जज उत्तम आनंद मौत मामलाः CBI की जांच से झारखंड हाइकोर्ट असंतुष्ट, कहा – यह सुनियोजित ढंग से किया गया मर्डर है
धनबाद के जज जज उत्तम आनंद की मौत मामले में शुक्रवार को झारखंड हाइकोर्ट में सुनवाई हुई। हाई कोर्ट ने सीबीआई की दलील पर कड़ी नाराजगी जताते हुए कहा कि यह घटना मोबाइल चोरी के कारण नहीं हुई है. बल्कि यह एक सुनियोजित अपराध है। कोर्ट सीबीआई को अगली सुनवाई के दिन इस मामले में गिरफ्तार अभियुक्तों की नारको टेस्ट रिपोर्ट समेत अन्य रिपोर्ट मांगी है।
- मामले की अगली सुनवाई 21 जनवरी को
रांची। धनबाद के जज जज उत्तम आनंद की मौत मामले में शुक्रवार को झारखंड हाइकोर्ट में सुनवाई हुई। हाई कोर्ट ने सीबीआई की दलील पर कड़ी नाराजगी जताते हुए कहा कि यह घटना मोबाइल चोरी के कारण नहीं हुई है. बल्कि यह एक सुनियोजित अपराध है। कोर्ट सीबीआई को अगली सुनवाई के दिन इस मामले में गिरफ्तार अभियुक्तों की नारको टेस्ट रिपोर्ट समेत अन्य रिपोर्ट मांगी है।
हाइ कोर्ट ने सीबीआई की ओर से पेश की गई थ्योरी को खारिज कर दिया। चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन व जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की बेंचने मामले की सुनवाई के दौरान सीबीआई की ओर से उपस्थित एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऑफ इंडिया एसबी राजू को घटना का सीसीटीवी फुटेज दिखाया।सीटीवी फुटेज दिखाते हुए बेंच ने श्री राजू से कई सवाल पूछे. इसका उन्होंने संतोषजनक जवाब नहीं दिया।
मैन बिहाइंड मशीन का मामला बन गया
बेंच ने मौखिक रूप से कहा कि मैन बिहाइंड मशीन का मामला बन गया है। बेंच ने एक फिल्म के दृश्य का हवाला देते हुए बताया कि सीबीआई की मोबाइल लूट की थ्योरी में कोई सच्चाई नहीं है। यह मोबाइल लूट का मामला नहीं है। सीबीआई की मोबाइल लूट की थ्योरी में कोई दम नहीं है, क्योंकि घटना के सीसीटीवी फुटेज देखने के बाद स्पष्ट हो जाता है कि यह सुनियोजित मर्डर है। यदि यह मोबाइल लूट का मामला होता तो टेंपो से टक्कर होने के बाद आरोपी उसमें से उतरते और मोबाइल लेकर चलते बनते, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
मामले में कोई बड़ा षड्यंत्र है और षड्यंत्रकारी पर्दे के पीछे
बेंच ने कहा कि टक्कर मारने के बाद टैंपू रुका भी नहीं. इसलिए सीबीआई की कहानी में कोई सच्चाई नहीं है। बेंच ने कहा कि सीबीआई द्वारा अब तक की गयी जांच से वह संतुष्ट नहीं है। सीबीआई अब तक निष्कर्ष पर नहीं पहुंच सकी है। इस मामले में कोई बड़ा षड्यंत्र है और षड्यंत्रकारी पर्दे के पीछे है। ऐसा लगता है कि वह मामले को डाइवर्ट करने का प्रयास कर रहा है। दोनों आरोपी मोहरा जैसे हैं। बेंचने सीबीआई को अब तक की जांच से संबंधित सारे रिकॉर्ड, आरोपियों का नारको टेस्ट, ब्रेन मैपिंग सहित सारी रिपोर्ट सील बंद लिफाफे में प्रस्तुत करने का निर्देश दिया।अब इस मामले की अगली सुनवाई 21 जनवरी को होगी।
कोर्ट ने सीबीआई की चार्जशीट पर जतायी थी नाराजगी
पिछली सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए कहा था कि निराशाजनक है कि अभी तक कोई सकारात्मक परिणाम सामने नहीं आया है। सीबीआइ बार-बार अलग तरीके से जांच की बात कह रही है, लेकिन कोई नया एवीडेंस हाथ नहीं लगा है। लगता है इस मामले में अब सीबीआइ डायरेक्टर को ही बुलाकर जानकारी लेनी पड़ेगी। लगता है कि सीबीआइ कोई तुक्का लगा रही है, शायद कोई तीर निशाने पर लगेगा। कोर्ट ने पहले ही आगाह किया था कि इस मामले में समय बहुत महत्वपूर्ण है। समय बीतने पर यह मर्डर मिस्ट्री बन जायेगा। लेकिन डर है कि कहीं यह मामला मिस्ट्री अनएक्सप्लेन न बन जाए। सीबीआई के द्वारा दायर चार्जशीट पर नाराजगी जाहिर करते हुए फटकार लगाई थी।हाईकोर्ट ने कहा था कि कोर्टको अंधेरे में रखते हुए स्टेरियोटाइप चार्जशीट दाखिल की गई है। चार्जशीट में अंकित हत्या की धारा 302 का कोई प्रमाण नहीं। चार्जशीट दाखिल करने का मोटिव को कोर्ट ने गलत करार दिया था। कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि सीबीआई बाबुओं की तरह काम कर रही है।
दो आरोपियों से पूछताछ की दी गयी थी जानकारी
इससे पहले सीबीआई ने जांच रिपोर्ट हाईकोर्ट में पेश की थी. जिसे लेकर हाईकोर्ट ने कहा था कि इस रिपोर्ट में कुछ भी स्पष्ट नहीं हो रहा है। हाईकोर्ट ने सीबीआई और एसआईटी को स्पेसिफिक रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया था।हाईकोर्ट में हुई पिछली सुनवाई के दौरान सीबीआई के अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया था कि दो आरोपियों से पूछताछ की जा रही है। पूछताछ में कई संबंधित लोगों का संबंध पता चल रहा है, लेकिन इस बारे में कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी।पूर्व की सुनवाई में भी कोर्ट ने सीबीआइ जांच से अंसतुष्टि व्यक्त की थी. वहीं, पिछले सप्ताह हुई सुनवाई में कोर्ट ने कहा था कि कोर्ट को सीबीआइ पर संदेह नहीं है, लेकिन मामले में देरी हो रही है, जिससे अपराधियों को बचने का मौका मिलेगा। केस में अब तक कोई निष्कर्ष नहीं निकला है। जितना अधिक समय लगेगा उतना ही अधिक तथ्य ढूंढ़ने होंगे। इस दौरान सीबीआइ ने कोर्ट को बताया था कि अब तक मामले में दो सौ से अधिक लोगों से पूछताछ की गयी है।कोर्ट ने सरकार से कहा था कि आरोपियों के फिर से नार्को टेस्ट के लिए सुरक्षा के सख्त इंतजाम हों।
फ्लैश बैक
जज उत्तम आनंद वर्ष 2021 की 28 जुलाई से सुबह लगभग पांच बजे मॉर्निंग वॉक के लिए निकले थे। रणधीर वर्मा चौक के समीप ऑटो ने जज को धक्का मार दिया। वह बेहोश होकर गिर गये। घायल जज को SNMMCH ले जाया गया जहां डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। घर वापस नहीं आने पर पत्नी कीर्ति सिन्हा ने रजिस्ट्रार को फोन कर इसकी सूचना दी। रजिस्ट्रार ने मामले की सूचना एसएसपी धनबाद को दी, इसके बाद पुलिस महकमा जज को ढूंढने में लग गया था। इसके बाद उनके एक्सीडेंट होने का पता। पहले इसे सामान्य सड़क हादसा माना गया लेकिन सीसीटीवी फुटेज में एक ऑटो को जानबूझकर धक्का मारते दिखने पर सनसनी फैल गई। मामले में जज की वाइफ के कंपेलन पर धनबाद पुलिस स्टेशन ऑटो ड्राइवर के खिलाफ मर्डर की एफआईआर दर्ज की गई थी। पुलिस ने गिरिडीह से ऑटो ड्राइवर लखन वर्मा और उसके साथ बैठे राहुल वर्मा को अरेस्ट कर लिया।
सुप्रीम कोर्ट व हाई कोर्ट ने भी संज्ञान लिया
मामले में सुप्रीम कोर्ट व हाई कोर्ट ने भी संज्ञान लिया। मामले में झारखंड पुलिस और स्टेट गवर्नमेंट गंभीर हुई। एडीजी (ऑपरेशन) संजय आनंद लाठकर के नेतृत्व में एसआईटी गठित की गयी थी। एसआईटी को अब तक की जांच में सुनियोजित मर्डर से जुड़ा कोई एवीडेंस नहीं मिला था। पुलिस मामले में ऑटो ड्राइवर लखन वर्मा व उसके सहयोगी राहुल वर्मा को अरेस्ट कर जेल भेजा गया। जज को धक्का मारने वाला ऑ़टो भी बरामद कर लिया गया है। झारखंड सरकार ने 30 जुलाई को मामले की जांच सीबीआई से कराने की अनुशंसा की थी। इसके बाद सीबीआई नई दिल्ली स्पेशल क्राइम ब्रांच-1 ने चार अगस्त को केस को टेकओवर कर पांच अगस्त से जांच शुरू कर दिया है।
आरोपियों की हो चुकी है नार्कों टेस्ट व ब्रेन मैपिंग
सीबीआई ने ऑटो ड्राइवर लखन वर्मा और उसके साथी राहुल वर्मा को रिमांड पर लेकर पूछताछ की है। छह अगस्त के कोर्ट के आदेश के बाद सात अगस्त को सीबीआई दोनो आरोपितों को रिमांड पर ले गई थी। दोनों की साइ डिटेक्टर समेत अन्य जांच करायी जा चुकी है। 11 अगस्त को दोनों को वापस जेल भेज दिया गया था। सीबीआई की स्पेशल सेल ने नौ अगस्त को कोर्ट से दोनों आरोपीयों से सच्चाई पता करने के लिए नार्को टेस्ट,ब्रेन मैपिंग टेस्ट सहित चार अन्य टेस्ट कराने की अनुमति ली थी। नौ एवं 10 अगस्त को सिंफर के गेस्ट हाऊस सत्कार में राहुल और लखन का लाई डिटेक्टर टेस्ट ,ब्रेन इलेक्ट्रिकल आक्सीलेशन व अन्य टेस्ट किया गया था। टेस्ट में मिली जानकारी के बाद सीबीआई की टीम फॉरेंसिक एक्सपर्ट के साथ घटनास्थल पर आई थी। सीबीआई धनबाद रेलवे स्टेशन से घटनास्थल तक पहुंचने के तमाम रास्तों में लगे सीसीटीवी फुटेज को भी खंगाला था। परंतु अब तक सीबीआई मामले की गुत्थी नहीं सुलझा सकी है। सीबीआइ घटनास्थाल पर तीन बार क्राइम सीन रिक्रियेट की है। सीबीआई दोनों आरोपियों की अहमदाबाद में नार्कों टेस्ट व ब्रेन मैपिंग करायी है।दोनों की फिस से ब्रैन मैपिंग व अन्य जांच करायी जा रही है।
जज को जानबूझकर धक्का मारा लेकिन साजिश का नहीं चला पता
सीबीआइ अभी तक सीबीआई टक्कर मारने के पीछे की मंशा नहीं भांप पाई है। लखन और राहुल सीबीआई से भी बार-बार यही कह रहे हैं कि नशे में धुत्त रहने के कारण ऑटो रोड किनारे दौड़ रहे व्यक्ति की तरफ मुड़ गया, जिससे उन्हें टक्कर लग गई। हालांकि सीबीआई दोनों के बयान को अंतिम सत्य नहीं मान रहे हैं। सीबीआइ परिस्थितिजन्य और वैज्ञानिक साक्ष्यों से टीम घटना के तह तक पहुंचने का प्रयास कर रही है। दोनों के मोबाइल सीडीआर, घटनास्थल से मिले कॉल डंप, फोरेंसिक जांच के परिणाम के अलावा चिह्नित लोगों से लगातार हो रही पूछताछ के जरिए मामले में नये एंगल की तलाश हो रही है। दोनों आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की कर चुकी है। हाईकोर्ट सीबीआई जांच की मोनेटरिंग कर रही है। प्रत्येक सप्ताह सीबीआइ जांच की प्रगति रिपोर्ट हाई कोर्ट में पेश करती है। सीबीआइ की अब तक की जांच से हाई कोर्ट असंतुष्ट है। सीबीआई की ओर से हाई कोर्ट में बतायी गयी है कि जज को जानबूझकर धक्का मारा गया था। हालांकि इसके पीछे साजिश का अभी तक पता नहीं चल सका है।