को भारी नुकसान हुआ।
परिवादी ने बताया था कि दामोदर नदी आसपास के सैकड़ों गांवों की जीवनरेखा है। इसके पानी का उपयोग कृषि के साथ पीने के लिए किया जाता है। सीसीएल द्वारा इसे नुकसान पहुंचाने से पारिस्थितिकी पर प्रतिकूल असर पड़ा। स्थानीय निवासियों के स्वास्थ्य पर भी असर पड़ा। राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में की गई शिकायत पर एनजीटी ने पिछले महीने संज्ञान लिया और सीसीएल मैनेमेंट को एक करोड़ रुपये फाइन भरने का आदेश दिया।