नई दिल्ली: कांग्रेस में विवाद कंट्रोल करने व सुलह की कोशिश, लीडरशीप से नाराज नेताओं से मुलाकात करेंगी सोनिया गांधी

कांग्रेस में एक्टिव लीडरशीप और व्यापक संगठनात्मक बदलाव को लेकर चल रहे विवाद को नेताओं की नाराजगी दूर करने की कोशिश शुरु हो गयी है। मामले पर कांग्रेस प्रसिडेंट को लेटर लिखने वाले 23 नेताओं के ग्रुप में शामिल कुछ लीडर शनिवार को सोनिया गांधी से मुलाकात कर सकते हैं।

नई दिल्ली: कांग्रेस में विवाद कंट्रोल करने व सुलह की कोशिश, लीडरशीप से नाराज नेताओं से मुलाकात करेंगी सोनिया गांधी

नई दिल्ली। कांग्रेस में एक्टिव लीडरशीप और व्यापक संगठनात्मक बदलाव को लेकर चल रहे विवाद को नेताओं की नाराजगी दूर करने की कोशिश शुरु हो गयी है। मामले पर कांग्रेस प्रसिडेंट को लेटर लिखने वाले 23 नेताओं के ग्रुप में शामिल कुछ लीडर शनिवार को सोनिया गांधी से मुलाकात कर सकते हैं। बताया जाता है कि सोनिया गांधी के साथ उक्त लीडरों की मुलाकात की भूमिका तैयार करने में एमपी के एक्स सीएम कमलनाथ का अह रोल है। 19 अगस्त की इस प्रस्तावित बैठक में कमलनाथ भी शामिल होंगे। कमलनाथ ने कुछ दिनों पहले ही सोनिया से मुलाकात की थी।

कांग्रेस सोसेर्ज के अनुसार सोनिया से कुछ ऐसे लीडर भी मिल सकते हैं जो लंबे समय से पार्टी से नाराज चल रहे हैं, हालांकि वे लेटर पर साइन करने वाले नेताओं में शामिल नहीं हैं। इस ताजा घटनाक्रम में प्रियंका की भी अहम भूमिका मानी जा रही है। इन नेताओं की सोनिया गांधी से मुलाकात के बाद सुलह की गुंजाइश बढ़ सकती है।  मुलाकात के दौरान राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के उपस्थित रहने को लेकर अभी स्थिति स्पष्ट नहीं हुई है।
उल्लेखनीय है कि अगस्त महीने में गुलाम नबी आजाद, आनंद शर्मा और कपिल सिब्बल समेत कांग्रेस के 23 लीडरों ने सोनिया गांधी को पत्र लिखकर पार्टी के लिए एक्टिव प्रसिडेंट होने और व्यापक संगठनात्मक बदलाव करने की मांग की थी। इसे कांग्रेस के कई नेताओं ने पार्टी नेतृत्व और खासकर गांधी परिवार को चुनौती दिए जाने के तौर पर लिया। कई नेताओं ने गुलाम नबी आजाद समेत अन्य के खिलाफ कार्रवाई की मांग भी की।बिहार विधानसभा चुनाव और कुछ प्रदेशों के उप चुनावों में कांग्रेस के निराशाजनक प्रदर्शन के बाद भी, आजाद और सिब्बल ने पार्टी की कार्यशैली की खुलकर आलोचना की थी। पार्टी में व्यापक बदलाव की मांग की थी। सोनिया ने पार्टी के शीर्ष नेताओं के साथ बैठकों का सिलसिला शुरू करने का फैसला किया है। इन बैठकों का सिलसिला 19 दिसंबर से शुरू होगा। कांग्रेस के नये अध्यक्ष के चुनाव में घमासान को थामने के लिहाज से इस पहल को बेहद अहम माना जा रहा है।

सीधी बात का किया फैसला
पार्टी सूत्रों के अनुसार 19 दिसंबर से शुरू हो रही बैठक अगले कुछ दिनों तक चलेगी, जिसमें वरिष्ठ नेताओं और जी-23 गुट के तीन से चार नेताओं को न्योता भेजा गया है। इसके अलावा जिन राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं, उनके प्रभारी महासचिवों के साथ किसानों के मुद्दे पर चर्चा के लिए कुछ प्रमुख किसान नेताओं को भी बुलाया जा रहा है।

अलग अलग मुलाकातें 

नेताओं के साथ सोनिया की अलग-अलग मुलाकातें होंगी। माना जा रहा है कि कांग्रेस के नए अध्यक्ष के चुनाव की तारीख की घोषणासे पहले सोनिया संगठन चुनाव में उठापटक और विद्रोह जैसी स्थिति थामने के लिए सभी सीनीयर लीडरों को भरोसे में लेने का आखिरी प्रयास करेंगी। कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन और संसद का शीत सत्र कैंसिल करने के सरकार के फैसले पर भी इस दौरान मंत्रणा होगी।

राहुल को प्रसिडेंट बनाने की तैयारी 

कांग्रेस प्रसिडेंट का चुनाव जनवरी के लास्ट में प्रस्तावित है। अब तक के संकेतों से साफ है कि राहुल गांधी को दोबारा कांग्रेस प्रसिडेंट बनाने की तैयारी की जा रही है। चुनाव प्राधिकरण के प्रमुख मधुसूदन मिस्त्री संगठन चुनाव में वोट देने वाले एआइसीसी सदस्यों का डाटा बेस और पहचान पत्र लगभग तैयार कर चुके हैं। 

मात्र राहुल पर हो सकती है सहमति
बताया जाता है कि  सीनियर नेताओं ने यह भी साफ संदेश दे दिया है कि नेतृत्व के लिए खुद राहुल गांधी पूरी सक्रियता से सामने आते हैं तो वह स्वीकार्य होगा। लेकिन अगर वह अपनी ओर से किसी डमी कैंडिडेट को प्रसिडेंट पोस्ट के लिए आगे करते हैं तो वह स्वीकार्य नहीं होगा।ऐसी परिस्थिति में पार्टी टूट की हालत तक जा सकती है। ऐसी भी खबरें आईं थीं कि राहुल खुद प्रसिडेंट न बनकर अपने किसी पसंदीदा-लीडर को यह पद सौेप सकते हैं। अंसतुष्ट नेताओं ने चेताया कि अगर ऐसा होता है तो वे इसे चुनौती देंगे। इसके अलावा राहुल की टीम को लेकर भी विवाद है।
कमल नाथ सेतु की भूमिका में

बताया जाता है कि कमलनाथ ने नाराजा नेताओं को  साफ कर दिया कि वे गांधी परिवार के खिलाफ नहीं जायेंगे। लेकिन कांग्रेस के हित में उनके उठाए सवालों पर नेतृत्व से चर्चा कर रास्ता निकालने की पहल करेंगे। इसके बाद कमलनाथ ने सोनिया गांधी से मुलाकात कर इस मुद्दे पर मंत्रणा की थी। माना जा रहा है कि असंतुष्ट नेताओं और नेतृत्व के बीच सेतु की भूमिका निभा रहे कमल नाथ के साथ हुई चर्चा के बाद ही सोनिया गांधी ने वरिष्ठ नेताओं से संगठन चुनाव पर सीधी बातचीत का फैसला किया है।