मुजफ्फरपुर के शरद ने टोक्यो पैरालंपिक में जीता ब्रॉन्ज मेडल, 18 माह की उम्र में हो गया था पोलियो

देश के पैरा एथलीटों ने टोक्यो पैरालंपिक में कमाल किया है। मरियप्पन थंगावेलु ने जहां सिल्वर मेडल व बिहार के मुजफ्फरपुर के शरद कुमार ने ब्रॉन्ज मेडल जीत है। मरियप्पन ने पुरुषों की ऊंची कूद टी 63 स्पर्धा में 1.86 मीटर और शरद ने 1.83 मीटर की कूद लगाई। इसी के साथ टोक्यो पैरालंपिक में भारत के मेडल की संख्या 10 तक पहुंच गई है। 

मुजफ्फरपुर के शरद ने टोक्यो पैरालंपिक में जीता ब्रॉन्ज मेडल, 18 माह  की उम्र में हो गया था पोलियो
शरद कुमार (फाइल फोटो)।

दो बार एशियाई पैरा खेलों में चैंपियन रह चुके हैं शरद कुमार
वर्ल्ड चैंपियनशिप में सिल्वर मेडल भी है शरद कुमार के नाम

पटना। देश के पैरा एथलीटों ने टोक्यो पैरालंपिक में कमाल किया है। मरियप्पन थंगावेलु ने जहां सिल्वर मेडल व बिहार के मुजफ्फरपुर के शरद कुमार ने ब्रॉन्ज मेडल जीत है। मरियप्पन ने पुरुषों की ऊंची कूद टी 63 स्पर्धा में 1.86 मीटर और शरद ने 1.83 मीटर की कूद लगाई। इसी के साथ टोक्यो पैरालंपिक में भारत के मेडल की संख्या 10 तक पहुंच गई है। 

इस उपलब्धि पर पीएम नरेंद्र ने मरियप्पन और शरद कुमार को बधाई दी है। उन्होंने एक ट्वीट में लिखा-ऊंची और उंची उड़ान! मरियप्पन थंगावेलु निरंतरता और उत्कृष्टता के पर्याय हैं, रजत पदक जीतने पर उन्हें बधाई। भारत को उनके इस कारनामे पर गर्व है। अदम्य! शरद कुमार ने कांस्य पदक जीतकर हर भारतीय के चेहरे पर मुस्कान ला दी है। उनकी जीवन यात्रा कई लोगों को प्रेरित करेगी। उन्हें बधाई। 18 माह की उम्र में पोलियोग्रस्त हो गये थे शरद 
पैरालंपिक में कांस्य जीत मुजफ्फरपुर के मोतिपुर के रहने वाले शरद कुमार (29) 18 माह की उम्र में पोलियो ग्रस्त हो गये थे। शरद ने वर्ष 2018 में एशियन पैरा एथलीट में 1.9 मीटर हाईजम्प करके गोल्ड मेडल जीता था। 
 फाइनल से पहले रात भर रोते रहे शरद कुमार, पिता के कहने पर भगवद् गीता पढ़ी और....
इंडियन पैरा एथलीट शरद कुमार तोक्यो पैरालिंपिक टीप्रैकिट्स अभ्यास के दौरान चोटिल हो गये थे। लेकिन इस मुश्किल घड़ी में भगवद् गीता ने उनका साथ दिया और वह ब्रॉन्ज मेडल जीतने में सफल रहे।फाइनल से एक रात पहले शरद ने अपनी चोट को लेकर माता-पिता से बात की। शरद को सोमवार को घुटने में चोट लगी थी। शरद ने कहा कि ब्रॉन्ज मेडल जीतकर अच्छा लग रहा है। मुझे सोमवार को प्रैक्टिस के दौरान चोट लगी थी। मैं पूरी रात रोता रहा। नाम वापस लेने की सोच रहा था। मैंने कल रात अपने माता-पिता से बात की। मेरे पिता ने मुझे भगवद गीता पढ़ने को कहा और यह भी कहा कि जो मैं कर सकता हूं , उस पर ध्यान केंद्रित करूं न कि उस पर जो मेरे वश में नहीं है। 'मैंने चोट को भुलाकर हर कूद को जंग की तरह लिया। पदक सोने पे सुहागा रहा।दिल्ली के मॉडर्न स्कूल और किरोड़ीमल कॉलेज से से तालीम लेने वाले शरद ने जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी से इंटरनेशनल संबंधों में मास्टर्स डिग्री ली है ।दो बार एशियाई पैरा खेलों में चैंपियन और वर्ल्ड चैम्पियनशिप के रजत पदक विजेता शरद ने कहाकि 'बारि। दूसरे में स्पाइक्स पहनते हैं। मैं अफसरों से बात करने की कोशिश की कि स्पर्धा स्थगित की जानी चाहिए लेकिन अमेरिकी दोनों पैरों में स्पाइक्स पहने थे। इसलिए स्पर्धा पूरी कराई गई।'
शरद कुमार के घर पर माता-पिता एक दूसरे को मिठाई खिलाया

18 माह की उम्र में पोलियो का शिकार पैरा एथलीट शरद कुमार ने  पोलियोग्रस्त बायें पैर को पने शरीर का सबसे मजबूत हिस्सा बनाया और टोक्यो पैरालिंपिक में ऊंची छलांग लगाकर कांस्य पदक जीत लिया। ऊंची कूद की टी-63 स्पर्धा में कांस्य पदक विजेता शरद के पटना स्थित आवास पर जश्न का माहौल है। पिता सुरेंद्र कुमार, मां कुमकुम कुमारी और भाई सलज कुमार शरद की उपलब्धि पर गदगद हैं।  शरद को पैरों पर खड़ा करने में जो मेहनत उन्होंने की थी, उसका इनाम उन्हें आज मिल गया। 
टेनिस स्टार रोजर फेडरर हैं आइडियल

शरद ने कहा कि जो फाइटर होगा, वह जरूर जीतेगा। पैरालिंपिक पदक जीतने का मेरा सपना पूरा हुआ। मेरे आइडियल टेनिस स्टार रोजर फेडरर हैं, जिनसे मैंने आखिर तक लड़ने और हार न मानने की सीखी है। जिंदगी की तमाम कठिनाइयों का सामना करते हुए मैंने यह मुकाम हासिल किया है। मैं चाहूंगा कि अन्य एथलीट भी पैसे व ग्लैमर के पीछे न पड़कर अपने लक्ष्य की ओर बढ़े। उन्हें कामयाबी जरूर मिलेगी।
जब मां ने कहा बेटा मैं नहीं हारी तो तुम कैसे निराश हो सकते हो

कंपीटीशन से कुछ घंटे पूर्व शरद ने पैर में चोट लगने की बात मां को बताई। वह फोन पर ही रोने लगा और खुद को संक्षम न होने की बात कही। यह सुनते ही मां ने कहा कि जब 18 माह में तुम्हे पोलियो हुआ तो मैं नहीं हारी तो अब तो बात देश की है। तुम कैसे पीछे हट जाओगे। जुनूनी बनो और आगे बढ़ो। पिता सुरेंद्र ने कहा कि समय-समय पर पीएम नरेंद्र मोदी शरद का हौसला बढ़ाते रहे, जिसकी बदौलत उसे कामयाबी मिली। 

रियो में रहे छठे स्थान पर

शरद ने दक्षिण कोरिया पैरा एशियाड में स्वर्ण पदक  और 2016 रियो पैरालिंपिक में छठा स्थान हासिल किया। इसके बाद उन्हें ट्रेनिंग के लिए यूक्रेन भेजा गया, जो उनके करियर का टर्निंग प्वाइंट साबित हुआ। इसके बाद 2018 जार्काता पैरा एशियाड में शरद ने स्वर्णिम छलांग लगाई और वहां उसे वे आगे बढ़ते चले गए।

शरद की उपलब्धियां
2014 दक्षिण कोरिया पैरा एशियाड में 12 साल का एशियाई रिकार्ड तोड़ कर गोल्ड मेडल जीता

2018 जकार्ता पैरा एशियाड में गोल्ड मेडल
2017 पैरा विश्व चैंपियनशिप में रजत पदक
2018 में अर्जुन पुरस्कार मिला

2020 पैरालिंपिक : कांस्य पदक